Trending Photos
दयाशंकर मिश्र
हिंदी कहानियों के पाठक 'हार की जीत' कहानी से परिचित हैं. जो नहीं हैं, उनके लिए बस इतना कि गूगल के आंगन से खोजकर सुदर्शन की यह कहानी बहुत आसानी से पढ़ी जा सकती है. बल्कि इसे बच्चों को बकायदा सुनाना चाहिए. इस कहानी का भाव जिंदगी के कठिनतम सवालों को सुलझाने में मदद कर सकता है.
इस कहानी की याद आज अखबार में किसी भरोसे के टूटने की खबर के बीच आई. हम भरोसा तोड़ते समय केवल यह देखते हैं कि इससे हमें अभी क्या लाभ है. इसका अर्थ यह है कि आज के बारे में इतना अधिक सोच बैठते हैं कि उससे रिश्तों पर होने वाले दूरगामी असर को हमेशा के लिए भूल जाते हैं.
डियर जिंदगी के सभी लेख यहां
यह कहानी 'भरोसे में भरोसा' रखने की सिफारिश के साथ खत्म होती है. डाकू खड़गसिंह के आगे बाबा भारती लाचार हैं, लेकिन उनके सच्चे जीवन मूल्य के सामने खड़गसिंह की शक्ति हार जाती है. डाकू खड़गसिंह किसी शक्ति से नहीं हारता बल्कि वह जीवन में प्रेम, विश्वास और मूल्यों के सामने समर्पण कर देता है. दो अपरिचितों के बीच चुनिंदा शब्दों का संवाद एक डाकू के हदय परिवर्तन का जिस तरह सेतु बनता है.
इस कहानी का केंद्रीय पात्र कोई व्यक्ति न होकर, विश्वास और मानवता के प्रति गहरा प्रेम है. यह प्रेम है, मुश्किल में पड़े किसी अनजान की मदद से न हिचकने का. यह प्रेम है, अपने को संकट में डालकर मनुष्यता के लिए कुछ करने का. इसीलिए 'हार की जीत' का नायक विश्वास है. जो उम्मीद जताता है कि दुनिया में उनके लिए बहुत कुछ बाकी है, जो दूसरों की खातिर तूफानों में नाव लिए तट पर अकेले खड़े हैं.
यह भी पढ़ें : डियर जिंदगी : आप भी दुविधा में हैं!
यह कहानी बहुत से लोगों ने पढ़ी, सुनी है. लेकिन यह जैसा कि हर बच्चे के साथ होता है. वह बचपन की सारी शिक्षा को स्कूल, कॉलेज से निकलते ही 'डिलीट' कर देता है. वह जीवन मूल्य को छोड़कर केवल 'मूल्य' की खोज में निकल पड़ता है. हमारे आस-पास तेजी से बढ़ते तनाव, आत्महत्या के किनारे जा पहुंचे जीवन का कारण बहुत जटिल नहीं है, इसके पीछे बस एक ही कारण है, हमने विश्वास, प्रेम को जीवन से निकालकर किताबों में कैद कर दिया है. इसके कारण ही बच्चों, युवाओं का दिमाग तकनीकी अधिक हो गया है, उसमें मनुष्यता का कोना पूरी तरह रिक्त होता जा रहा है.
यह भी पढ़ें : डियर जिंदगी : आप बहुत खास हैं, उम्मीद है आपको पता होगा...
आप पूछ सकते हैं कि ऐसा होने में बुराई क्या है. सब यही तो कर रहे हैं. तो मैं केवल इतना ही कहूंगा कि हमारे आस-पास जो प्रेम, स्नेह और भरोसे की कमी है. उसका कारण केवल इतना ही है कि हमने बाबा भारती के जैसी अनेक कहानियां अपनी-अपनी भाषाओं में सुनी, समझीं हैं, लेकिन उनमें से किसी को अपनी जिंदगी में शामिल नहीं किया है. इन्हें जीवन में शामिल कीजिए, इससे हम अधिक सरल, विश्वास और प्रेम करने वाले बन जाएंगे. एक जिंदगी को सफल होने के लिए इससे अधिक कुछ नहीं चाहिए.
(लेखक ज़ी न्यूज़ में डिजिटल एडिटर हैं)
(https://twitter.com/dayashankarmi)
(अपने सवाल और सुझाव इनबॉक्स में साझा करें: https://www.facebook.com/dayashankar.mishra.54)