Dementia: अगर आपका शरीर दे रहा है इनमें से एक भी संकेत, तो इतने दिन में डिमेंशिया होना तय!
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Dementia: अगर आपका शरीर दे रहा है इनमें से एक भी संकेत, तो इतने दिन में डिमेंशिया होना तय!

Dementia warning signs: वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2050 तक दुनिया भर में डिमेंशिया के मरीजों की संख्या तीन गुना बढ़ जाएगी. आइए जानते हैं किस तरह मिलते हैं शुरुआती संकेत.

Dementia: अगर आपका शरीर दे रहा है इनमें से एक भी संकेत, तो इतने दिन में डिमेंशिया होना तय!

Early signs of dementia: दुनिया भर में याददाश्त घटने की बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं. इस बीमारी को डिमेंशिया (dementia) कहा जाता है. वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2050 तक दुनिया भर में डिमेंशिया के मरीजों की संख्या तीन गुना बढ़ जाएगी. इनमें से सबसे ज्यादा मामले पूर्वी, उप-सहारा अफ्रीका, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व में बढ़ रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (world health organization) के अनुसार, हर साल डिमेंशिया के एक करोड़ नए मामले सामने आते हैं.

अमेरिकी वैज्ञानिकों की नई शोध के अनुसार, लोगों को शिक्षित करके 2050 तक डिमेंशिया के 60.2 लाख मामलों को बढ़ने से रोका जा सकता है. इस शोध के परिणाम नीति निर्माताओं को नई रणनीतियां बनाने में मदद करेंगे ताकि डिमेंशिया के मामलों को बढ़ने से रोका जा सके. 2019 में डिमेंशिया के मरीजों की संख्या 5 करोड़ से अधिक थी. अगले तीन दशकों बाद यह संख्या 15 करोड़ तक पहुंच जाएगी.

डिमेंशिया क्या है? (what is dementia)
डिमेंशिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें दिमाग का कामकाज धीमा हो जाता है. इसके कारण याददाश्त, सोचने और बात करने की क्षमता में कमी आ जाती है. डिमेंशिया के शुरुआती संकेत आमतौर पर धीरे-धीरे विकसित होते हैं और समय के साथ बदतर होते जाते हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे संकेत बताने जा रहे हैं, जो डिमेंशिया होने का पूरा संकेत देते हैं. अगर आपको इनमें से कोई भी संकेत महसूस होते हैं तो समझ जाएं कि आने वाले 10-14 सालों में डिमेंशिया हो सकता है.
- याददाश्त में कमी: नए लोगों या चीजों को याद करने में मुश्किल होती है.
- भाषा में कठिनाई: शब्दों को ढूंढने या वाक्यों को बनाने में मुश्किल होती है.
- दृष्टि और स्थान में परिवर्तन: चीजों को देखने या उनकी पहचान करने में मुश्किल होती है. 
- समय और स्थान का अंदाजा लगाने में कठिनाई: समय और स्थान को समझने या याद रखने में मुश्किल होती है.
- नए कामों को सीखने में कठिनाई: नए स्किल या कामों को सीखने में मुश्किल होती है.
- निर्णय लेने में कठिनाई: सही निर्णय लेने में मुश्किल होती है.
- व्यवहार में बदलाव: व्यक्तित्व में बदलाव, उदास या चिड़चिड़ा महसूस करना.

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यदि आपको डिमेंशिया के किसी भी शुरुआती संकेत का अनुभव हो रहा है, तो अपने डॉक्टर से बात करना महत्वपूर्ण है. हालांकि डिमेंशिया का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार लक्षणों को प्रबंधित करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकता है.

डिमेंशिया का खतरा किन्हें ज्यादा?
महिलाओं को डिमेंशिया का खतरा पुरुषों की तुलना में अधिक होता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि महिलाओं में अल्जाइमर रोग, डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार, विकसित होने का खतरा अधिक होता है. अल्जाइमर रोग एक प्रगतिशील बीमारी है, जो दिमाग में एमिलॉयड प्लेक और ट्यूबरकुलर फाइबर्स के निर्माण से होती है. महिलाओं को डिमेंशिया का खतरा अधिक होने के पीछे कई संभावित कारण हैं. एक कारण यह है कि महिलाओं की औसत आयु पुरुषों की तुलना में अधिक होती है. उम्र बढ़ने के साथ, डिमेंशिया का खतरा बढ़ता जाता है. दूसरा कारण यह है कि महिलाओं में एस्ट्रोजन का लेवल पुरुषों की तुलना में कम होता है. एस्ट्रोजन दिमाग की रक्षा में मदद कर सकता है, और इसके कम लेवल से डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है.

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