इस तारे में हुआ धमाका और ब्रह्मांड में फैल गई जीवन की रोशनी! बिग बैंग के बाद का राज खुला
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इस तारे में हुआ धमाका और ब्रह्मांड में फैल गई जीवन की रोशनी! बिग बैंग के बाद का राज खुला

Origin Of Life In Universe: एस्ट्रोनॉमर्स ने एक हाइपोथीसिस पेश की है जिसके मुताबिक, एक प्राचीन तारे में भीषण धमाके से ब्रह्मांड में जीवन का अंकुर फूट पड़ा था.

इस तारे में हुआ धमाका और ब्रह्मांड में फैल गई जीवन की रोशनी! बिग बैंग के बाद का राज खुला

Origin Of Life Theory: ब्रह्मांड में जीवन की शुरुआत कैसे हुई? यह सवाल वैज्ञानिकों को लगातार परेशान करता रहा है. एक हालिया खोज में, वैज्ञानिकों ने एक प्राचीन तारे में धमाके का पता लगाया है. उन्हें लगता है कि शायद इसी धमाके से जीवन का अंकुर फूट पड़ा था. एस्ट्रोनॉमर्स ने अपनी स्टडी में कहा कि शायद ऐसे प्राचीन तारों में धमाके से ही फास्फोरस का निर्माण हुआ हो. फास्फोरस जीवन का एक महत्वपूर्ण तत्व है. यह DNA के निर्माण में अहम है जो कि जीवन का ब्लूप्रिंट कहलाता है. एस्ट्रोनॉमर्स यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर फास्फोरस आया कहां से. जापानी एस्ट्रोनॉमर्स ने जो थ्योरी पेश की है, उसके मुताबिक एक खास तरह के तारकीय विस्फोट जिन्हें ONe novae कहा जाता है, ब्रह्मांड में फास्फोरस का प्राइमरी सोर्स हो सकते हैं. एस्ट्रोनॉमर्स केनजी बेक्की और ताकुजी सुजिमोटो की स्टडी करीब 8 बिलियन साल पहले की ओर इशारा करती है.

बिग बैंग के बाद जीवन कैसे अस्तित्व में आया?

महाविस्फोट सिद्धांत कहता है कि बिग बैंग से ब्रह्मांड की शुरुआत हुई. तभी सबसे हल्का तत्व हाइड्रोजन बना. तारों के कोर में हीलियम जैसे भारी तत्व बने. वहां भारी दबाव और ऊष्मा की वजह से हाइड्रोजन के परमाणु जुड़ते हैं. यह प्रक्रिया जारी रहती है तो ऑक्सीजन और कार्बन जैसे तत्व बनते हैं. आखिरकार इन तारों का ईंधन खत्म हो जाता है और फिर नोवा और सुपरनोवा जैसे प्रलयंकारी विस्फोट होते हैं. ऐसे धमाकों से नए बने तत्व ब्रह्मांड में फैल जाते हैं.

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ONe novae से फास्फोरस बना और आखिर में जीवन!

वन नोवा या ONe novae तारकीय विस्फोटों की एक कैटेगरी है. ऐसे धमाके ऑक्सीजन, नियॉन और मैग्नीशियम की अधिकता वाले सफेद बौने सितारों में होते हैं. ये सफेद बौने किसी साथी तारे से पदार्थ लेते हैं और जब यह मटेरियल एक क्रिटिकल स्टेज में पहुंचता है तो थर्मोन्यूक्लियर प्रतिक्रिया शुरू होती है. धमाके से भारी मात्रा में तारकीय सामग्री (stellar material) निकलती है. इसमें नए सिंथेसाइज हुए तत्व शामिल होते हैं.

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बेक्की और सुजिमोटो की थ्‍योरी है कि इन्हीं वन नोवा में ही वो प्राइमरी मैकेनिज्म मौजूद हो सकता है जो फास्फोरस बनाता है. उनके मॉडल के अनुसार, वन नोवा का पीक प्वाइंट लगभग 8 अरब साल पहले पहुंचा था. वन नोवा गतिविधि के चरम के चलते इंटरस्टेलर मीडियम में फास्फोरस की मात्रा खूब बढ़ी होगी. चूंकि हमारा सौरमंडल केवल 4.6 बिलियन साल पहले बना था, टाइमलाइन दिखाती है कि फास्फोरस तब तक ब्रह्मांड में प्रचुर मात्रा में मौजूद था. वह पृथ्वी के बनने की शुरुआती प्रक्रिया में भी शामिल था. फॉस्फोरस की उपलब्धता ने पृथ्वी पर जीवन के विकास और उत्पत्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई होगी.

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