प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत ब्रिक्स बैंक को विशेषरूप से उभरती अर्थव्यवस्थाओं की ‘समावेशी और संवेदनशील’ जरूरतों का वित्तपोषण करने में मार्गदर्शन करेगा। ब्रिक्स के सदस्य देशों की ओर से गठित 50 अरब डॉलर के ब्रिक्स बैंक को विश्व बैंक के प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जा रहा है।
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अंतालिया : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत ब्रिक्स बैंक को विशेषरूप से उभरती अर्थव्यवस्थाओं की ‘समावेशी और संवेदनशील’ जरूरतों का वित्तपोषण करने में मार्गदर्शन करेगा। ब्रिक्स के सदस्य देशों की ओर से गठित 50 अरब डॉलर के ब्रिक्स बैंक को विश्व बैंक के प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जा रहा है।
ब्रिक्स राष्ट्रों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) ने रविवार को नव विकास बैंक (एनडीबी) की स्थापना और कठिन समय में सहायता के लिए गठित किये जा रहे 100 अरब डॉलर के ‘नकदी के आरक्षित-कोष’ के गठन की दिशा में हुई प्रगति की समीक्षा की।
भारत जैसी विश्व की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक मंचों पर अब अपने लिए अधिक प्रभावी भूमिका चाहती हैं। यहां जी-20 की शिखर बैठक के दौरान अलग से ब्रिक्स की यह बैठक आयोजित की गई। समूह ने नव विकास बैंक की 50 अरब डॉलर की शुरुआती पूंजी के साथ स्थापना को लेकर हुई प्रगति की समीक्षा की।
ब्रिक्स देशों के नव विकास बैंक का मुख्यालय चीन में बनाया गया है और इस बैंक का पहला अध्यक्ष भारत है। मोदी ने ब्रिक्स बैठक में कहा, 'भारत ब्रिक्स को बहुत महत्व देता है। हम 1 जनवरी 2016 से ब्रिक्स का चेयरमैन पाने को लेकर बहुत सम्मानित महसूस कर रहे हैं। भारत की ब्रिक्स की अध्यक्षता की सोच है- BRICS: बिल्डिंग रेस्पांसिव, इन्क्लूसिव एंड कलेक्टिव सॉल्यूशन (संवेदनशील, समावेशी और सामूहिक समाधान का निर्माण), जो हमारे समूह के चरित्र को दर्शाता है।'