अतिरिक्त स्पेक्ट्रम : आरोप तय करने पर 15 अक्तूबर को आदेश सुनाएगी कोर्ट
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अतिरिक्त स्पेक्ट्रम : आरोप तय करने पर 15 अक्तूबर को आदेश सुनाएगी कोर्ट

विशेष टू जी अदालत ने कहा कि 2002 के अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में आरोप तय करने पर अपना आदेश वह 15 अक्तूबर को सुनाएगी जिसमें पूर्व दूरसंचार सचिव श्यामल घोष और तीन दूरसंचार कंपनियां आरोपी हैं।

अतिरिक्त स्पेक्ट्रम : आरोप तय करने पर 15 अक्तूबर को आदेश सुनाएगी कोर्ट

नई दिल्ली : विशेष टू जी अदालत ने कहा कि 2002 के अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में आरोप तय करने पर अपना आदेश वह 15 अक्तूबर को सुनाएगी जिसमें पूर्व दूरसंचार सचिव श्यामल घोष और तीन दूरसंचार कंपनियां आरोपी हैं।

विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओ पी सैनी आरोप तय करने पर और साथ ही घोष की जमानत याचिका पर आदेश जारी करने वाले थे लेकिन यह कहते हुए उन्होंने फैसला टाल दिया कि आदेश अभी तैयार नहीं है। न्यायाधीश ने कहा, ‘मामले में विशाल रिकॉर्ड के कारण आदेश तैयार नहीं हुआ है। आदेश के लिए 15 अक्तूबर की तारीख निर्धारित की जाती है।’ संक्षिप्त सुनवाई में कुछ आरोपियों ने अदालत के समक्ष लिखित आवेदन दिया जिसे रिकार्ड पर रख लिया गया है।

सीबीआई ने दूरसंचार विभाग (डॉट) द्वारा अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में घोष और तीन दूरसंचार कंपनियों - हचिसन मैक्स (प्राइवेट) लिमिटेड, स्टर्लिंग सेलुलर लिमिटेड और भारती सेलुलर लिमिटेड पर आरोपपत्र दाखिल किया है। अतिरिक्त आवंटन से राजस्व को कथित तौर पर 846.44 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ। 1965 बैच के सेवानिवृत्त अधिकारी घोष सात फरवरी 2000 से 31 मई 2002 के बीच दूरसंचार सचिव थे।

आरोपों पर जिरह के दौरान सीबीआई ने कहा था कि घोष ने ‘कौड़ियों के भाव’ में दूरसंचार कंपनियों को अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन कर दिया जिससे राजस्व का भारी नुकसान हुआ। घोष ने सीबीआई की दलीलों के जवाब में कहा कि अतिरिक्त रेडियो तरंगों का लाभ केवल निजी कंपनियों को ही नहीं मिला बल्कि सरकारी एमटीएनएल और बीएसएनएल को भी इसका फायदा हुआ। उन्होंने यह भी दावा किया कि यह नहीं कहा जा सकता कि निजी कंपनियों को फायदे के लिए आवंटन किया गया और जोर दिया कि उन्होंने किसी भी तरह से पद का दुरूपयोग नहीं किया।

इसी तरह आरोपी कंपनियों ने सीबीआई की कथित नुकसान की दलील पर यह कहा कि उन्हें अतिरिक्त रेडियो तरंगें आवंटित की गयी जिससे सरकार को फायदा हुआ। अपने आरोपपत्र में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि घोष ने ‘जानबूझकर और गलत इरादे’ से दूरसंचार विभाग के तत्कालीन सदस्य (वित्त) की टिप्पणी नहीं ली जबकि मामले से बड़ी वित्तीय जटिलताएं जुड़ी थी। सभी आरोपियों के खिलाफ कथित अपराध के लिए आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत आरोपपत्र दाखिल किया गया है।

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