मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम 2018: रोमांच बरकरार, अब कांग्रेस पहुंची बहुमत के करीब
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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम 2018: रोमांच बरकरार, अब कांग्रेस पहुंची बहुमत के करीब

'मिनी इंडिया' कहे जाने वाले पांच राज्‍यों में से हिंदी पट्टी के राज्‍यों में कांग्रेस को बढ़त मिलती दिख रही है.

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम 2018: रोमांच बरकरार, अब कांग्रेस पहुंची बहुमत के करीब

नई दिल्‍ली: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव परिणाम का रोमांच बरकरार है. अब कांग्रेस एक बार फिर से बहुमत के करीब पहुंच गई है. चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, कांग्रेस 113 जबकि बीजेपी 110 सीटों पर आगे चल रही है. बसपा दो सीटों पर आगे है. समाजवादी पार्टी बिजावर सीट लगभग जीत चुकी है. 4 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार आगे हैं. 

 

उधर, मध्य प्रदेश चुनाव आयोग ने साफ किया है कि बहुत कम सीटों पर काउंटिंग बची है. जल्द ही नतीजे वेबसाइट पर अपडेट किए जाएंगे. आयोग का कहना है कि लगभग 100 सीटों के परिणाम अभी रुके हुए हैं और रात 10 बजे तक सभी नतीजे आएंगे. मध्य प्रदेश चुनाव आयुक्त वीएल कांताराव का कहना है कि अभी कई सीटों पर 6 से 7 राउंड की काउंटिंग बाकी है. पत्रकारों के सवाल पर कांताराव ने कहा कि हो सकता है कि पूरी तस्वीर रात 11-12 बजे तक साफ हो. मतगणना में हो रही देरी पर कांताराव ने कहा कि प्रत्येक सीट पर लगभग 20-30 प्रत्याशी है. प्रत्येक प्रत्याशी को परिणाम की फोटोकॉपी करवाकर सौंपी जा रही है. इससे समय लग रहा है.

उधर, भोपाल में कांग्रेस नेताओं की बैठक जारी है. मध्य प्रदेश में अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो कमलनाथ सबसे आगे हैं. ज्योतिरादित्य का नाम भी दौड़ में है. पांच राज्‍यों के विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) के रुझानों में सबसे दिलचस्‍प रुझान मध्‍य प्रदेश में देखने को मिल रहे हैं. यहां पर सियासी स्‍कोर क्रिकेट मैच की तरह कभी कांग्रेस और कभी बीजेपी की तरफ झुकता दिख रहा है. इस वक्‍त के रुझानों के मुताबिक मध्‍य प्रदेश की 230 सीटों में से कांग्रेस की 117 और बीजेपी की 104 सीटों पर बढ़त है. बसपा 2 और अन्‍य सात सीटों पर आगे हैं. (LIVE TV)

हालांकि छत्‍तीसगढ़ के रुझानों में कांग्रेस दो तिहाई बहुमत की ओर बढ़ रही है. इसके साथ ही लग रहा है कि 15 सालों से सत्‍ता में बीजेपी पिछड़ रही है. यहां की 90 सीटों में से कांग्रेस 65 सीटों पर आगे है. बीजेपी 15 और अजीत जोगी की छत्‍तीसगढ़ जनता कांग्रेस और बसपा के गठबंधन को 9 सीटों पर और अन्‍य को 1 सीट पर बढ़त मिलती दिख रही है.

राजस्‍थान में पिछले 25 वर्षों का इतिहास दोहराया जा रहा है. यानी एक बार फिर सत्‍ता पलट होने के आसार हैं. इस बार सत्‍ता बीजेपी से छिटककर कांग्रेस की तरफ जाती दिख रही है. रुझानों के मुताबिक कांग्रेस को 102 सीटों पर बढ़त के साथ बहुमत मिलता दिख रहा है. इसके साथ ही सभी 199 रुझानों में से बीजेपी 71, बसपा 6 और अन्‍य 20 सीटों पर आगे हैं. हालांकि इसके साथ ही कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता अशोक गहलोत ने पार्टी की सरकार बनाने के लिए निर्दलीयों से सहयोग मांगा है. इस बार राज्‍य की राजनीति में एक रोचक पहलू देखने को यह मिला कि वह रुझानों के मुताबिक निर्दलीय 20 सीटों पर आगे हैं.

