मिश्रिख के मैदान में जीजा-सलहज में टक्कर, बसपा ने रिटायर्ड IFS अधिकारी को उतारा
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मिश्रिख के मैदान में जीजा-सलहज में टक्कर, बसपा ने रिटायर्ड IFS अधिकारी को उतारा

Misrikh Lok Sabha Chunav 2024:  मिश्रिख में चौथे चरण में 13 मई को वोट डाले जाएंगे. इस बार बीजेपी ने सिटिंग सांसद अशोक रावत को उतारा है. वहीं, सपा ने संगीता राजवंशी पर दांव लगाया है. बसपा से बीआर अहिरवार मैदान में हैं. 

मिश्रिख के मैदान में जीजा-सलहज में टक्कर, बसपा ने रिटायर्ड IFS अधिकारी को उतारा

Misrikh Lok Sabha Chunav 2024: हरदोई जिले की दूसरी लोकसभा सीट मिश्रिख है. जिसे सीतापुर और हरदोई, कानपुर की विधानसभा को मिलाकर बनाया गया है. 1962 में बनी यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. यहां चौथे चरण में 13 मई को वोट डाले जाएंगे. इस बार बीजेपी ने सिटिंग सांसद अशोक रावत को उतारा है. वहीं, सपा ने संगीता राजवंशी पर दांव लगाया है. बसपा से बीआर अहिरवार मैदान में हैं. 

जीजा-सलहज के बीच होगी टक्कर
मिश्रिख लोकसभा सीट इस लिए भी चर्चा में है, क्योंकि यहां जीजा और सलहज के बीच में टक्कर होने वाली है. बीजेपी प्रत्याशी अशोक रावत की सपा प्रत्याशी संगीता राजवंशी का जीजा-सलहज का रिश्ता है. यानी संगीता राजवंशी अपने जीजा को टक्कर देने के लिए मैदान में उतरी हैं. 

कौन हैं अशोक रावत ?
डॉक्टर रावत इस सीट पर 2004 और 2009 में बसपा के टिकट पर दो बार सांसद रह चुके हैं. 2014 में बीजेपी की अंजूबाला ने अशोक रावत को शिकस्त दी थी. इसके बाद समीकरण बदले और अशोक रावत बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी ने अंजूबाला का टिकट काटकर अशोक रावत को प्रत्याशी बनाया, उन्होंने जीत भी हासिल की. 

कौन हैं संगीता राजवंशी? 
मिश्रिख लोकसभा क्षेत्र से संगीता राजवंशी पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं. संगीता राजवंशी के ससुर रामपाल राजवंशी सपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं. संगीता राजवंशी पूर्व मंत्री रामपाल राजवंशी की बहू हैं. आपको बता दें कि संगीता राजवंशी जिले से दूसरी बार जिला पंचायत सदस्य हैं. 

बसपा से बीआर अहिरवार मैदान में? 
मिश्रिख लोकसभा से बसपा प्रत्याशी बी आर अहिरवार रिटायर्ड IFS अधिकारी रहे हैं. वह पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं.  बी आर अहिरवार बिल्हौर कानपुर के रहने वाले हैं. 

मिश्रिख सीट के जातीय समीकरण 
मिश्रिख सीट में अगड़ी और पिछड़ी दोनों की निर्णायक भूमिका है. यहां ग्रामीण वोटर प्रत्याशियों के भविष्य का फैसला करते हैं. राजनीतिक दल ज्यादातर पासी उम्मीदवारों पर दांव लगाते हैं. क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य मतदाताओं के साथ ही पिछड़ी जातियों में से कुर्मी, गड़रिया, काछी, कहार व यादव को छोड़ कर अन्य पिछड़ी जातियों का गठजोड़ जीत हार तय करता है. कोरी वोटर भी अहम भूमिका निभाते हैं. 

(सीतापुर से राजकुमार दीक्षित की रिपोर्ट)

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