ई-फाइलिंग सिस्टम की शुरुआत का असर दिखना शुरू, जिला कलेक्टर 9 मिनट से लेकर 20 घंटे में निकाल रहे फाइल
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ई-फाइलिंग सिस्टम की शुरुआत का असर दिखना शुरू, जिला कलेक्टर 9 मिनट से लेकर 20 घंटे में निकाल रहे फाइल

Jaipur News:  राज्य सरकार ने फाइलों के फिजिकल मूवमेंट को खत्म करने और इसकी जगह आईटी का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए सचिवालय के बाद सभी सरकारी दफ्तरों में ई-फाइलिंग सिस्टम लागू करने पर फोकस कर दिया हैं. 

ई-फाइलिंग सिस्टम की शुरुआत का असर दिखना शुरू, जिला कलेक्टर 9 मिनट से लेकर 20 घंटे में निकाल रहे फाइल

Jaipur News: अफसरों की जवाबदेही बनाने के लिए ई-फाइलिंग सिस्टम की शुरुआत का असर दिखना शुरू हो गया है. मई माह में अब तक की ई-फाइलिंग सिस्टम में प्रदेश के 47 जिलों के कलेक्टरों की रैंकिंग को देखे तो फाइलों का डिस्पोजल टाइमिंग 9 मिनट से लेकर 20 घंटे 48 मिनट तक आ रहा हैं. नवगठित शाहपुरा जिले के कलेक्टर सबसे फास्ट फाइलों का नौ मिनट में निस्तारण कर रहे हैं.वहीं जैसलमेर कलेक्टर का फाइलों का डिस्पोजल टाइमिंग 20 घंटे 48 मिनट हैं.

राज्य सरकार ने फाइलों के फिजिकल मूवमेंट को खत्म करने और इसकी जगह आईटी का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए सचिवालय के बाद सभी सरकारी दफ्तरों में ई-फाइलिंग सिस्टम लागू करने पर फोकस कर दिया हैं. कलेक्ट्रेट, नगर निगमों सहित अन्य सभी सरकारी ऑफिसेज में ई-फाइलिंग सिस्टम लागू करने पर काम शुरू हो गया हैं.

मुख्य सचिव सुधांत पंत लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं.इस सिस्टम में कौनसी फाइल, कब आई से लेकर कितनी देर सीट पर रही का सारा लेखा-जोखा मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री कार्यालय में रियल टाइम में पहुंच रहा हैं.हाल ही में अब तक मई माह में संभागीय आयुक्त और कलेक्टर्स ने कितने समय में फाइलों का डिस्पोजल किया उसकी रैकिंग जारी की हैं.जिसमें चालीस कलेक्टर्स नौ मिनट से लेकर 4 घंटे 50 मिनट में फाइलों का निस्तारण कर रहे है..यानि की ग्रीन जोन में हैं.

इसी तरह छह जिलों के कलेक्टर 5 घंटे 28 मिनट से 6 घंटे 22 मिनट में फाइलों का निस्तारण करने के बाद ऑरेंज जोन में हैं.वहीं जैसलमेर कलेक्टर प्रताप सिंह का फाइलों का डिस्पोजल टाइमिंग 20 घंटे 48 मिनट का हैं.

यानि की रेड जोन में हैं. रेड लिस्ट को ब्यूरोक्रेसी में चिंताजनक स्थिति की लिस्ट माना जाता है.संभागीय आयुक्त की फाइलों का डिस्पोजल टाइमिंग 38 मिनट से 3 घंटे 12 मिनट तक आ रही हैं.

