इकोनॉमिक सर्वे 2017-18: कर विवाद निपटान के लिए बनें उच्च न्यायालयों की विशेष पीठ
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इकोनॉमिक सर्वे 2017-18: कर विवाद निपटान के लिए बनें उच्च न्यायालयों की विशेष पीठ

अरविंद सुब्रहमणियन के नेतृत्व में लिखी गई इस समीक्षा में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा 2014 में गठित की गई कर मामलों की विशेष पीठ के चलते कर मामलों के लंबित पड़े रहने के रुख में बदलाव आया है.

इकोनॉमिक सर्वे 2017-18: कर विवाद निपटान के लिए बनें उच्च न्यायालयों की विशेष पीठ

नई दिल्ली: संसद में सोमवार (29 जनवरी) को पेश आर्थिक समीक्षा में उच्च न्यायालयों में कर-विवाद सुनने के लिए अलग से प्रतिबद्ध पीठें गठित करने का सुझाव दिया गया है. इसका मकसद इस तरह के विवादों का जल्दी समाधान करने के साथ ही मुकदमेबाजी में लचीलापन लाना है. आर्थिक समीक्षा 2017-18 में कहा गया है, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में प्रयोग के तौर पर कर विवादों की सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ गठित की जिसके परिणाम अच्छे आए है. इसे अन्य मामलों के लिए भी दोहराया जा सकता है और उच्च न्यायालय इसका अनुकरण कर सकते हैं ताकि ऐसे मामलों को दैनिक सुनवाई के रोस्टर से छूट मिल सके.’’

मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रहमणियन के नेतृत्व में लिखी गई इस समीक्षा में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा 2014 में गठित की गई कर मामलों की विशेष पीठ के चलते कर मामलों के लंबित पड़े रहने के रुख में बदलाव आया है. समीक्षा के अनुसार इस अवधि में उच्चतम न्यायालय ने विभागों की दावों पर निर्भरता को कम किया है और उसका ध्यान मामलों की सुनवाई और उन्हें निपटाने पर रहा है.

इकोनॉमिक सर्वे 2017-18 में सुझाव, एयर इंडिया का विनिवेश अगले वित्त वर्ष में पूरा करे सरकार

सरकार को राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया का विनिवेश अगले वित्त वर्ष में पूरा करना चाहिए. संसद में सोमवार (29 जनवरी) को पेश 2017-18 की आर्थिक समीक्षा में यह सुझाव दिया गया है. समीक्षा में 2018-19 के लिए जिस एजेंडा का सुझाव दिया गया है उसमें जीएसटी को स्थिर करना, फंसे कर्ज की समस्या से कंपनियों और बैंक दोनों के खातों को दुरुस्त करने की कार्रवाई को पूरा करना, एयर इंडिया का निजीकरण तथा वृहद आर्थिक स्थिरता के जोखिमों से निपटना शामिल है.

सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 में 16 विनिवेश सौदों से 46,247 करोड़ रुपए जुटाए थे. चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 72,500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया गया है. इसमें 46,500 करोड़ रुपये सार्वजनिक उपक्रमों में अल्पांश हिस्सेदारी बिक्री, 15,000 करोड़ रुपये रणनीतिक हिस्सेदारी बिक्री तथा 11,000 करोड़ रुपये साधारण बीमा कंपनियों को सूचीबद्ध कर जुटाए जाने हैं.

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