महिलाओं की सेविंग (घरेलू बचत) वित्तीय बचत 2017-18 में 2.8% बढ़ गई है. यह बीते 7 साल में उच्चतम स्तर पर है.
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नई दिल्ली : महिलाओं के लिए अच्छी खबर है. महिलाओं की सेविंग (घरेलू बचत) वित्तीय बचत 2017-18 में 2.8% बढ़ गई है. यह बीते 7 साल में उच्चतम स्तर पर है. नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद यह 2016-17 में दो प्रतिशत गिर गई थी. हालांकि उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने इस बात पर खुशी जताई कि नोटबंदी के कारण शौचालयों और बिस्तरों के नीचे दबाए गए पैसे निकलकर बैंकिंग प्रणाली में लौट आए हैं. उन्होंने 500 और 1000 रुपये के 99.3 प्रतिशत नोट बैंक में लौटने की रिजर्व बैंक की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें इस बात पर आश्चर्य है कि इससे लोगों को आपत्ति क्यों हुई. जो पैसे शौचालयों और बिस्तरों के नीचे दबाकर रखा गया था वह बैंकों में लौट आया है. मेरा केवल इतना कहना है कि पैसे लौटकर आए हैं. इसमें से कितना कालाधन अथवा सफेद है, यह देखना रिजर्व बैंक और आयकर विभाग का काम है और वे इसका सत्यापन कर लेंगे.
नोटबंदी के दौरान घट गई थी घरेलू बचत
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, परिवारों की सकल वित्तीय बचत इस दौरान बढ़कर जीएनडीआई के 7.1 प्रतिशत पर पहुंच गई. नोटबंदी के बाद यह भी 2015-16 के 8.1 प्रतिशत से गिरकर 2016-17 में 6.7 प्रतिशत पर आ गई थी. जमा के रूप में बचत नोटबंदी के बाद 2016-17 में बढ़कर जीएनडीआई के 6.3 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी लेकिन 2017-18 में यह गिरकर 2.9 प्रतिशत पर आ गई. इस दौरान शेयरों और डिबेंचरों के रूप में बचत बढ़कर 0.9 प्रतिशत पर पहुंच गई, जबकि 2015-16 में यह अनुपात 0.3 प्रतिशत था.
डिजिटल लेनदेन में हुई बढ़ोतरी
उधर, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि नवंबर 2016 में उच्च मूल्य वर्ग के नोटों को चलन से बाहर करने (नोटबंदी) की वजह से नकद लेनदेन कम हुआ है और डिजिटल भुगतान प्रोत्साहित करने में मदद मिली है. बैंक की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य चीजों के अलावा काले धन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से की गई नोटबंदी के समय, परिचालन वाली कुल मुद्रा का लगभग 86-87 प्रतिशत हिस्सा 500 और 1,000 रुपये के रूप में था.
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू बचत दर वित्त वर्ष 2012 से 2017 के दौरान 23.6 प्रतिशत से गिरकर 16.3 प्रतिशत पर आ गई है. यदि घरेलू बचत दर में तेज गिरावट जारी रहती है तो यह देश की आर्थिक वृद्धि और वृहद आर्थिक स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती खड़ी कर सकती है. इंडिया रेटिग्स ने अपनी रिपोर्ट में यह चेतावनी दी है. रिपोर्ट के अनुसार, नोटबंदी और माल एवं सेवा कर के कारण घरेलू (पारिवारिक) बचत दर में गिरावट रही.
इनपुट एजेंसी से