कौन है अल-बट्टानी; मुस्लिम दुनिया के सबसे बड़े खगोलशास्त्री
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कौन है अल-बट्टानी; मुस्लिम दुनिया के सबसे बड़े खगोलशास्त्री

एक ऐसा मुस्लिम वैज्ञानिक जिसने अपनी शानदार खोजों से खगोल विज्ञान पर अपनी अमिट छाप छोड़ दी. एक ऐसा मुस्लिम वैज्ञानिक जिसने  गैलीलियो से लेकर कोपरनिकस तक को प्रेरित और प्रभावित किया. ये मुस्लिम वैज्ञानिक है अल-बट्टानी.

कौन है अल-बट्टानी; मुस्लिम दुनिया के सबसे बड़े खगोलशास्त्री

इस्लामी तालीम और खगोल विज्ञान का रिश्ता बेहद खास रहा है, इस्लाम की  पवित्र किताब कुरान में 1,100 से अधिक ऐसे आयत हैं जो ब्रह्मांड के बनने, सितारों की जगह और अन्य खगोलीय नियमों से जुड़े हैं. इन सभी आयतों को  बाद में वैज्ञानिक जांच पर सही पाया गया है. मुस्लिम को खगोलीय समझ की ज़रूरत इसलिए भी रही ताकि पृथ्वी की किसी भी जगह से किबला की दिशा जानी जा सके और नमाज़ के सही समय को पहचाना जा सके. शायद यही कारण है कि मुसलमानों के बीच से त्रिकोणमिति और बीजगणित की मजबूत समझ वाले कई इस्लामी विद्वान सामने आए और उन्होंने खगोल विज्ञान में कई महत्वपूर्ण खोज किया. ऐसे ही एक मुस्लिम शख्स हैं, "अल बट्टानी". 

कौन थे अल-बट्टानी
अल-बट्टानी  इस्लामी स्वर्ण युग के एक खास फ़ारसी खगोलशास्त्री और गणितज्ञ थे, जिन्हे त्रिकोणमिति और खगोल विज्ञान पर उनके काम के लिए जाना जाता है. अल बट्टानी का जन्म हारान यानी आज के समय के तुर्की  में 858 ईसवी में हुआ था. अल-बट्टानी ने बगदाद के हाउस ऑफ विजडम में गणित और खगोल विज्ञान की पढ़ाई की थी. यहां से अपनी पढ़ाई के बाद बट्टानी  सीरिया के रक्का चले गए. सीरिया में रहते हुए अल बट्टानी ने सितारों और ग्रहों पर कई ऐसे अध्ध्यन किये जो कि आज आधुनिक समय मे भी प्रासंगिक हैं.  उन्होंने खगोलीय पिंडों की स्थिति की गणना के लिए नए तरीके निकाले जो पहले से चले आ रहे तरीके से ज़्यादा सटीक थे. अल बट्टानी ही वो शख्शियत थे जिन्होंने पहली बार खगोल विज्ञान और गणित को साथ मे ला कर खड़ा कर दिया था. इसके बाद ये दोनों एक साथ मिलकर अध्ययन का एक क्षेत्र बन गए .

उन्होंने सूर्य की गति पर भी अध्यन किया जिसमें उन्होंने पाया कि  टॉलेमी का सूर्य की गति पर रिसर्च सटीक नहीं है और उसमें कुछ गलतियां हैं जिसके बाद अरब के गणितज्ञों ने टॉलेमी की यूनानी विरासत को सही ठीक किया. 

निकोलस कोपरनिकस ने अपनी कई किताबों ने अल-बट्टानी का ज़िक्र किया है. कई इतिहासकार कूपर को यूरोप की वैज्ञानिक क्रांति का संस्थापक कहते हैं, लेकिन कोपरनिकस ने अपनी किताब में अल-बट्टानी का भी जिक्र किया है.  कोपरनिकस ने ग्रहों, सूर्य, चंद्रमा और सितारों के अस्तित्व की व्याख्या करने के लिए अल-बट्टानी की टिप्पणियों का इस्तेमाल किया.

अल बट्टानी की प्रमुख खोज 
अल-बट्टानी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य उनकी पुस्तक अज़-ज़ीज अस-सबी थी, जो खगोलीय तालिकाओं और डेटा का कलेक्शन था. उनकी कुछ प्रमुख खोज और उपलब्धियों में खगोल विज्ञान और भूगोल पर उनके सबसे कीमती खोजों में उनकी किताब अज़-ज़ीज अस-सबी शामिल  है जो मध्य युग से मुसलमानों के पास हैं. इस किताब में साठ से अधिक महत्वपूर्ण खगोलीय विषयों पर चर्चा की गई है. इस किताब का लैटिन में अनुवाद किया गया और सदियों तक यूरोपीय खगोलविदों द्वारा इसका उपयोग किया गया. अल-बट्टानी ने यूनानियों द्वारा ज्यामितीय रूप से हल की गई कई समस्याओं के सटीक गणितीय समाधान भी खोजे साथ ही गर्मी और सर्दी दोनों के मान को ठीक किया और सूर्य के संबंध में पृथ्वी का अपने अक्ष पर झुके होने का वर्णन किया. इस झुकावट को 23.35 डिग्री का बताया था. इतना ही नहीं कल बट्टानी ने सूर्य और चंद्रमा के कई ग्रहण देखने के बाद सौर वर्ष की लंबाई भी मापी और आपको बता दे कि उनके अनुमान में केवल 2 मिनट 22 सेकंड का एरर था.

खास बात यह है कि अल - बट्टानी को सम्मान देने के लिए चाँद पर एक गड्ढे का नाम अल-बट्टानी के नाम पर अल्बाटेग्नियस रखा गया है.

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