मोदी सरकार के फैसले का असर, ज्वाइंट सेक्रेटरी के 10 पदों पर 6 हजार से ज्यादा आवेदन
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मोदी सरकार के फैसले का असर, ज्वाइंट सेक्रेटरी के 10 पदों पर 6 हजार से ज्यादा आवेदन

केंद्र सरकार ने लैटरल एंट्री के तहत ज्वाइंट सेक्रटरी के 10 पदों पर भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली थी. इन 10 पदों पर सरकार को प्राइवेट क्षेत्र से 6 हजार से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए हैं. 

मोदी सरकार के फैसले का असर, ज्वाइंट सेक्रेटरी के 10 पदों पर 6 हजार से ज्यादा आवेदन

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने लैटरल एंट्री के तहत ज्वाइंट सेक्रटरी के 10 पदों पर भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली थी. इन 10 पदों पर सरकार को प्राइवेट क्षेत्र से 6 हजार से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए हैं. ज्वाइंट सेक्रटरी के ये पद राजस्व विभाग, वित्तीय सेवा, आर्थिक मामले, कृषि और कृषक कल्याण, सड़क परिवहन तथा राजमार्ग, पोत परिवहन, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन तथा वाणिज्य विभागों में निकाले गये हैं. इन पदों पर आवेदन करने की आखिरी तारीख 30 जुलाई थी.

1 पद के लिए के लिए सबसे ज्यादा 1100 आवेदन
कार्मिक मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार ने उम्मीदवारों की छंटनी शुरू कर दी है. एक पद के लिए मंत्रालय को सबसे ज्यादा 1100 आवेदन मिले हैं, जबकि एक पद पर सबसे कम 290 आवेदन मिले हैं. इस समय देश में 5004 आईएएस (IAS) काम कर रहे हैं, जबकि जरूरत 6,500 की हैं. सामान्य तौर पर ज्वाइंट सेक्रटरी के इन पदों पर नियुक्ति UPSC की परीक्षा के जरिए की जाती है.

कुल 6077 आवेदन आए
अधिकारियों के मुताबिक, संयुक्त सचिव पदों के लिए कुल 6077 आवेदन आए हैं. ये पद राजस्व विभाग, वित्तीय सेवा, आर्थिक मामले, कृषि और कृषक कल्याण, सड़क परिवहन तथा राजमार्ग, पोत परिवहन, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन तथा वाणिज्य विभागों में निकाले गये हैं. ‘लैटरल एंट्री’ का आशय निजी क्षेत्र और अन्य गैर सरकारी क्षेत्रों से सरकारी क्षेत्रों में विशेषज्ञों की नियुक्ति से है.

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जून में सरकार ने जारी किया था विज्ञापन

10 मंत्रालयों में निकाली थी वैकेंसी
केंद्र सरकार की ओर से 10 मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी के लिए वैकेंसी निकाल गई, जिसे लेकर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए थे. दरअसल, सरकार ने ब्यूरोक्रेसी में लैटरल एंट्री की शुरुआत की है, यानी, ब्यूरोक्रेसी का हिस्सा बनने के लिए UPSC की परीक्षा पास करने की अनिवार्यता नहीं होगी. प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी भी मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी बन सकते हैं. सरकार की ओर से तर्क दिया गया है कि इससे मंत्रालय देश के ज्यादा अनुभवी लोगों का लाभ ले पाएगा.

तीन साल होगा कार्यकाल
कुछ समय पहले जारी किए गए विज्ञापन के मुताबिक, लैटरल एंट्री के तहत होने वाली ज्वाइंट सेक्रेटरी का कार्यकाल तीन साल का होगा, अगर कामकाज संतोषजनक रहता है तो उनके कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाया जा सकेगा. सरकार का कहना है कि वह सबसे योग्य लोगों को मंत्रालय में लाना चाहते हैं. निजी क्षेत्रों से सरकार में अफसर बनाने के लिए अधिसूचना जारी की गई. 30 जुलाई तक आवेदन तक मांगे गए. आवेदन के लिए कम से कम 15 साल का अनुभव जरूरी किया गया.

प्राइवेट नौकरी वालों को भी मिलेगा मौका
ज्वाइंट सेक्रेटरी बनने के लिए आवेदन करने वाले की न्यूनतम उम्र 40 साल होनी चाहिए. हालांकि, अधिकतम उम्र की सीमा तय नहीं की गई है. प्राइवेट नौकरी से सीधे इस पद पर नियुक्त होने वाले लोगों को ज्वाइंट सेक्रेटरी वाली सारी सुविधाएं और वेतन मिलेंगे.

10 मंत्रालयों में होगी 'विशेषज्ञ' की नियुक्ति 
शुरुआती पहल के अनुसार अभी सरकार 10 मंत्रालयों में एक्सपर्ट ज्वाइंट सेक्रटरी को नियुक्त करेगी. ये 10 मंत्रालय और विभाग हैं- फाइनैंस सर्विस, इकनॉमिक अफेयर्स, ऐग्रिकल्चर, रोड ट्रांसपोर्ट, शिपिंग, पर्यावरण, रिन्यूअबल एनर्जी, सिविल एविएशन और कॉमर्स. इन मंत्रालयों और विभागों में नियुक्ति कर विशेषज्ञता के हिसाब से ही पोस्टिंग होगी. 

सालों से लंबित था प्रस्ताव, अब हुआ लागू 
ब्यूरोक्रेसी में लैटरल ऐंट्री का पहला प्रस्ताव 2005 में ही आया था, जब प्रशासनिक सुधार पर पहली रिपोर्ट आई थी. लेकिन तब इसे सिरे से खारिज कर दिया गया. फिर 2010 में दूसरी प्रशासनिक सुधार रिपोर्ट में भी इसकी अनुशंसा की गई. लेकिन पहली गंभीर पहल 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद हुई. पीएम मोदी ने 2016 में इसकी संभावना तलाशने के लिए एक कमिटी बनाई, जिसने अपनी रिपोर्ट में इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ने की अनुशंसा की. सूत्रों के अनुसार ब्यूरोक्रेसी के अंदर इस प्रस्ताव पर विरोध और आशंका दोनों रही थी, जिस कारण इसे लागू करने में इतनी देरी हुई.

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