10 कलेक्टर्स का 9 मिनट से 1 घंटे के भीतर फाइलों का डिस्पोजल टाइमिंग

1:::नवगठित जिले शाहपुरा कलेक्टर राजेन्द्र सिंह शेखावत फाइल डिस्पोजल में सबसे फास्ट.
शाहपुरा कलेक्टर राजेन्द्र सिंह शेखावत 9 मिनट में कर रहे फाइलों का डिस्पोजल .
2:::दूसरे नंबर पर 17 मिनट में सलूंबर कलेक्टर जसमीत सिंह संधू फाइल का डिस्पोजल.
3:::जयपुर कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित 32 मिनट के साथ तीसरे नंबर पर.
जबकि राजपुरोहित के पास जयपुर ग्रामीण,जयपुर शहर और दूदू की जिम्मेदारी.
4:::नवगठित जिले ब्यावर कलेक्टर उत्सव कौशल 41 मिनट में निकाल रहे एक फाइल.
5:::नवगठित जिले सांचौर कलेक्टर शक्ति सिंह 44 मिनट में निकाल रहे एक फाइल.
6:::नवगठित जिले गंगापुरसिटी गौरव सैनी 45 मिनट में निकाल रहे एक फाइल.
7:::बारां जिला कलेक्टर रोहिताश्व तोमर 50 मिनट में निकाल रहे एक फाइल.
8:::जालौर कलेक्टर पूजा कुमारी पार्थ 51 मिनट में निकाल रहे एक फाइल.
9:::डूंगरपुर कलेक्टर अंकित कुमार सिंह 1 घंटे में निकाल रहे एक फाइल.
10:::धौलपुर कलेक्टर श्रीनिधि बीटी 1 घंटे 1 मिनट में निकाल रहे एक फाइल.

40 जिले ग्रीन जोन में (पांच घंटे के भीतर निकाल रहे एक फाइल)

