जंग के लिए तैयार हो रहा है भारत, ऐसे बढ़ेगी ताकत, पाक-चीन भी नहीं करेंगे हिमाकत
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जंग के लिए तैयार हो रहा है भारत, ऐसे बढ़ेगी ताकत, पाक-चीन भी नहीं करेंगे हिमाकत

अब भारत ऐसी तकनीक पर काम कर रहा है, जिससे कोई उसकी सीमा में घुसने की हिमाकत नहीं कर सकेगा और अगर करेगा तो नेस्तनाबूद हो जाएगा.

अब भारत ऐसी तकनीक पर काम कर रहा है, जिससे कोई उसकी सीमा में घुसने की हिमाकत नहीं कर सकेगा.

नई दिल्ली: भारत अपनी ताकत बढ़ा रहा है. भविष्य में होने वाले युद्ध की भी तैयारी शुरू कर दी है. अब पाकिस्तान और चीन की सीमाओं पर खड़े जवानों को नई ताकत मिलेगी और कोई भी सीमा में घुसने की हिमाकत नहीं कर पाएगा. भारतीय सेना को मजबूती देने के लिए भारत ने तैयारी शुरू कर दी है. अब भारत ऐसी तकनीक पर काम कर रहा है, जिससे कोई उसकी सीमा में घुसने की हिमाकत नहीं कर सकेगा और अगर करेगा तो नेस्तनाबूद हो जाएगा.

  1. सरकार ने भारतीय सेना की ताकत बढ़ाने की शुरुआत कर दी है
  2. भविष्य में युद्ध के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम शुरू
  3. सुरक्षा बलों को मिलेंगे मानव रहित टैंक और रोबॉटिक हथियार

मानवरहित टैंक, पोत से लैस होगी सेना
एक महत्वाकांक्षी रक्षा परियोजना के तहत सरकार ने रक्षा बलों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के इस्तेमाल पर काम करना शुरू कर दिया है. परियोजना का मकसद सुरक्षाबलों को मानव रहित टैंक, पोत, हवाई यानों और रोबॉटिक हथियारों से लैस करते हुए ऑपरेशन संबंधी तैयारियों को महत्वपूर्ण तरीके से बढ़ाना है. आपको बता दें कि अपनी सेना में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के व्यापक इस्तेमाल की खातिर चीन तेजी से निवेश बढ़ा रहा है, ऐसे में यह परियोजना भारत की थल सेना, वायु सेना और नौसेना को भविष्य की जंग के लिहाज से तैयार करने की व्यापक नीतिगत पहल का हिस्सा है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत
रक्षा सचिव (उत्पादन) अजय कुमार ने कहा कि सरकार ने रक्षा बलों के तीनों अंगों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत करने का फैसला किया है क्योंकि यह भविष्य में युद्ध की जरूरत को देखते हुए एक 'अहम क्षेत्र' होगा. उन्होंने कहा कि टाटा सन्स के प्रमुख एन चंद्रशेखरन की अध्यक्षता वाला एक उच्चस्तरीय कार्यबल परियोजना की बारीकियों एवं संरचना को अंतिम रूप दे रहा है. 

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'अगले युद्ध की तैयारी में भारत' 
सशस्त्र बल और निजी क्षेत्र 'भागीदारी के मॉडल' के तहत परियोजना को कार्यान्वित करेंगे. कुमार ने कहा, 'यह अगली पीढ़ी के युद्ध के लिए भारत की तैयारी है. भविष्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ही है. हमें अगली पीढ़ी के युद्ध के लिए खुद को तैयार करने की जरूरत है जो ज्यादा से ज्यादा तकनीक आधारित, स्वचालित और रोबॉटिक प्रणाली पर आधारित होगी.' उन्होंने बताया कि दूसरी विश्व शक्तियों की ही तरह भारत ने भी अपने सशस्त्रों बलों की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल को लेकर काम करना शुरू कर दिया है. 

युद्ध में होगा इनका इस्तेमाल
कुमार ने कहा कि मानव रहित हवाई यान, मानव रहित पोत एवं मानव रहित टैंक और हथियार प्रणाली के रूप में स्वचालित रोबॉटिक रायफल का भविष्य के युद्धों में व्यापक इस्तेमाल होगा. उन्होंने कहा, 'हमें इनके लिए क्षमताओं का निर्माण करने की जरूरत है.' सैन्य सूत्रों ने कहा कि परियोजना में रक्षा बलों के तीनों अंगों के लिए मानवरहित प्रणालियों की व्यापक श्रृंखला का उत्पादन भी शामिल होगा. 

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पाकिस्तान, चीन सीमा पर दिखेगा असर
उन्होंने बताया कि रक्षा बल दूसरी शीर्ष विश्व सैन्य शक्तियों की तरह ही अपनी ऑपरेशन संबंधी तैयारियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के व्यापक इस्तेमाल पर मजबूती से जोर दे रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि चीन एवं पाकिस्तान से लगी देश की सीमाओं की निगरानी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इस्तेमाल से संवेदनशील सीमाओं की सुरक्षा में लगे सशस्त्र बलों पर दबाव महत्वपूर्ण रूप से कम हो सकता है. चीन आर्टिफिशल इंटेलिजेंस अनुसंधान एवं मशीनों से जुड़े अध्ययन में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है. पिछले साल उसने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संबंधी नवोन्मेष के लिहाज से देश को 2030 में दुनिया का केंद्र बनाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की. 

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AI के मामले में अमेरिका है आगे
अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और यूरोपीय संघ भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में काफी निवेश कर रहे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कुशल मशीनों के निर्माण से जुड़े कंप्यूटर विज्ञान का क्षेत्र है. अमेरिका मानव रहित ड्रोन के सहारे अफगानिस्तान और उत्तरपश्चिमी पाकिस्तान में आतंकियों के गुप्त ठिकानों को निशाना बनाता रहा है. मानवरहित ड्रोन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से काम करते हैं. कुमार ने कहा, 'दुनिया के प्रमुख देश रक्षा बलों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल की संभावना तलाशने की खातिर रणनीतियों पर काम कर रहे हैं. हम भी इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. इस पहल में खास बात यह है कि इसके लिए हमारे उद्योग एवं रक्षा बल दोनों मिलकर काम कर रहे हैं.' 

जून तक आएंगी सिफारिशें 
रक्षा सचिव ने बताया कि कार्य बल की सिफारिशें जून तक आ जाएंगी और तब सरकार परियोजना को आगे ले जाएगी. रक्षा सचिव ने कहा, 'भारत का सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग आधार काफी मजबूत है और यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संबंधी क्षमताओं के विकास के लिहाज से हमारी सबसे बड़ी ताकत होगी.' परियोजना को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे कुमार ने कहा कि एक संरचना को अंतिम रूप दिया जा रहा है. परियोजना के तहत रक्षा प्रणालियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए मजबूत आधार के निर्माण की खातिर उद्योग एवं रक्षा बल साथ काम कर सकते हैं. 

डीआरडीओ का होगा अहम रोल
रक्षा सचिव ने कहा कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) परियोजना में एक प्रमुख भागीदार होगा और 'हमें भागीदारी के एक मॉडल पर काम करने की जरूरत है, जो उद्योग की क्षमताओं का पूरी तरह से लाभ उठाते हुए खरीदार-विक्रेता प्रस्ताव से अलग होना चाहिए.' कुमार ने कहा कि असैन्य क्षेत्र में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल की अपार क्षमता है और कार्य बल इसपर भी ध्यान दे रहा है.

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