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नई दिल्ली : भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में कमजोर बनी रहेगी जो भारत सरकार और देश के बैंकों की वित्तीय साख के प्रतिकूल है। इसके साथ ही मोदी सरकार के नेतृत्व में आर्थिक सुधारों की रफ्तार को लेकर भी कुछ ‘निराशा’ पैदा हुई है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने एक रपट में यह बात कही है।
मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने अपनी ताजा ‘आतंरिक इंडिया’ रिपोर्ट में कहा है, हालांकि, भारत की आर्थिक वृद्धि संभावनाओं को लेकर आम राय आशाजनक है। मूडीज ने चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि 7.5 प्रतिशत रहने की एक मोटी संभावना व्यक्त की है।
इसमें कहा गया है, ‘‘यह अनुमान जी20 अर्थव्यवस्थाओं में सबसे उंचा अनुमान है। इससे बीएए3 सावरेन रेटिंग और सकरात्मक परिदृश्य के लिये मजबूत समर्थन प्राप्त होता है।
निवेश ग्रेड में यह सबसे निचला स्तर है लेकिन इसमें ‘सकारात्मक’ परिदृश्य होने की वजह से आगे रेटिंग का स्तर सुधारे जाने की संभावना भी जुड़ी है। बहरहाल, मूडीज ने पिछले महीने जो मतदान कराया उसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के तहत सुधारों की रफ्तार को लेकर कुछ निराशा व्यक्त की गई। नीतियों में स्थिरता रहने के जोखिम को लेकर भी चिंता बढ़ी है।
मूडीज रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘विशेषतौर पर मत व्यक्त करने वाले करीब आधे लोगों ने सुधारों की धीमी रफ्तार को भारत की वृहदआर्थिक कहानी में सबसे बड़ा जोखिम बताया।’’ रिपोर्ट में मूडीज ने आगे कहा है, ‘‘भारत में बहुदलीय, संघीय लोकतंत्र की वजह से नीतिगत क्रियान्वयन की रफ्तार धीमी पड़ी है।’’ इसमें कहा गया है कि कई नीतियां भारत की संस्थागत मजबूती के लिये सकारात्मक हैं वहीं आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने वाले सुधारों का पूरा असर कई सालों के बाद ही सामने आयेगा।
मूडीज ने कहा कि मानसून की कमजोरी के अनुमानों को देखते हुए भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के मार्च 2016 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के दौरान कमजोर बने रहने की आशंका है।