मिस्त्री ने टाटा से किसी समझौते की संभावना को नकारा, लड़ने का संकल्प
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मिस्त्री ने टाटा से किसी समझौते की संभावना को नकारा, लड़ने का संकल्प

टाटा समूह के चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा के साथ किसी समझौते या संधि की संभावना को खारिज किया है। मिस्त्री के अनुसार उनकी लड़ाई 103 अरब डॉलर के टाटा समूह के साथ संचालन के बड़े मुद्दे को लेकर है और वे इसे समूह में अपने परिवार की 18.5 प्रतिशत हिस्सेदारी को छोड़े बिना ही लड़ेंगे।

मिस्त्री ने टाटा से किसी समझौते की संभावना को नकारा, लड़ने का संकल्प

मुंबई : टाटा समूह के चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा के साथ किसी समझौते या संधि की संभावना को खारिज किया है। मिस्त्री के अनुसार उनकी लड़ाई 103 अरब डॉलर के टाटा समूह के साथ संचालन के बड़े मुद्दे को लेकर है और वे इसे समूह में अपने परिवार की 18.5 प्रतिशत हिस्सेदारी को छोड़े बिना ही लड़ेंगे।

मिस्त्री ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘मैं इसके लिए लड़ूंगा। मैं इसके लिए लड़ा हूं.. हम 50 साल से यहां हैं कोई एक दिन या दो दिन से नहीं।’ उल्लेखनीय है कि मिस्त्री ने कल ही टाटा समूह की छह कंपनियों के निदेशक मंडलों से हटने की घोषणा की और कहा कि वह टाटा के खिलाफ अपनी लड़ाई अदालतों में ले जाएंगे।

उन्होंने कहा, ‘यह किसी कारोबारी समूह की लड़ाई नहीं है। यह वैसी चीज नहीं है। अगर ऐसी बात होती तो मैं पद पर बना रहता। इसलिए मैं पद से हटा हूं क्योंकि मैं यह कोई पद या ताकत के लिए नहीं कर रहा हूं।’ अगर वे अदालतों में लड़ाई हार जाते हैं तो क्या उनका परिवार टाटा संस में अपनी हिस्सेदारी बेचेगा, यह पूछे जाने पर उनका जवाब नकारात्मक रहा।

उल्लेखनीय है कि टाटा संस टाटा समूह की धारक कंपनी है। इसमें मिस्त्री के परिवार का हिस्सा 18.4 प्रतिशत है और इसका मूल्य लगभग एक लाख करोड़ रुपये आंका गया है। इस तरह से मिस्त्री परिवार पांच दशकों से टाटा समूह में गैर-प्रवर्तक समूह निवेशक बना हुआ है।

उल्लेखनीय है कि मिस्त्री ने कल अचानक ही समूह की छह कंपनियों के निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया। इन कंपनियों के निदेशक मंडल की असाधारण आम बैठकें होनी थीं जिनमें मिस्त्री को निदेशक मंडल से हटाने के प्रस्ताव पर फैसला किया जाना था।

क्या किसी समझौते की गुंजाइश है यह पूछे जाने पर मिस्त्री ने अपनी लड़ाई व देश के अन्य औद्योगिक घरानों पर नियंत्रण के लिए पारिवारिक लड़ाइयों में अंतर समझाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई नैतिकता व कपंनी संचालन से जुड़े बड़े मुद्दों को लेकर है वह भी उस कपंनी में जिसे देश के सबसे प्रतिष्ठित औद्योगिक घरानों में से एक माना जाता है।

इसके साथ ही मिस्त्री ने टाटा संस के निदेशक मंडल में और अधिक पद चाहने से भी इनकार किया। इस समय में वे बोर्ड में अपने परिवार के एकमात्र प्रतिनिधि हैं और इससे हटने से इनकार किया है।

मिस्त्री ने कहा, ‘मैं बोर्ड पदों की उम्मीद नहीं कर रहा। मैं अच्छे कंपनी संचालन की उम्मीद कर रहा हूं। देखें कि की भविष्य में क्या होगा।’ उल्लेखनीय है कि मिस्त्री 149 साल पुरानी नमक से लेकर सॉफटवेयर बनाने वाले इस कंपनी समूह का मुखिया बनने वाले पहले ऐसे व्यक्ति रहे जो टाटा परिवार से नहीं हैं। मिस्त्री को 24 अक्तूबर 2016 को टाटा संस के चेयरमन पद से अचानक हटा दिया गया। उनकी जगह रतन टाटा को अंतरिम चेयरमैन बनाया गया है। मिस्त्री का कहना है कि वे कंपनी संचालन में गड़बड़ियों को सामने लाने का प्रयास कर रहे थे इसलिए उन्हें हटा दिया गया।

मिस्त्री ने अपनी कार्रवाई से मूल्य ह्रास को लेकर निवेशकों के क्षोभ पर कहा कि हमेशा ही परिणामों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई नहीं की जाती। जो सही है उसके पक्ष में खड़ा होने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘आखिर में हर किसी को उचित वजह से सही फैसला करना होता है। मेरी राय में जब आप कोई फैसला करते हैं तो इस आधार पर करते हैं कि सही परिणाम क्या होगा न कि आप सुविधाजनक परिणाम को ध्यान में रखते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘अगर हम सभी, चीजों को कालीन के नीचे छुपाना चाहें तो हम कोई फैसला नहीं करेंगे।’ मिस्त्री ने कहा कि कंपनी संचालन व नैतिकता के मोर्चे पर उनकी कार्रवाईयों से ही टाटा बेचैन हो गए और शायद इसी कारण उन्हें 24 अक्तूबर को अचानक हटा दिया गया।

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