World Smile Day: 55 साल पहले नाराज कर्मचारियों को मनाने के लिए बनाई गई थी स्माइली
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World Smile Day: 55 साल पहले नाराज कर्मचारियों को मनाने के लिए बनाई गई थी स्माइली

जीवन में तमाम दुखों और तकलीफों के बीच भी अगर हंसकर उसे अपना लिया जाए तो कोई भी परेशानी आसानी से दूर की जा सकती है. 

(फोटो साभार- Twitter)

नई दिल्ली: हंसते-मुस्कुराते चेहरे किसी का भी ध्यान बरबस ही अपनी ओर खींच लेते हैं. जीवन में तमाम दुखों और तकलीफों के बीच भी अगर हंसकर उसे अपना लिया जाए तो कोई भी परेशानी आसानी से दूर की जा सकती है. हंसना हमारी सेहत के लिए जितना अच्छा है उससे कहीं ज्यादा ये हमारे स्वभाव को प्रभावित करता है. हंसमुख इंसान से हर व्यक्ति बात करना चाहता है क्योंकि उसके साथ रहकर आपको तनाव से मुक्ति के कुछ क्षण मिल जाते हैं. सोशल मीडिया पर इमोजी के जरिए एक-दूसरे को हंसाने-मुस्कुराने का काम और भी आसान हो गया है. आज वर्ल्ड स्माइल डे के मौके पर जानिए कि कैसे इस इमोजी को बनाया गया और ये इतनी फेमस हो गईं. 

साल 1963 में स्माइली की उत्पत्ति हुई. एक अमेरिकी इंश्योरेंस कंपनी ने अपने नाराज कर्मचारियों को मनाने के लिए ये आइडिया निकाला. इसके लिए उन्होंने एक विज्ञापन और पब्लिक रिलेशन एजेंसी चलाने वाले हार्वी रास बॉल से संपर्क किया. हार्वी ने नाराज कर्मचारियों को मनाने के लिए एक पीले रंग का हंसता हुआ चेहरा बनाया, जिसे आज स्माइली के नाम से जाना जाता है. इस स्माइली ने अपना काम कर दिखाया और नाराज कर्मचारी इसे देखकर बहुत खुश हुए. हार्वी ने इसे बनाने के लिए 45 डॉलर यानी आज के हिसाब से करीब 3100 रुपये लिए थे. हार्वी की बनाई हुई ये स्माइली आज पूरी दुनिया में फेमस हो चुकी है. 

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अक्टूबर का पहला शुक्रवार 
विश्‍व मुस्कान दिवस की शुरुआत 1999 में हुई थी. अक्टूबर के पहले शुक्रवार को वर्ल्ड स्माइल डे के रूप में मनाया जाता है. तकरीबन पांच साल पहले एक ऑनलाइन कंपनी ने सर्वे कराया था कि 19 से 25 वर्ष की उम्र के 68 फीसदी युवा रोज स्माइली का प्रयोग करते हैं. 

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मुस्कुराने से दूर रहती है बीमारी  
डाक्टरों की मानें तो दिल को दुरुस्त रखने और शरीर को बीमारी से बचाने के लिए खुश रहना बहुत जरूरी है. मुस्कुराने से हमारे दिमाग में डोपामाइन हॉर्मोंस रिलीज होता है जो हार्ट अटैक, डायबिटीज, तनाव और इंफेक्शन से होने वाली बीमारियों का खतरा कम करता है. डाक्टर बताते हैं कि मुस्कुराने से चेहरे की मांसपेशियां तक प्रभावित होती हैं, जो शरीर के अंदर तनाव पैदा करने वाले हॉर्मोंस को कम करती हैं. खुश रहने वाले लोग बीमारियों से तो बचे ही रहते हैं, साथ ही वो जल्दी बूढ़े भी नहीं दिखते. 

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