Mohammad Alvi Shayari: बचपन में मोहम्मद अल्वी का नाम जामिया मिल्लिया इस्लामिया में लिखवाया गया लेकिन उनका मन नहीं लगा. पांचवीं तक पढ़ने के बाद घर वापस चले गए. मोहम्मद अल्वी को साल 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
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Mohammad Alvi Shayari: मोहम्मद अल्वी उर्दू के बेहतरीन शायर थे. वह अपनी बात बहुत ही आसान जबान में कहते थे. मोहम्मद अल्वी की पैदाइश 10 अप्रैल 1927 को अहमदाबाद गुजरात में हुई. उन्हें शायरी वरासत में मिली. उनके घर का माहौल साहित्यिक था. उन्होंने कहानियां भी लिखी हैं. वह कई बार सआदत हसन मंटों से मिलने मंबई गए. उन्होंने साल 1947 में पहली गजल लिखी. 29 जनवरी 2018 को उन्होंने अहमदाबाद में इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
अच्छे दिन कब आएँगे
क्या यूँ ही मर जाएँगे
सर्दी में दिन सर्द मिला
हर मौसम बेदर्द मिला
अपना घर आने से पहले
इतनी गलियाँ क्यूँ आती हैं
रोज़ अच्छे नहीं लगते आँसू
ख़ास मौक़ों पे मज़ा देते हैं
आग अपने ही लगा सकते हैं
ग़ैर तो सिर्फ़ हवा देते हैं
कमरे में मज़े की रौशनी हो
अच्छी सी कोई किताब देखूँ
अब तो चुप-चाप शाम आती है
पहले चिड़ियों के शोर होते थे
कभी आँखें किताब में गुम हैं
कभी गुम हैं किताब आँखों में
अंधेरा है कैसे तिरा ख़त पढ़ूँ
लिफ़ाफ़े में कुछ रौशनी भेज दे
आज फिर मुझ से कहा दरिया ने
क्या इरादा है बहा ले जाऊँ
कुछ तो इस दिल को सज़ा दी जाए
उस की तस्वीर हटा दी जाए
उस से बिछड़ते वक़्त मैं रोया था ख़ूब-सा
ये बात याद आई तो पहरों हँसा किया
देखा तो सब के सर पे गुनाहों का बोझ था
ख़ुश थे तमाम नेकियाँ दरिया में डाल कर
वो जंगलों में दरख़्तों पे कूदते फिरना
बुरा बहुत था मगर आज से तो बेहतर था
उस से मिले ज़माना हुआ लेकिन आज भी
दिल से दुआ निकलती है ख़ुश हो जहाँ भी हो