सरकार कमजोर मानसून से निपटने को तैयार : कृषि मंत्रालय
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सरकार कमजोर मानसून से निपटने को तैयार : कृषि मंत्रालय

कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने आज भरोसा जताया कि बरिश कम होने की स्थिति में उत्पादन का नुकसान कम करने और अर्थव्यवस्था पर इसके संभावित असर से निपट लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस साल के अंत तक नई फसल बीमा नीति लाने की दिशा में काम कर रही है ताकि किसानों को आय सुरक्षा प्रदान की जा सके।

सरकार कमजोर मानसून से निपटने को तैयार : कृषि मंत्रालय

नई दिल्ली : कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने आज भरोसा जताया कि बरिश कम होने की स्थिति में उत्पादन का नुकसान कम करने और अर्थव्यवस्था पर इसके संभावित असर से निपट लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस साल के अंत तक नई फसल बीमा नीति लाने की दिशा में काम कर रही है ताकि किसानों को आय सुरक्षा प्रदान की जा सके।

मंत्री ने कहा कि दाल की ऊंची कीमत पर लगाम लगाने के लिए सरकार आयात के जरिए देश में आपूर्ति बढ़ाने पर विचार कर रही है और राज्यों से दाल जरूरत का आंकड़ा इकट्ठा कर रही है। कृषि मंत्रालय के एक साल की उपलब्धि को रेखांकित करने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सिंह ने कहा, ‘यदि कम बारिश होती है तो कृषि क्षेत्र में कुछ नुकसान जरूर होगा। हमें भरोसा है और हमारे पास ऐसी नीतियां हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कृषि क्षेत्र और अर्थव्यवस्था को कम से कम क्षति पहुंचे।’ 

उन्होंने कहा कि फिलहाल सरकार की 580 जिलों के लिए आपात योजना तैयार है और स्थिति से निपटने के लिए वह राज्य सरकारों तथा कृषि अनुसंधान संगठनों के संपर्क में है। सिंह ने कहा भारतीय कृषि कम बारिश को झेल सकती है। उन्होंने कहा, ‘जब हम सत्ता में आये तो हमने सूखे जैसी स्थिति का सामना किया। हर कोई परेशान था। लेकिन हमारे मंत्रालय ने नुकसान कम करने के लिए कड़ी मेहनत की। उत्पादन में नुकसान हुआ लेकिन यह बहुत अधिक नहीं था। इस बार भी हम पिछले अनुभव के आधार पर परस्थिति का सामना करेंगे।’

यह पूछने पर कि क्या किसानों के लिए बुरे दिन आने वाले हैं, मंत्री ने कहा, ‘अच्छे या बुरे दिन मानव निर्मित होते हैं या प्रकृति निर्मित। मानव निर्मित बुरे दिन खत्म हुए और अच्छे दिन शुरू हुए हैं।’ सरकार प्राकृतिक आपदा को नहीं रोक सकती लेकिन उस पर किसी भी तरह की परिस्थितियों से निपटने की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन पर कम बारिश के असर को कम करने की कोशिश होगी।

मौसम विभाग ने कम बारिश की भविष्यवाणी की है और इस साल के लिए बारिश का अनुमान 93 प्रतिशत से घटाकर 88 प्रतिशत कर दिया है जिससे देश के पश्चिमोत्तर क्षेत्र के सबसे अधिक प्रभावित होने की संभावना है। पिछले साल देश में 12 प्रतिशत कम बारिश हुई थी जिससे अनाज, कपास और तिलहन का उत्पादन प्रभावित हुआ था। सरकार के अनुमान के मुताबिक कुल अनाज उत्पादन फसल वर्ष 2014-15 (जुलाई-जून) में घटकर 25.11 करोड़ टन रहा जबकि पिछले साल रिकार्ड 26.5 करोड़ टन अनाज का उत्पादन हुआ था।

खराब मानसून के कारण कृषि वृद्धि दर 2014-15 में 0.2 प्रतिशत रही। बुवाई शुरू होने के बावजूद वित्त वर्ष 2015-16 खरीफ फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा में देरी के बारे में पूछने पर कृषि मंत्री ने कहा ‘कोई देरी नहीं हो रही। हम अगले दो सप्ताह में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा करेंगे।’ सरकार की नयी फसल बीमा नीति पेश करने की योजना पर मंत्री ने कहा ‘मौजूदा फसल बीमा योजना किसानों के लिए लाभदायक साबित नहीं हुई है। इसलिए हम नयी फसल बीमा नीति पर काम कर रहे हैं।’ 

उन्होंने कहा, ‘हम राज्य सरकारों और विशेषज्ञों से इस मामले में विचार कर रहे हैं। हम निश्चित तौर पर इस साल के अंत तक नीति लाएंगे।’ उत्पादन घटने के बीच दालों की कीमत बढ़ने के मद्देनजर मंत्री ने कहा कि दाल ज्वलंत मुद्दा है क्योंकि देश आयात पर निर्भर है। फसल वर्ष 2014-15 में घरेलू उत्पाद में 20 लाख टन की गिरावट हुई।

इस संकट से उबरने के लिए सिंह ने कहा, ‘हमने राज्य सरकारों को दाल की अनिवार्यता बताने के संबंध में पत्र लिखा है। मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि राज्य सरकारों को अपने भंडार से पर्याप्त आपूर्ति की जाएगी। जरूरत पड़ने पर हम आयात करेंगे।’ उन्होंने कहा कि सरकार ने मौजूदा योजना के तहत दाल उत्पादन बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं और नाफेड तथा छोटे किसानों के कृषि कारोबार कंसोर्टियम (एसएफएसी) को मूल्य स्थिरता कोष के तहत दाल खरीदने का जिम्मा दिया है।

मंत्री ने कहा कि देश का दाल उत्पादन 2014-15 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में 20 लाख टन घटा था। पिछले वित्त वर्ष के दौरान आयात बढ़कर 45 लाख टन हो गया जो इसके पिछले वर्ष 34 लाख टन था। सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत सरकार मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, जैविक खेती प्रोत्साहन और सिंचाइ क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगी।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार नीली क्रांति के जरिए मत्स्य क्षेत्र और गाय-भैंस की देसी प्रजातियों की सुरक्षा को प्रोत्साहित करेगी। जिंस संवर्धित फसल के संबंध में सिंह ने कहा कि यह मामला उच्चतम न्यायालय के पास है। उन्होंने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय का जो भी आदेश होगा हम उसका अनुसरण करेंगे।’ किसानों द्वारा आत्महत्या की बढ़ती संख्या के बारे में मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र की वृद्धि के लिए पिछले 10 साल में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने कहा, ‘हम पिछली सरकार की खराब नीतियों के कारण चुनौतियांे का सामना इसलिए कर रहे हैं।’

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