सीआईआई ने वित्त मंत्रालय को सौंपी अपनी बजट पूर्व सिफारिशों में सुझाव दिया है कि व्यक्तिगत आयकर के सबसे ऊंचे स्लैब को भी 30 से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया जाना चाहिये.
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नई दिल्ली: भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सरकार से आगामी आम बजट में आयकर छूट की सीमा को दोगुना कर पांच लाख रुपये करने का आग्रह किया है. उद्योग मंडल ने इसके साथ ही बचत को प्रोत्साहन देने के लिए धारा 80सी के तहत कटौती की सीमा को बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये करने की भी मांग की है. आम बजट एक फरवरी को पेश किया जाना है.
सीआईआई ने वित्त मंत्रालय को सौंपी अपनी बजट पूर्व सिफारिशों में सुझाव दिया है कि व्यक्तिगत आयकर के सबसे ऊंचे स्लैब को भी 30 से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया जाना चाहिये. इसके अलावा चिकित्सा खर्च और परिवहन भत्ते पर भी आयकर छूट मिलनी चाहिये. वर्तमान में व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये है. ढाई लाख से पांच लाख रुपये की आय पर पांच प्रतिशत कर लगता है. वहीं 5 से 10 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत तथा 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत आयकर लगता है.
SBI की रिपोर्ट में कहा गया, आयकर छूट सीमा बढ़ाकर इतने लाख करने की जरूरत
सीआईआई ने सुझाव दिया है कि पांच लाख रुपये तक की आय को करमुक्त किया जाए. इसके अलावा 5-10 लाख रुपये की आय पर कर की दर घटाकर 10 प्रतिशत और 10 से 20 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत तथा 20 लाख रुपये से अधिक की आय पर 25 प्रतिशत आयकर लगाया जाना चाहिये.
आगामी आम चुनाव के मद्देनजर वित्त मंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को 2019-20 के लिए अंतरिम बजट पेश करेंगे. उसके बाद चुनकर आने वाली नयी सरकार ही पूर्ण बजट पेश करेगी. सीआईआई ने यह भी सुझाव दिया है कि सभी कंपनियों के लिये कॉरपोरेट कर की दर को घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया जाना चाहिये. बाद में इसे चरणबद्ध तरीके से घटाकर 18 प्रतिशत पर लाया जाए.
उद्योग मंडल ने यह भी कहा है कि आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत कर कटौती सीमा को 1.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये किया जाना चाहिये. सीआईआई ने कहा है कि चिकित्सा खर्च और परिवहन भत्ते की प्रतिपूर्ति की छूट फिर से लाई जानी चाहिये और इसके साथ ही 40,000 रुपये की मानक कटौती को भी लागू रखा जाना चाहिये. उद्योग संगठन ने कहा है कि दीर्घकालिक पूंजीगत नुकसान को अल्पकालिक पूंजी लाभ के साथ समायोजन की अनुमति होनी चाहिये.
(इनपुट-भाषा)