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मास्को : भारत 100 अरब डॉलर के ब्रिक्स विदेशी मुद्रा भंडार कोष में 18 अरब डॉलर का योगदान करेगा। इस कोष की स्थापना ब्रिक्स समूह के पांच देशों ने की है ताकि डॉलर प्रवाह में किसी तरह की समस्या की स्थिति में एक दूसरे की मदद कर सकें।
ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने 100 अरब डॉलर के कोष की स्थापना पर समझौता किया है जिसमें अधिकतम योगदान 41 अरब डॉलर चीन करेगा। भारत इस कोष में 18 अरब डॉलर का योगदान करेगा और इतना ही योगदान ब्राजील तथा रूस करेंगे। दक्षिण अफ्रीका पांच अरब डॉलर का योगदान करेगा।
रूसी केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा, ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के केंद्रीय बैंकों ने सात जुलाई 2015 को मास्को में परिचालन समझौते पर हस्ताक्षर किये। इसमें पारंपरिक मुद्रा भंडार के ब्रिक्स कोष पर समझौते के ढांचे में सदस्य देशों के बीच आपसी समर्थन की शर्तों का जिक्र किया गया है। यह कोष ‘बीमा साधन’ के तौर पर होगा जिससे सदस्य देश उनके भुगतान संतुलन में समस्या की स्थिति में इससे धन निकाल सकेंगे।
ब्रिक्स विदेशी मुद्रा भंडार कोष 30 जुलाई से परिचालन में आएगा। परिचालन समझौते में कोष की कार्य प्रक्रिया का ब्योरा है जिस पर ब्रिक्स केंद्रीय बैंक निगरानी करेगा और इसमें उनके अधिकारों और उत्तरदायित्व को परिभाषित किया गया है। ब्रिक्स कोष की स्थापना के समझौते पर 15 जुलाई 2014 को ब्राजील के फोर्तालीजा में हस्ताक्षर किये गये थे। इस समझौते पर मास्को में ब्रिक्स देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के प्रमुखों की बैठक के बाद हस्ताक्षर किये गये। इस कोष से ब्रिक्स देशों के सदस्यों को डॉलर की विनिमय दर में उतार-चढ़ाव की स्थिति में वित्तीय स्थिरता बरकरार रखने में मदद मिलेगी।
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 26 जून को समाप्त सप्ताह के दौरान आंशिक रूप से 23.75 करोड़ डॉलर घटकर 355.221 अरब डॉलर रह गया। उफा में ब्रिक्स देशों के दो दिवसीय सम्मेलन से पहले बीमा कोष पर समझौता हुआ। सम्मेलन में ब्रिक्स बैंक द्वारा स्थानीय मुद्रा में ऋण सुविधा दिए जाने की संभावना पर विचार किया जा सकता है। ब्रिक्स बैंक के पहले प्रमुख जाने माने भारतीय बैंकर के.वी. कामत होंगे।