नौकरी करने वालों के लिए झटका! मिनिमम वेज और बोनस काटने के चक्कर में कंपनियां
Advertisement

नौकरी करने वालों के लिए झटका! मिनिमम वेज और बोनस काटने के चक्कर में कंपनियां

एम्प्लॉयर्स एसोसिएशन के तत्वाधान में कंपनियों के प्रतिनिधि श्रम मंत्री संतोष गंगवार से मिले.

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली: अगर आप किसी कंपनी में नौकरी (Job) करते हैं तो यह खबर आपके लिए है. साल में आपको जो बोनस मिलता है और महीने में सैलरी के जो मिनिमम रुपये मिलते हैं, उस पर कंपनियों की नजर है. कंपनियां चाहती हैं कि दो-तीन साल के लिए ऐसा नियम बन जाए कि यह देना ही न पड़े. कंपनी अपने हिसाब से नियम बनाकर ऐसा करना चाहती हैं. कंपनियों ने ये सुझाव केंद्र सरकार को दिए हैं. कंपनियों की ये बात अगर सरकार ने मानी तो यह नियम लागू भी हो सकते हैं.

  1. कंपनियां चाहती हैं कि दो-तीन साल के लिए कर्मचारियों का मिनिमम वेज नहीं देना पड़े
  2. कंपनियां कर्मचारियों को साल में मिलने वाला बोनस भी नहीं देना चाहती हैं
  3. केंद्र सरकार को सुझाव दिया गया कि काम करने का वक्त 12 घंटे तक बढ़ाया जाए

एम्प्लॉयर्स एसोसिएशन के तत्वाधान में कंपनियों के प्रतिनिधि श्रम मंत्री संतोष गंगवार से मिले. फिर एसोसिएशन ने कुछ सुझाव दिए हैं. सरकार से अनुरोध किया गया है कि दो-तीन साल के लिए लेबर कानूनों में छूट दी जाए ताकि कर्मचारियों को न तो मिनिमम वेज देना पड़े और न ही बोनस देना पड़े.

जो सैलरी वर्कर्स को देंगे या जो दिहाड़ी वर्कर्स को देंगे वो Corporate Social Responsibility के अंतर्गत आए. इसके तहत कंपनियों को भलाई के काम में सरकार छूट देती है.

ये भी पढ़ें- 'वंदे भारत मिशन' पर नागरिक उड्डयन मंत्री का बयान, बताया कितने भारतीयों को लाने का है पूरा प्लान

काम करने का वक्त 12 घंटे तक बढ़ाया जाए
यह भी कहा कि काम करने के वक्त को 12 घंटे तक बढ़ा दिया जाए. श्रमिकों के साथ होने वाले विवाद के लिए डिस्प्यूट एक्ट में भी छूट दी जाए ताकि लेबर मामलों में मुकदमेबाजी का चक्कर कम हो.कारखाना चलाने के लिए मिनिमम 50% कर्मचारी की अनुमति दी जाए. अभी‌ लॉकडाउन खुलने के बाद एक तिहाई कर्मचारी के लिए अनुमति मिली है.

पीएम गरीब कल्याण योजना में पीएफ वाली योजना का फायदा कंपनियों को ज्यादा दिया जाए. इस योजना में सरकार कर्मचारी और कंपनी दोनों का हिस्सा सरकार जमा करती है. इसके अलावा कंपनी चलाने के लिए सरकार पैकेज दे, साथ ही बिजली की सप्लाई पर सब्सिडी दी जाए.

माइग्रेंट लेबर का डेटाबेस बने, लेबर को पूरी सहायता दी जाए. कर्मचारी और कंपनी की तरफ से कर्मचारी की सामाजिक सुरक्षा में खर्चे को घटाया जाए.

सारे सुझावों को सुनने के बाद श्रम मंत्री संतोष गंगवार और श्रम मंत्रालय में सचिव हीरानंद सांवरिया ने कंपनियों को आश्वासन दिया कि कोरोना संकटकाल में कंपनियों की यथासंभव सहायता की जाएगी.

ये भी देखें-

Trending news