अनजाना प्रदूषण जो बुन रहा मुश्किलों की दुनिया...
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अनजाना प्रदूषण जो बुन रहा मुश्किलों की दुनिया...

संचार-तकनीकी की क्रांति के इस दौर में महज कुछ क्लिक्स के जरिये हम अपनी बातें दुनिया के सामने रख सकते हैं। फेसबुक, ट्वीटर, ब्लॉगर, व्हाट्सएप्प जैसे प्लेटफॉर्म के रूप में निश्चित रूप से अभिव्यक्ति को पंख लग गये हैं। लेकिन सूचनाओं के इस जाल में फैली गलत जानकारियों ने भयंकर अनिश्चितता पैदा कर दी है। यदि अभी इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं तो जरा इतिहास पर गौर कीजिये। एक ही घटना को लेकर कई तरह की विरोधाभासी जानकारियां सामने आएगी। पब्लिक रिलेशंस सोसायटी ऑफ अमेरिका द्वारा कुछ सालों पहले किये गये एक सर्वे के मुताबिक विकीपीडिया पर करीब 20 फीसदी जानकारियां गलत होती हैं।

गलतियों की ऐसी नायाब मिसालें जिन्हें पढ़कर आप चौंक जाएंगे

विकीपीडिया पर कई ऐसे युद्धों (जैसे 1640 में पुर्तगाली-मराठा युद्ध की जानकारी, जिसे बाद में डिलीट किया गया) का भी जिक्र है जो वास्तव में हुए ही नहीं। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की जन्म वर्ष कहीं 1940 तो कहीं 1937 बताया गया है। गूगल पर कई धर्म विशेष के उन नेताओं के बच्चों की शादी दूसरे धर्मों में कराने की जानकारी भी है जिन्होंने खुद ही शादी नहीं की फिर उनके बच्चों की शादी समझ से परे है। ये महज कुछ उदाहरण हैं। भावनाओं की अभिव्यक्ति या अपने खास एजेंडा को आगे बढ़ाने की जिद में ऐसे कई तथ्य फैलाए जा रहे हैं, जिनका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। फिर शेयरिंग के रूप में इनकी ऐसी बंदरबांट होती है कि जंगल की आग की तरह चारों ओर फैल जाते हैं। ऐसे में यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि क्या सही है और क्या गलत। 

शेयरिंग में दें समझदारी का परिचय

इन्फॉर्मेशन एक्सचेंज के संबंध में एक और बात गौर करने लायक है। अक्सर हमें ऐसे मैसेज भी मिलते हैं, जब किसी दुर्घटना में परिजनों तक जानकारी पहुंचाने के लिये पीड़ित व्यक्ति की फोटो या खून आदि की आवश्यकता के लिये नंबर आदि शेयर किये जाते हैं। ये सिस्टम का बेहतरीन उपयोग है, लेकिन ऐसी जानकारी के साथ घटना की तारीख, स्थान आदि जरूरी जानकारियां शेयर करना ना भूलें। अन्यथा कई बार काफी समय पुरानी सूचनाएं भी व्यक्ति दर व्यक्ति घूमती रहती है, जो समय और डेटा की बर्बादी से ज्यादा कुछ नहीं है। कई बार देवी-देवताओं, पीर-पैगंबर, धर्मगुरु आदि का नाम लिखकर सौ लोगों को भेजने का फरमान भी सुनाया जाता है। रोचक बात यह है कि भेजने पर अच्छी खबर और ना भेजने पर भयंकर नुकसान की 'टर्म्स एंड कंडीशन' भी लगी होती है। अपनी साक्षरता और समझदारी का सबूत देते हुए ऐसी पोस्ट शेयर करने से बचें, क्योंकि कभी-भी हमारे आराध्य शेयरिंग के जरिये अपने प्रचार के बदले कल्याण का ऑफर लॉन्च नहीं करते। 

ऐसे बनें स्मार्ट इंटरनेट यूजर

वैसे, पूरी उम्मीद है कि इस समस्या के लिये आप सरकार, सायबर पुलिस या इंटरनेट को दोषी नहीं मान रहे होंगे और समाधान के लिये किसी कानून की प्रतीक्षा में नहीं होंगे। यह समस्या हमने खड़ी की है और हल भी हमारे पास ही है। ‘हम सुधरेंगे, युग सुधरेगा’ की तर्ज पर एक कदम हम अपनी ओर से बढ़ाना चाहिये। क्यों ना आज से किसी भी तरह की जानकारी पोस्ट या शेयर करने से पहले उसे क्रॉस चैक किया जाए। यदि समय की कमी के चलते पुष्टि ना कर पाएं तो खुद को हीन महसूस करने की गलती बिल्कुल ना करें, बल्कि शेयरिंग या पोस्टिंग करने का समय भी बचा लीजिये। क्योंकि इंटरनेट पर वैसे ही अथाह ज्ञान बंट रहा है। ऐसे में ‘समथिंग इज बेटर देन नथिंग’ के सिद्धांत पर गलत जानकारी देने से अच्छा है ‘राइट ऑर नथिंग’ के सिद्धांत पर चुप रहकर अपनी स्मार्टनेस का परिचय दिया जाए।

और हां ! एक बेहद जरूरी बात- इस लेख की सभी जानकारियां पूरी तरह से सही हैं और पूरी जिम्मेदारी के साथ लिखी गई है, ऐसे में इसकी शेयरिंग करना इन्फॉर्मेशन-टेक्नोलॉजी सिस्टम की सेहत के लिये बेहद लाभदायक होगा। करके देखिये... अच्छा लगता है।

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