वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नुकसान में चल रही एयर इंडिया के विनिवेश का समर्थन करते हुए कहा है कि विमानन कंपनी की बाजार हिस्सेदारी सिर्फ 14 प्रतिशत रह गयी है जबकि इसका ऋण भार 50,000 करोड़ रुपए का है. मौजूदा राजग सरकार की ओर से एयर इंडिया में हिस्सेदारी की संभावित बिक्री का यह स्पष्ट संकेत है.
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नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नुकसान में चल रही एयर इंडिया के विनिवेश का समर्थन करते हुए कहा है कि विमानन कंपनी की बाजार हिस्सेदारी सिर्फ 14 प्रतिशत रह गयी है जबकि इसका ऋण भार 50,000 करोड़ रुपए का है. मौजूदा राजग सरकार की ओर से एयर इंडिया में हिस्सेदारी की संभावित बिक्री का यह स्पष्ट संकेत है.
जेटली ने ‘डायलॉग एट डीडी न्यूज’ कार्यक्रम में कहा कि एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी आज करीब 14 प्रतिशत है और इसका कर्ज 50,000 करोड़ रुपए का है जबकि सरकार ने निजी विमानन कंपनियों में पैसा नहीं लगाया है. उन्होंने कहा कि एयर इंडिया को चलाने के लिए करीब 50,000 करोड़ रुपए लगाए गए हैं. उस राशि का उपयोग शिक्षा को बढ़ावा देने पर किया जा सकता था.
जेटली ने कहा, ‘इस देश में, अगर 87 या 86 प्रतिशत उड़ान निजी कंपनियों द्वारा संचालित हो सकती हैं..तो वे 100 प्रतिशत भी कर सकते हैं.’ उन्होंने कहा कि 1999-2000 में जब वह कुछ समय के लिए नागर विमानन मंत्री थे, उन्होंने एयर इंडिया के विनिवेश की वकालत की थी. उन्होंने दलील दी थी कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो विनिवेश के लिए कुछ भी नहीं बचेगा. यह करीब 18 साल पहले की बात है.