Rajasthan News: फर्जी एनओसी सर्टिफिकेट के दम पर ऑर्गन ट्रांसप्लांट का खेल, बांग्लादेश, गुरुग्राम और जयपुर से जुड़े तार
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan2245200

Rajasthan News: फर्जी एनओसी सर्टिफिकेट के दम पर ऑर्गन ट्रांसप्लांट का खेल, बांग्लादेश, गुरुग्राम और जयपुर से जुड़े तार

Rajasthan News: फर्जी एनओसी के जरिए फोर्टिस और EHCC अस्पताल में विदेशी मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट किया जाता था. इतना ही नहीं विदेशी मरीजों का ब्लड रिलेशन नहीं होने के बावजूद उनका किडनी ट्रांसप्लांट किया जाता. 

Rajasthan News: फर्जी एनओसी सर्टिफिकेट के दम पर ऑर्गन ट्रांसप्लांट का खेल, बांग्लादेश, गुरुग्राम और जयपुर से जुड़े तार

Rajasthan News: राजस्थान की राजधानी जयपुर में 1 अप्रैल को फर्जी एनओसी सर्टिफिकेट के दम पर ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने का मामला सामने आया. जिस पर राजस्थान की एंटी करप्शन ब्यूरो ने कार्रवाई करते हुए राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएमएस के सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह को गिरफ्तार किया. गौरव राजस्थान के अलग-अलग निजी अस्पतालों को ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने के लिए फर्जी एनओसी सर्टिफिकेट बनकर जारी कर रहा था. वहीं जब मामले की जांच को आगे बढ़ाया गया तो जांच की जद में फोर्टिस अस्पताल और EHCC अस्पताल आया.

इस पर इन दोनों अस्पतालों के ऑर्गन ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर को भी गिरफ्तार कर लिया गया. वहीं इसी दौरान 13 अप्रैल को हरियाणा के गुरुग्राम में पुलिस ने एक बड़े किडनी रैकेट का पर्दाफाश करते हुए बांग्लादेश के कुछ नागरिक और रैकेट का संचालन करने वाले कुछ दलालों को गिरफ्तार किया. जांच में यह बात सामने आई कि बांग्लादेश के नागरिकों को भारत में बुलाने के बाद गुरुग्राम सेक्टर 39 के एक होटल में रखा जाता. जहां राशि का लेनदेन करने के बाद उनको जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में भेज उनकी किडनी निकाली जाती.

जब पुलिस ने अपनी जांच का दायरा आगे बढ़ाया तो यह बात सामने आई की राजस्थान सरकार ने ऑर्गन ट्रांसप्लांट के NOC सर्टिफिकेट जारी करने के लिए जिस राज्य स्तरीय कमेटी का गठन किया है उस कमेटी की वर्ष 2020 से कोई बैठक ही नहीं हुई. इसके बावजूद भी राजस्थान में निजी अस्पतालों में धड़ल्ले से ऑर्गन ट्रांसप्लांट का खेल चल रहा है. ताज्जुब की बात यह है कि इस समय अवधि में जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में फर्जी एनओसी के दम पर 115 विदेशी नागरिकों का ऑर्गन ट्रांसप्लांट किया गया. वहीं EHCC अस्पताल में 40 विदेशी नागरिकों का ऑर्गन ट्रांसप्लांट किया गया. 

जिस पर जयपुर के जवाहर सर्किल और एयरपोर्ट थाने में दो FIR दर्ज की गई. इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए फॉर्टिस अस्पताल के दो ऑर्गन ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर विनोद सिंह और गिरिराज को गिरफ्तार कर लिया. आरोपियों से हुई पूछताछ में फोर्टिस अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ भानु प्रताप का नाम सामने आया जिस पर भानु की गिरफ्तारी हुई. भानु से की गई पूछताछ में फोर्टिस अस्पताल के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ.जितेंद्र गोस्वामी और न्यूरोलॉजिस्ट डॉ.संदीप गुप्ता का नाम सामने आया. जिस पर इन दोनों चिकित्सकों को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

इस पूरे प्रकरण की जांच एसीपी गांधी नगर गोपाल सिंह ढाका को सौंपी गई जिन्होंने जांच करते हुए कई तथ्यों को उजागर किया और प्रकरण में अब लगातार आरोपियों की गिरफ्तारी हो रही है. फर्जी एनओसी सर्टिफिकेट के दम पर ऑर्गन ट्रांसप्लांट में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अगर कोई निभा रहा था तो वह थे फोर्टिस अस्पताल के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. जितेंद्र गोस्वामी और न्यूरोलॉजिस्ट डॉ.संदीप गुप्ता. यह दोनों चिकित्सक उस गैंग के दलालों के संपर्क में थे जो विदेशी नागरिकों को भारत में लाकर और फिर उनकी किडनी की खरीद फरोख्त का काम कर रही थी. 

