जीएसटी : 20 लाख तक कारोबार करने वाली इकाइयों को मिलेगी छूट, दर पर फैसला अक्तूबर में
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जीएसटी : 20 लाख तक कारोबार करने वाली इकाइयों को मिलेगी छूट, दर पर फैसला अक्तूबर में

सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को अगले साल एक अप्रैल से लागू करने के लिये कमर कस ली है। जीएसटी परिषद ने इस दिशा में एक अहम् फैसला करते हुए 20 लाख रूपये तक का सालाना कारोबार करने वाली इकाइयों को जीएसटी से छूट देने का फैसला किया है। इसके साथ ही यह भी फैसला किया गया है कि सभी उपकर जीएसटी में समाहित हो जाएंगे।

जीएसटी : 20 लाख तक कारोबार करने वाली इकाइयों को मिलेगी छूट, दर पर फैसला अक्तूबर में

नई दिल्ली : सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को अगले साल एक अप्रैल से लागू करने के लिये कमर कस ली है। जीएसटी परिषद ने इस दिशा में एक अहम् फैसला करते हुए 20 लाख रूपये तक का सालाना कारोबार करने वाली इकाइयों को जीएसटी से छूट देने का फैसला किया है। इसके साथ ही यह भी फैसला किया गया है कि सभी उपकर जीएसटी में समाहित हो जाएंगे।

परिषद की 30 सितंबर को होने वाली अगली बैठक में छूट देने को लेकर नियमों के मसौदा को अंतिम रूप दिया जाएगा। वहीं जीएसटी कर स्लैब के बारे में निर्णय 17 अक्तूबर से शुरू होने वाली तीन दिन की बैठक में किया जाएगा। वित्त मंत्री अरूण जेटली की अध्यक्षता में परिषद की बैठक में यह भी निर्णय किया गया कि 1.5 करोड़ से कम के सालाना कारोबार वाले करदाता राज्य के दायरे में आएंगे।

जेटली ने कहा कि जिनका कारोबार 1.5 करोड़ रूपये से अधिक है, दोहरे नियंत्रण से बचने के लिये उनसे केंद्र या राज्य के अधिकारी में से कोई एक पूछताछ करेगा। हालांकि, 11 लाख सेवा करदाता जिनका आकलन फिलहाल केंद्र करता है, वे उनके साथ बने रहेंगे। इस श्रेणी में जो नये करदाता सूची में आएंगे, उसे केंद्र एवं राज्यों के बीच विभाजित किया जाएगा।

बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में जेटली ने कहा कि जीएसटी के लिए सालाना कारोबार छूट सीमा 20 लाख रूपये होगी जबकि पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्यों में यह 10 लाख रूपये होगी। उन्होंने कहा, ‘उपकर समेत सभी चीजें जीएसटी में शामिल होंगी।’ उन्होंने यह भी कहा कि परिषद मुआवजा कानून तथा मुआवजा फार्मूले के मसौदे पर काम कर रही है।

मुआवजे के आकलन के लिये आधार वर्ष 2015-16 होगा और मुआवजे के भुगतान के लिये फार्मूले पर राज्य एवं केंद्र के बीच विचार होगा। अधिकारी मुआवजा फार्मूले के संदर्भ में प्रस्तुति देंगे जिसे परिषद की अगली बैठक 30 सितंबर को स्वीकार किया जा सकता है। जेटली ने कहा, जीएसटी परिषद में आज सभी निर्णय आम सहमति से किये गये। 
 
वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक में इस बात को लेकर आम सहमति थी कि नई व्यवस्था के क्रियान्वयन के कारण राज्यों के राजस्व में किसी प्रकार के नुकसान को लेकर मुआवजे का भुगतान नियमित अंतराल पर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘यह तिमाही और हर दो महीने पर होना चाहिए।’ मुआवजे के आकलन के लिये आधार वर्ष 2015-16 होगा। जेटली ने कहा कि अगले पांच साल के दौरान राजस्व वृद्धि के अनुमान के तौर-तरीकों पर भी कुछ सुझाव दिये गये।

उन्होंने कहा, ‘हमने तीन-चार सुझाव लिये हैं और इस बीच अधिकारी उस पर विचार करेंगे कि उनमें से कौन सा विकल्प बेहतर होगा।’ एक विकल्प यह भी है कि पिछले पांच साल में जो बेहतर तीन साल हैं, उसे चुना जाए। एक अन्य सुझाव यह आया कि राजस्व वृद्धि दर निर्धारित कर ली जाये और उसी के अनुरूप मुआवजा दिया जायेगा। जेटली ने कहा, ‘जहां तक कारोबार में छूट सीमा का सवाल है, इसके लिए 20 लाख रूपये की सीमा तय करने का फैसला किया गया है। इसीलिए जिनका कारोबार 20 लाख रूपये है, उन्हें जीएसटी से छूट होगी। पूर्वोत्तर राज्यों के लिए यह छूट सीमा 10 लाख रूपये नियत की गयी है।’ 

जेटली ने कहा कि सभी उपकर राजस्व में समाहित करने का फैसला किया गया है। यानी इसी प्रकार राजस्व को परिभाषित किया जाएगा। दोहरे नियंत्रण के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि सालाना 1.5 करोड़ रूपये से कम कारोबार वाले का आकलन राज्य करेंगे। जहां 1.5 करोड़ रूपये से अधिक के कारोबार का सवाल है, कुछ दोहरा नियंत्रण होगा और इसमें केंद्र तथा राज्य दोनों के अधिकारियों के पास अधिकार होंगे। राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक सफल रही। उन्होंने कहा कि जीएसटी व्यवस्था में केवल पांच प्रतिशत मामलों का आडिट किया जाएगा।

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