वैश्विक कीमतें अधिक होने से भारत गेहूं का और आयात करने में असमर्थ
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वैश्विक कीमतें अधिक होने से भारत गेहूं का और आयात करने में असमर्थ

आने वाले सप्ताहों में भारत द्वारा और अधिक मात्रा में गेहूं का आयात नहीं किये जाने की संभावना है जिसका कारण इस जिंस की वैश्विक कीमतों में तेजी आना तथा यह चिंता होना है कि सरकार किसी भी समय इसके आयात की खेप पर 10 प्रतिशत का शुल्क लगा सकती है। व्यापार सूत्रों ने यह जानकारी दी है।

नयी दिल्ली : आने वाले सप्ताहों में भारत द्वारा और अधिक मात्रा में गेहूं का आयात नहीं किये जाने की संभावना है जिसका कारण इस जिंस की वैश्विक कीमतों में तेजी आना तथा यह चिंता होना है कि सरकार किसी भी समय इसके आयात की खेप पर 10 प्रतिशत का शुल्क लगा सकती है। व्यापार सूत्रों ने यह जानकारी दी है।

घरेलू स्तर पर अधिक प्रोटीन की मात्रा वाले गेहूं की सुस्त आपूर्ति तथा कम अंतरराष्ट्रीय कीमतों के होने की वजह से निजी आटा मिल मालिकों ने हाल ही में दशक में पहली बार आस्ट्रेलिया से पांच लाख टन गेहूं का आयात करने के लिए अनुबंध किया था। उनकी फ्रांस और रूस से भी और पांच लाख टन गेहूं का आयात के लिए अनुबंध करने की योजना थी। घरेलू स्तर पर अधिशेष स्टॉक होने के बावजूद गेहूं का आयात किया गया, क्योंकि इस वर्ष के आरंभ में बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि के कारण अधिक प्रोटीन की मात्रा वाले गेहूं क्षतिग्रस्त हो गये थे।

भारतीय रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष एम के दत्ता ने पीटीआई भाषा को बताया, अब, अल नीनो की चिंताओं के कारण वैश्विक गेहूं की कीमतों में तेजी आनी शुर हुई है। यह आशंका भी है कि सरकार गेहूं पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा सकती है। ऐसी स्थिति में मुझे शक है कि कोई और आयात किया जा सकता है।

एम के दत्ता ने कहा कि भारत ने विदेशी बाजारों से गेहूं की खरीद के अवसर को गंवा दिया है क्योंकि आस्ट्रेलियाई गेहूं की वैश्विक कीमत अब बढ़कर 20,000 रपये प्रति टन हो गई है जो पिछले महीने 17,000 से 18,000 रपये प्रति टन थी। उन्होंने कहा कि मौजूदा उंची दरों के बावजूद अगर सरकार कोई आयात शुल्क लगाती है तो गेहूं आयात महंगा हो जायेगा। खाद्य मंत्रालय ने पहले से ही गेहूं के आयात पर रोक लगाने तथा सरकारी गोदामों में पड़े कम गुणवत्ता वाले गेहूं की खपत करने के लिए गेहूं के आयात पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाने का प्रस्ताव कर रखा है।

कोच्चि के एक व्यापारी ने कहा, मौजूदा अधिक अनुकूल स्थिति नहीं होना, आटा मिलों और व्यापारियों को अन्य देशों से और अधिक मात्रा में गेहूं आयात का अनुबंध करने से रोक रही है। व्यापारियों ने कहा कि खाद्य एवं वाणिज्य मंत्रालय दोनों को एक ज्ञापन दिया गया है कि वे गेहूं पर आयात शुल्क लगाने के फैसले पर पुनर्विचार करें। अधिक प्रोटीन की मात्रा वाले गेहूं को विशेषकर मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में उगाया जाता है। लेकिन बेमौसम बरसात के कारण इस फसल की गुणवत्ता प्रभावित हुई है।

दुनिया में गेहूं के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश, भारत में गेहूं का उत्पादन वर्ष 2014.15 में घटकर नौ करोड़ 7.8 लाख टन रह जाने का अनुमान है जबकि वर्ष 2013.14 के दौरान गेहूं का रिकार्ड उत्पादन, यानी करीब नौ करोड़ 58.5 लाख टन हुआ था।

 

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