दलालों के मार्फत विदेशी नागरिक को फॉर्टिस अस्पताल में ऑपरेशन के लिए लाया जाता. जहां यह दोनों चिकित्सक अपनी टीम के साथ ऑपरेशन करके किडनी का ट्रांसप्लांट करते. कानून की निगाहों से बचे रहने के लिए मरीज को अस्पताल से जल्द डिस्चार्ज कर दिया जाता और अस्पताल के आसपास अलग-अलग लोकेशन पर फ्लैट्स में रखा जाता. फ्लैट्स में जाकर यह दोनों चिकित्सक और नर्सिंग कर्मी उन मरीजों की देखभाल करते. इसकी एवज में अंगों की खरीद फरोख्त करने वाले गिरोह द्वारा इन्हें मोटी राशि दी जाती. 

पुलिस जांच में यह तथ्य सामने आया है कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट का यह पूरा गिरोह प्रति व्यक्ति 25 से 35 लाख रुपए ट्रांसप्लांट के नाम पर लेता. ट्रांसप्लांट के लिए डोनर और रिसिपिएंट को लाने और उनके फर्जी दस्तावेज बनाने का तमाम काम गिरोह से जुड़े दलाल व अस्पताल मैनेजमेंट के द्वारा किया जाता. चिकित्सकों को इस बात का पूरा पता भी होता कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ट्रांसप्लांट किया जा रहा है लेकिन इसके बावजूद भी वह गैर कानूनी तरीके से ट्रांसप्लांट करते रहे क्योंकि इसकी एवज में उनको मोटी राशि दी जा रही थी.

फिलहाल इस पूरे प्रकरण में जयपुर पुलिस की जांच जारी है और दोनों आरोपी चिकित्सकों को आज कोर्ट में पेश कर अग्रिम अनुसंधान के लिए 3 दिन की रिमांड पर लिया गया है. यह दोनों ही चिकित्सक इस पूरे गिरोह के दलालों से लगातार संपर्क में थे और हॉस्पिटल मैनेजमेंट के इशारों पर फर्जी तरीके से ऑर्गन ट्रांसप्लांट कर रहे थे. डॉ. जितेंद्र गोस्वामी पहले मणिपाल अस्पताल में काम किया करते थे. लेकिन मणिपाल अस्पताल का ऑर्गन ट्रांसप्लांट का लाइसेंस रिन्यू नहीं होने पर डॉ. जितेंद्र गोस्वामी ने सितंबर 2023 में फोर्टिस हॉस्पिटल ज्वाइन कर लिया.

वहीं डॉ.संदीप गुप्ता काफी लंबे समय से फोर्टिस अस्पताल में ही कार्यरत हैं. दोनों चिकित्सक फोर्टिस अस्पताल के मैनेजमेंट के इशारे पर विदेशी मरीजों की किडनी ट्रांसप्लांट करते और दोनों के ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने वाले अन्य चिकित्सकों के बारे में भी पूरी जानकारी है. ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले समय में जयपुर पुलिस ऑर्गन ट्रांसप्लांट के मामले में अन्य अस्पतालों के चिकित्सकों को भी गिरफ्तार करेगी.

फर्जी एनओसी के जरिए फोर्टिस और EHCC अस्पताल में विदेशी मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट किया जाता था. इतना ही नहीं विदेशी मरीजों का ब्लड रिलेशन नहीं होने के बावजूद उनका किडनी ट्रांसप्लांट किया जाता. डोनर और रिसिपिएंट से इस एवज में फोर्टिस अस्पताल के चिकित्सक लाखों रुपए वसूला करते. विदेशी मरीजों को भर्ती करने के बाद उनसे किसी भी प्रकार की कागजी कार्रवाई और कोई जानकारी नहीं मांगी जाती थी. एनओसी फर्जी है या ओरिजिनल इसके बारे में भी मरीज को नहीं बताया जाता था. फिलहाल इस पूरे प्रकरण में अब अन्य अस्पतालों के चिकित्सक भी जयपुर पुलिस की रडार पर हैं. देखना होगा इस पूरे मामले में अब पुलिस और कितने चेहरों को बेनकाब करती है

Trending news