तेलंगाना की 119 सीटों के रुझानों में सत्‍तारूढ़ टीआरएस को 86 सीटों पर बढ़त है. मिजोरम में सत्‍तारूढ़ कांग्रेस के हाथ से सत्‍ता फिसलती दिख रही है और विपक्षी एमएनएफ को 40 में से 26 सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है. कांग्रेस यहां पर 9 और बीजेपी 1 सीटों पर आगे है.

मध्‍य प्रदेश
मध्‍य प्रदेश में भाजपा ने सभी 230 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि कांग्रेस ने 229 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं और एक सीट अपने सहयोगी शरद यादव के लोकतांत्रिक जनता दल के लिये छोड़ी है. आम आदमी पार्टी (आप) 208 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) 227, शिवसेना 81 और समाजवादी पार्टी (सपा) 52 सीटों पर चुनावी मैदान में है.

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी परंपरागत सीट बुधनी से चुनावी मैदान में है और उनके खिलाफ कांग्रेस ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं मध्यप्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरूण यादव को मैदान में उतारा है. चौहान इस सीट से चार बार जीत चुके हैं और हर बार उन्होंने इस सीट पर अपनी जीत का अंतर बढ़ाया है.

छत्‍तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में विधानसभा का यह चौथा चुनाव है. इससे पहले तीन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी जीत हासिल कर पिछले 15 वर्षों से सत्ता में है. वहीं कांग्रेस को लगातार हार का सामना करना पड़ा है. राज्य में भाजपा और कांग्रेस के मध्य ही मुकाबला होता आया है लेकिन इस बार के चुनाव में अजीत जोगी की पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर मुकाबला को त्रिकोणीय कर दिया है. कुछ सीटों में उनकी पार्टी का दखल होने के कारण मुकाबला रोचक हो गया है.

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को लेकर कई समाचार चैनलों ने एग्जिट पोल कराया था. एग्जिट पोल के नतीजे मिले जुले रहे और लगभग सभी ने यहां कांटे की टक्कर की बात कही है. राज्य के 90 विधानसभा सीटों में से 29 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए तथा 10 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. राज्य में इन आरक्षित सीटों पर बड़ी जीत के माध्यम से ही सत्ता तक पहुंचा जा सकता है. वर्ष 2013 में हुए चुनाव में भाजपा ने 49 सीटों पर जीत के साथ सरकार बनाई थी. वहीं कांग्रेस को 39 सीटों पर, बहुजन समाज पार्टी को एक सीट पर जीत मिली थी. जबकि एक सीट पर स्वतंत्र उम्मीदवार की जीत हुई थी.

राजस्‍थान
2013 के राजस्‍थान विधानसभा चुनाव में भाजपा को कुल 163 सीटें मिलीं थी. इसके अलावा कांग्रेस को 21, बसपा को तीन, एनपीपी को चार एवं निर्दलीय तथा अन्य को नौ सीटें मिलीं थी. हालांकि बीच में हुए उपचुनाव के बाद मौजूदा समय भाजपा के 160, कांग्रेस के 25, बसपा के दो और एनपीपी के तीन विधायक हैं.

तेलंगाना
तेलंगाना में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में 1,821 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे और मंगलवार को होने वाली मतगणना में इनके राजनीतिक भविष्य का फैसला होना है. राज्य की 119 विधानसभा सीटों के लिए सात दिसंबर को चुनाव हुए थे और इनमें 73.20 प्रतिशत मतदान हुआ था.

मिजोरम
मिजोरम में कांग्रेस पिछले 10 साल से सत्ता में है. यहां पर अब तक कोई भी पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में नहीं लौट पाई है. लेकिन कांग्रेस के सबसे बड़े नेता और सीएम ललथनहावला ने दावा किया था कि वह कांग्रेस को सत्ता में वापस लेकर आएंगे. चुनाव से पहले कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर मिजो नेशनल फ्रंट और बीजेपी में शामिल हो चुके थे. ऐसे में तभी अनुमान लगाया गया था कि मिजोरम में इस बार कांग्रेस अपनी सत्ता गंवा सकती है.

2013 के विधानसभा चुनाव में मिजोरम (Mizoram Assembly Elections 2018) में  कांग्रेस ने 34 सीटों पर जीत दर्ज की थी. मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के खाते में पांच और मिजोरम पीपुल्स कांफ्रेंस की झोली में एक सीट आई थी. इस बार के चुनावों में बीजेपी ने भी दमखम लगा रखा है.

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