Himachal News: नए फसलों की अच्छी कामना करते हुए लोगों ने अपने ईष्ट देवी देवताओं को खुश किया. इसी के साथ ठिरशू मेला का आयोजन हुआ.
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Rampur News: पहाड़ों पर जैसे ही बसंत आगमन के बाद फल पौधों में फ्लावरिंग और नए फसलों की बिजाई शुरू होती है, तो देवी देवताओं को खुश करने के लिए गांव-गांव में ठिरशू मेले का आयोजन किया जाता है. लोग अपने इष्टो से आने वाली साल फसल अच्छी हो मन्नत मांगते हैं.
मंदिरों में इस दौरान खूब नाच गान और मनोरंजन का भी बंदोबस्त होता है. सगे संबंधियों से मेले झोल का भी अवसर होता है. हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के ऊपरी क्षेत्रों में इन दोनों गांव गांव में ठिरशू मेले का आयोजन किया जा रहा है. इसका मकसद अपने इलाके के देवी देवताओं को खुश करना होता है ताकि आने वाली साल फसल जैसे- सेब, नाशपाती व अन्य गुठलीदार फलों की पैदावार अच्छी हो. मान्यता है कि ऊपरी क्षेत्र के पहाड़ी ग्रामीण इलाको में ठिरशू मेला आयोजित कर देवी देवताओं को नचाकर खुश करने से इलाके में सुख समृद्धि व फसल अच्छी होती है.
इस दौरान लोग देवी देवताओं से मन्नत मांगते हैं और साल भर सुख शांति से गुजरने व फसलों के अच्छे होने की कामना करते हैं. इसी तरह रामपुर उप मंडल के मझेवटी गांव में भी ठिरशू मेले का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय देवी-देवताओं ने हिस्सा लिया. इस दौरान देव वाद्य यंत्रों की धुनों में दिनभर नाटियों का दौर चलता रहा. लोगों ने देवी देवताओं संग नाच का खूब आनंद लिया.
इस दौरान देवता गणेश मझेवठी और देवता कुठालिया लेलन गांव से लोगों ने सुख समृद्धि व फसल की अच्छे होने की मन्नत मांगी. इस दौरान खासकर सेब की फ्लावर रिंग क्षेत्र में जोरों पर है. इस दौरान कुदरत की कृपा बनी
रहे. देवी देवताओं से मांग की ताकि फसल अच्छी होकर लोगों में समृद्धि आए. अक्सर सेब बहुत इलाकों में ओलावृष्टि के साथ-साथ कई बार फसलों के लिए मौसम प्रतिकूल जाता है, जिससे किसान बागवानों को नुकसानी का सामना करना पड़ता है. ऐसे में देवताओं से रहम और छत्रछाया बनी रहे मन्नत मांगते हैं.
कोशगर के बागवान बिहारी सेवगी ने बताया रामपुर तहसील में जैसे गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है, तो फल पौधों में फ्लोरिंग शुरू हो जाती है. हमारा एक पर्व होता है जिसे ठिरशू कहते हैं. जितने भी देवी देवता हैं. वे इस मेले को क्षेत्र में मनाते हैं ताकि लोगों की साल फसल अच्छी हो.
रामपुर दरकाली निवासी चेतन पाक्ला ने बताया कि बसंत आगमन के बाद ठिरशू मेले का आयोजन किया जाता है और जगह पर बैसाखी मेला यानी ठिरशू मेले के नाम से जाना जाता है. स्थानीय देवी देवताओ को खुश करने के लिए अपने-अपने क्षेत्र में इस मेले का आयोजन किया जाता है. इस दौरान फ्लोरिंग जोरो पर होती है.
रिपोर्ट- बिशेश्वर नेगी, रामपुर