WTO में खाद्य सुरक्षा के मुद्दे का स्थायी समाधान जरूरी : भारत
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WTO में खाद्य सुरक्षा के मुद्दे का स्थायी समाधान जरूरी : भारत

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि विकासशील देशों को अपनी गरीब आबादी का पेट भरने के लिए खाद्य भंडारों के इस्तेमाल की आजादी होनी चाहिए और इस मामले में ‘किसी प्रकार की पाबंदी का खतरा नहीं हो।’ भारत ने इसी संदर्भ में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों में बदलाव कर खाद्य सुरक्षा के मुद्दे का स्थायी हल निकाले जाने पर बल दिया है।

संयुक्त राष्ट्र : भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि विकासशील देशों को अपनी गरीब आबादी का पेट भरने के लिए खाद्य भंडारों के इस्तेमाल की आजादी होनी चाहिए और इस मामले में ‘किसी प्रकार की पाबंदी का खतरा नहीं हो।’ भारत ने इसी संदर्भ में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों में बदलाव कर खाद्य सुरक्षा के मुद्दे का स्थायी हल निकाले जाने पर बल दिया है।

संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन के दूत अमित नारंग ने संयुक्तराष्ट्र महासभा में ‘वृहत् आर्थिक नीतियों के सवाल : अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं विकास’ विषय पर चर्चा में कहा, ‘विकासशील देशों में खाद्य सुरक्षा का मुद्दा गरीबी उन्मूलन एवं सतत विकास का केंद्रीय मुद्दा है। इसे यदि ज्यादा नहीं तो कम से कम उतना ही महत्व दिया जाना चाहिए, जितना अन्य मुद्दों को दिया जाता है।’ उन्होंने कहा कि यह विडंबना ही है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय खाद्य सुरक्षा को 2015 पश्चात के विकास एजेंडे का हिस्से के तौर पर उच्च प्राथमिकता प्रदान कर रहा है पर विश्व व्यापार नियमों में इस महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के संबंध में अनिच्छा दिखती है।

नारंग ने कहा ‘विश्व व्यापा संगठन के नियमों में आवश्यक बदलाव के साथ खाद्य सुरक्षा का स्थायी समाधान आवश्यक है और इसे खारिज नहीं किया जा सकता।’ नारंग ने कहा कि भारत ने दिसंबर 2013 में बाली में हुए विश्व व्यापार संगठन के नौवें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में अच्छे इरादे और सक्रियता के साथ भागीदारी की थी और देश बाली में हुए फैसलों के प्रति प्रतिबद्ध है जिसमें व्यापार को और सुगम बनाने का समझौता भी शामिल है।

नारंग ने कहा, ‘भारत बाली में हर फैसलों पर हस्ताक्षर किये और इससे पीछे हटने की उसकी कोई मंशा नहीं है। चिंता यह है कि बाली पैकेज में विषमताओं के कारण भारत को यह मुद्दा (खाद्य सुरक्षा के विषय में स्थायी समाधान का मुद्दा) उठाने के लिए बाध्य होना पड़ा।’’ उन्होंने कहा कि डब्ल्यूटीओ में सारा ध्यान व्यापार सुविधा के समझौते पर केंद्रित है और खाद्य सुरक्षा संबंधी समझौतों का ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

 

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