जिले का नाम:::::::::कलेक्टर नाम:::::::::फाइल डिस्पोजल टाइमिंग

खैरथल तिजारा:::::अर्तिका शुक्ला:::::1 घंटे पांच मिनट,

झालावाड:::::अजय सिंह राठौड::::1 घंटे 5 मिनट

अजमेर:::::भारती दीक्षित::::::::::::::1 घंटे 25 मिनट

श्रीगंगानगर::::लोकबंधु::::::::::::::::::1 घंटे 25 मिनट

टोंक::::::::::::::::::सौम्या झा:::::::::::::::1 घंटे 26 मिनट

कोटा:::::::::::::::::रविन्द्र गोस्वामी:::::1 घंटे 27 मिनट

पाली::::::::::::::::::एलएन मंत्री::::::::::::::1 घंटे 28 मिनट

अनूपगढ:::::::::::अवधेश मीना:::::::::::::1 घंटे 35 मिनट

बाडमेर:::::::::::निशांत जैन::::::::::::::::::1 घंटे 45 मिनट

सिरोही:::::::::::शुभम चौधरी::::::::::::::::::1 घंटे 51 मिनट

कोटपूतली-बहरोड::कल्पना अग्रवाल::::1 घंटे 54 मिनट

प्रतापगढ:::::::::::अंजलि राजौरिया::::::::::::::::::1 घंटे 57 मिनट

फलौदी:::::::::::हरजीलाल अटल::::::::::::::::::1 घंटे 58 मिनट

करौली:::::::::::निलाभ सक्सेना::::::::::::::::::2 घंटे 9 मिनट

जोधपुर:::::::::::गौरव अग्रवाल::::::::::::::::::2 घंटे 11 मिनट

केकडी:::::::::::श्वेता चौहान::::::::::::::::::2 घंटे 12 मिनट

दौसा:::::::::::देवेन्द्र कुमार::::::::::::::::::2 घंटे 28 मिनट

डीडवाना-कुचामन:::बालमुकुंद असावा:::::::2 घंटे 30 मिनट

चित्तौडगढ::::::::::आलोक रंजन:::::::::::::::::2 घंटे 38 मिनट

डीग:::::::::::श्रुति भारद्वाज::::::::::::::::::2 घंटे 50 मिनट

नीमकाथाना::::::शरद मेहरा:::::::::::::::2 घंटे 51 मिनट

झुंझुनूं:::::::::::चिन्मयी गोपाल:::::::::::::::::3 घंटे 10 मिनट

हनुमानगढ::::::::::कानाराम:::::::::::::::::3 घंटे 37 मिनट

बालोतरा::::::::::सुशील कुमार:::::::::::::::3 घंटे 37 मिनट

अलवर::::::::::आशीष गुप्ता::::::::::::::::4 घंटे

चूरू::::::::::पुष्पा सत्यानी::::::::::::::::4 घंटे 23 मिनट

राजसमंद::::::भंवरलाल::::::::::::::::4 घंटे 32 मिनट

भीलवाडा:::::::नमित मेहता::::::::::::::4 घंटे 34 मिनट

सीकर::::::::::कमर उल जमाल चौधरी:::::::::4 घंटे 41 मिनट

सवाईमाधोपुर::::::कुशाल यादव:::::::4 घंटे 50 मिनट

6 जिले ऑरेंज जोन में (5 घंटे 28 मिनट से 6 घंटे 22 मिनट में निपटा रहे फाइल)

जिले का नाम:::::::::कलेक्टर नाम::::::::फाइल डिस्पोजल टाइमिंग
बांसवाडा::::::इंद्रजीत यादव:::::::5 घंटे 28 मिनट
भरतपुर:::::अमित यादव:::::::5 घंटे 36 मिनट
बूंदी:::::::::::::अक्षय गोदारा:::::::5 घंटे 42 मिनट
नागौर:::::::::अरूण पुरोहित:::::::5 घंटे 44 मिनट
उदयपुर:::::::::अरविंद पोसवाल::::::6 घंटे 12 मिनट
बीकानेर:::::::::नमृता वृष्णि::::::6 घंटे 22 मिनट

एक जिला रेड जोन में (20 घंटे 48 मिनट में निपटा रहे एक फाइल)

जैसलमेर-----प्रतापसिंह------20 घंटे 48 मिनट में फाइल डिस्पोजल टाइमिंग

फाइल डिस्पोजल टाइमिंग की रैकिंग को देखे तो आईएएस दंपत्ति जो अलग अलग जिलों में कलेक्टर लगे हैं सलूंबर कलेक्टर जसमीत सिंह संधू जहां फाइल डिस्पोजल में दूसरे नंबर पर हैं. वहीं खैरथल-तिजारा में कलेक्टर उनकी पत्नी अर्तिका शुक्ला 11वें नंबर पर रहीं. इसी तरह 1 घंटे में फाइलों के डिस्पोजल टाइमिंग के साथ 9वें नंबर पर रहे डूंगरपुर के कलेक्टर अंकित कुमार सिंह की पत्नी प्रतापगढ़ कलेक्टर अंजलि राजोरिया 22वें नंबर पर रहीं. अंजलि की ओर से एक फाइल निपटाने का औसतन समय 1 घंटे 57 मिनट आया है. अंजलि राजोरिया प्रतापगढ़ जिले में कलेक्टर हैं. वहीं बूंदी कलेक्टर अक्षय गोदारा 5 घंटे 42 में फाइलों का निस्तारण करने के साथ 43 नंबर पर हैं जबकि उनकी पत्नी टोंक कलेक्टर सौम्या झा 1 घंटे 26 मिनट में फाइलों के निस्तारण के साथ 15वें नंबर पर हैं.

बहरहाल, ई-फाइलिंग सिस्टम के तहत कोई भी अधिकारी खासकर जिला कलेक्टर किसी फाइल को कब तक बिना फैसला किए खुद के पास रोकता है इस बात की जानकारी मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री को सीधे तौर पर पहुंचती है. अगर किसी फाइल पर सामान्यत दो मिनट या 10 मिनट में फैसला हो सकता हो और उसे कोई अधिकारी अपने पास लेकर बैठा रहे तो इस पर उसे टोका जाना आसान होता है..उसकी कार्यप्रणाली लेटलतीफी की है, इसे कंप्यूटर के जरिए सत्यापित किया जा सकता है..सीएस सुधांश पंत इसलिए इस सिस्टम पर जोर दे रहे हैं कि फाइलों को रोकना, बेवजह ज्यादा समय तक दबाए बैठे रहना और उन पर समय पर निर्णय नहीं करना उचित नहीं है.

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