रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2022 तक 17 अरब डॉलर हो सकता है: रिपोर्ट
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रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2022 तक 17 अरब डॉलर हो सकता है: रिपोर्ट

सरकार रक्षा उपकरण निर्माण अभियान सफल रहा तो इस क्षेत्र का उत्पादन सात गुना बढ कर वार्षिक 41 अरब डॉलर तक और इसका निर्यात करीब 17 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। यह बात एक रिपोर्ट में कहा गई। भारत रक्षा उपकरणों का सबसे बड़ा आयातक है।

मुंबई : सरकार रक्षा उपकरण निर्माण अभियान सफल रहा तो इस क्षेत्र का उत्पादन सात गुना बढ कर वार्षिक 41 अरब डॉलर तक और इसका निर्यात करीब 17 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। यह बात एक रिपोर्ट में कहा गई। भारत रक्षा उपकरणों का सबसे बड़ा आयातक है।

मोदी सरकार ने रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ा कर 49 प्रतिशत कर दिया है और पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उन्नत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण होने की स्थिति में बहुराष्ट्रीय कंपनियांे को बहुलांश स्वामित्व भी दिया जा सकता है।

सेंट्रम ग्रुप की एक रपट के मुताबिक यदि स्थानीय तौर पर विनिर्माण को आगे बढ़ाया गया तो रक्षा और वैमानिकी निर्यात 2022 तक वाषिर्क 16.6 अरब डालर के स्तर को छू सकता है जबकि घरेलू कंपनियों का उत्पादन इस दौरान सात गुना वृद्धि कर 41 अरब डालर के स्तर को छू सकता। 2014 में घरेलू रक्षा उद्योग छह अरब डालर का था। सेंट्रम के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संदीप उपाध्याय द्वारा तैयार रपट में कहा गया कि उक्त 41 अरब डालर के कारोबार में घरेलू मांग का योगदान 60 प्रतिशत और निर्यात का योगदान 40 प्रतिशत होगा। उन्होंने यह भी अनुमान जताया कि वित्त वर्ष 2013-14 से 2021-22 के बीच संचयी रक्षा बजट 620 अरब डालर का होगा जिसका 50 प्रतिशत पूंजीगत मदों में व्यय किया जाएगा।

2013-14 से 2021-22 के दौरान हथियारों की खरीद पर 251 अरब डालर खर्च होने का अनुमान है जिसमें से आयातित उपकरणों पर खर्च 146 अरब डालर होने का अनुमान है। रपट में यह भी अनुमान जताया गया है कि इस दौरान घरेलू कंपनियों से शस्त्र खरीद बढ़कर 24 अरब डालर तक पहुंच जाएगी। 2013-14 में यह चार अरब डालर थी। घरेलू कंपनियों से खरीद 23 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ेगी क्योंकि आधे रक्षा उपकरण अब पुराने हो चुके हैं।

इस बीच मीडिया में आई खबरों में कहा है गया कि निखिल गांधी द्वारा प्रवर्तित पीपावाव डिफेंस बिक रही है जिसे महिंद्रा और हीरो मोटोकार्प के मुंजाल खरीदना चाहते हैं। रक्षा क्षेत्र में उभरते हालात के बारे में पूछने पर सिंघी एडवायजर्स के निवेशक बैंकर महेश सिंघी ने कहा कि अच्छी साख वाली कंपनियां इस क्षेत्र में फल-फूल सकती हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में प्रवेश करने वाली कंपनियों को सरकार का समर्थन प्राप्त होना चाहिए।

 

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