दालों पर टैक्स नहीं लगायें, जमाखोरों के खिलाफ कड़ी कारवाई करें राज्य: पासवान
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दालों पर टैक्स नहीं लगायें, जमाखोरों के खिलाफ कड़ी कारवाई करें राज्य: पासवान

केन्द्र ने आने वाले महीनों में दाल के दाम बढ़ने के मद्देनजर शनिवार को राज्य सरकारों से कहा है कि वह दालों पर वैट और मंडी कर जैसे स्थानीय कर नहीं लगाएं। दालों की उपलब्धता बढ़ाने और दाम कम रखने के लिये राज्यों से जमाखोरों के खिलाफ कड़ी कारवाई करने को कहा गया है।

दालों पर टैक्स नहीं लगायें, जमाखोरों के खिलाफ कड़ी कारवाई करें राज्य: पासवान

नयी दिल्ली: केन्द्र ने आने वाले महीनों में दाल के दाम बढ़ने के मद्देनजर शनिवार को राज्य सरकारों से कहा है कि वह दालों पर वैट और मंडी कर जैसे स्थानीय कर नहीं लगाएं। दालों की उपलब्धता बढ़ाने और दाम कम रखने के लिये राज्यों से जमाखोरों के खिलाफ कड़ी कारवाई करने को कहा गया है।

केन्द्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कीमतों पर राज्यों के खाद्य मंत्रियों के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि सरकार दालों का बफर स्टॉक मौजूदा डेढ़ लाख टन से बढ़ाकर विभागीय समिति की सिफारिश के मुताबिक नौ लाख टन करेगी। उन्होंने कहा कि खाद्यान्नों की मांग एवं आपूर्ति, उनके उत्पादन संबंधी अनुमान के बारे में समय पर जानकारी देने के लिये निजी एजेंसी की सेवायें लेने पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है ताकि सही समय पर नीतिगत कदम उठाये जा सकें।

स्थानीय करों से छूट देने के अलावा पासवान ने राज्यों से अपने खुद के मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाने को भी कहा है। इन कोषों से राज्यों में दालों और दूसरी आवश्यक उपभोग की वस्तुओं के दाम पर अंकुश रखा जा सकेगा। उचित दाम पर माल की सामान्य आपूर्ति बनी रहे इसके लिये राज्यों से दालों के आयातकों, मिलों, व्यापारियों और उत्पादकों के लिये स्टॉक सीमा तय करने को भी कहा गया है।

पासवान ने कहा, ‘दालों, खाद्य तेलों, चीनी और आलू को छोड़कर अन्य सभी उपभोक्ता जिंसों के दाम नियंत्रण में हैं। जहां तक दालों की बात है इनके दाम मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन की वजह से बढ़े हैं।’ सूखे की वजह से पिछले दो साल के दौरान दालों की मांग और आपूर्ति का फासला बढ़ा है। दालों का उत्पादन करीब 1.70 करोड़ टन है जबकि इनकी मांग 2.36 करोड़ टन तक है। भारत ने हालांकि 2015-16 में 55 लाख टन दालों का आयात किया है, इसके बावजूद 10 लाख टन दालों की कमी है जिससे इनके दाम पर दबाव बढ़ा है।

आने वाले महीनों में दालों के दाम नहीं बढ़ें इसके लिये पासवान ने कहा, ‘हमने राज्यों से दालों को वैट और दूसरे स्थानीय करों से मुक्त रखने को कहा है। इससे दालों के दाम 5 से 7 प्रतिशत कम होंगे।’ दाल दलहन जैसे खाद्य पदाथोर्ं के दाम जमाखोरी और व्यापारियों की साठगांठ की वजह से अचानक बढ़ते हैं। पासवान ने कहा, ‘सीमा से जुड़े राज्यों में व्यापारी उपभोक्ता जिंसों की जमाखोरी करते हैं जहां स्टॉक सीमा नहीं लगाई गई है। इसलिये सभी राज्यों को स्टॉक सीमा लगानी चाहिये और इसका पालन करना चाहिये।’ यह पूछे जाने पर कि निजी आयातकों को अपने आयात अनुबंधों को पंजीकृत कराने को कहा जायेगा? इसके जवाब में पासवान ने कहा, ‘हम इंस्पेक्टर राज नहीं चाहते हैं लेकिन इसके साथ ही सरकार को समय पर सही जानकारी मिलनी चाहिये।’ सरकारी आंकड़े बताते हैं कि उड़द का दाम 196 रुपये किलो और तुअर दाल 170 रुपये और चना दाल आज 90 रपये किलो रही है। बहरहाल, देश के 93 केन्द्रों पर औसत भाव यदि देखे जायें तो उड़द का औसत दाम 170 रुपये, अरहर का 140 रुपये और चना दाल 70 रुपये किलो रही है।

पासवान ने राज्यों से मूल्य वृद्धि रोकने पर एक टीम की तरह काम करने का आग्रह करते हुये कहा, ‘आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ने का हर किसी पर प्रभाव पड़ता है। कुछ मूल्यवृद्धि वैध होती है लेकिन जब कार के दाम दोगुने होते हैं तो कोई उसको लेकर मुद्दा नहीं बनाता है लेकिन यदि आवश्यक वस्तुओं के दाम 10 रपये से बढ़कर 20 रुपये हो जायें तो काफी होहल्ला मचाया जाता है।’ पासवान ने दालों की कमी को देखते हुये सरकारी एजेंसियों से दीर्घकालिक आयात अनुबंध करने को कहा है ताकि इनका बफर स्टॉक बढ़ाया जा सके। राज्य सरकारों से दालों के लिये कोल्ड स्टोर सुविधा स्थापित करने को भी कहा गया है।

खाद्य सुरक्षा कानून के बारे में पासवान ने कहा कि 33 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों ने इसे लागू कर दिया है। शेष बचे तीन राज्य इसे जुलाई तक लागू कर देंगे। खाद्य मंत्री ने राशन की दुकानों का एक सिरे से दूसरे सिरे तक कंप्यूटरीकरण कार्यक्रम पूरा करने पर जोर देते हुये कहा कि इन्हें 554 एफसीआई डिपो से जोड़ा जायेगा। इन्हें जुलाई तक ऑनलाइन कर दिया जायेगा। इससे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में खाद्यान्नों की लीकेज को रोकने में मदद मिलेगी और पारदर्शिता बढ़ेगी। उनहोंने खाद्यान्नों की खरीद में विकेन्द्रीकरण पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि शेष 10 राज्यों में इसे बढ़ाया जाना चाहिये। इसके साथ ही राज्यों से राशन कार्ड के साथ आधार नंबर को जोड़ने को भी कहा गया है।

इससे पहले कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने राज्यों से दालों और तिलहनों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने इसके लिये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन सहित विभिन्न केन्द्रीय योजनाओं के कोषों को इस्तेमाल में लाने को कहा। उन्होंने राज्यों से सक्रिय उपाय करते हुये खाद्य पदाथोर्ं के दाम नियंत्रित करने में सहयोग करने को भी कहा। राधामोहन सिंह ने कहा कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने पर काम कर रही है। वर्ष 2015-16 में सूखा पड़ने के बावजूद खाद्यान्न उत्पादन इससे पिछले वर्ष के मुकाबले कुछ बेहतर रहने की उम्मीद है। बैठक में दस से अधिक राज्यों के खाद्य मंत्री उपस्थित थे जबकि अन्य राज्यों का प्रतिनिधित्व उनके खाद्य एवं उपभोक्ता सचिवों ने किया।

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