GST कलेक्शन अक्टूबर में एक लाख करोड़ रुपये के पार: अरुण जेटली
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GST कलेक्शन अक्टूबर में एक लाख करोड़ रुपये के पार: अरुण जेटली

इस साल अप्रैल में पहली बार जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचा था. उसके बाद से यह लगातार 90,000 करोड़ रुपये के ऊपर बना हुआ है.

 GST कलेक्शन अक्टूबर में एक लाख करोड़ रुपये के पार: अरुण जेटली

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि अक्टूबर में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) प्राप्ति एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गई. इससे पिछले माह सितंबर में जीएसटी संग्रह 94,442 करोड़ रुपये रहा था. इस साल अप्रैल में पहली बार जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचा था. उसके बाद से यह लगातार 90,000 करोड़ रुपये के ऊपर बना हुआ है.

जेटली ने ट्वीट में कहा, "अक्टूबर 2018 में जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया. यह जीएसटी दरों को कम करने, कर चोरी रोकने, बेहतर अुनपालन, पूरे देश में एक ही कर होने और कर अधिकारियों के नगण्य हस्तक्षेप की सफलता है."  

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में हर माह एक लाख करोड़ रुपये के जीएसटी संग्रह का लक्ष्य रखा है. मई में जीएसटी संग्रह 94,016 करोड़ रुपये, जून में 95,610 करोड़ रुपये, जुलाई में 96,483 करोड़ रुपये, अगस्त में 93,960 करोड़ रुपये और सितंबर में 94,442 करोड़ रुपये रहा था.

कारोबारी सुगमता के मामले में टॉप 50 में शामिल होंगे
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विश्वबैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग में भारत के 23 स्थान की छलांग लगाकर 77वें पायदान पर पहुंचने को मोदी सरकार के कार्यकाल में उठाए गए सुधारवादी कदमों का परिणाम बताया. उन्होंने देश को कारोबार सुगमता के मामले में शीर्ष 50 देशों में पहुंचाने के लिये रूपरेखा का खाका भी पेश किया. वित्त मंत्री ने अपनी फेसबुक पोस्ट में इससे पहले भारत के रैंकिंग में पिछड़ने के लिये पूर्ववर्ती सप्रंग सरकार पर भी निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि कारोबार सुगमता के लिहाज से यूपीए सरकार का रिकॉर्ड अत्यंत दयनीय रहा. 

यूपीए पर साधा निशाना
वित्त मंत्री ने कहा कि यूपीए के दस साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार चरम पर था, नीतिगत मोर्चे पर अपंगता थी और सभी सुधार ठप पड़े हुए थे. यूपीए सरकार के पांच साल के दूसरे कार्यकाल में कारोबार सुगमता रैंकिंग में भारत का स्थान 134, 132, 132, 134 और अंत में 142वें स्थान पर रहा. यह सप्रंग सरकार का दयनीय ट्रैक रिकॉर्ड है. उस समय भारत में व्यापार करना कठिन था. निवेशक देश में आने से कतराते थे. 

जेटली ने लिखा है कि 2014 में सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की थी कि सरकार का उद्देश्य भारत को कारोबार सुगमता रैंकिंग में शीर्ष-50 देशों की सूची में शामिल करना है. उस समय भारत 142वें पायदान पर था और उन्होंने 92 स्थानों की छलांग लगाने की बात कही. जेटली ने कारोबारी गतिविधियों के लिये समयसीमा को घटाना और इसमें लगने वाली लागत और प्रक्रियाओं की संख्या को कम करने पर जोर दिया है. उन्होंने कहा, "यदि हम सुधारों की मौजूदा रफ्तार को जारी रखते हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित लक्ष्य पूरा हो सकता है. केवल लक्ष्य एवं उद्देश्य उन्मुख सरकार ही इसे हासिल कर सकती है." 

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