अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि वैश्विक निवेशकों के अनुसार सतत सुधारों के बाद हाथी (भारतीय अर्थव्यवस्था) दौड़ने के लिए तैयार है.
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वाशिंगटन : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि वैश्विक निवेशकों के अनुसार सतत सुधारों के बाद हाथी (भारतीय अर्थव्यवस्था) दौड़ने के लिए तैयार है. हालांकि उन्होंने तेज वृद्धि के लिए इन सुधारों के क्रियान्वयन तथा बैंकिंग क्षेत्र के स्वस्थ बैलेंसशीट की जरूरत पर बल दिया. आईएमएफ के एशिया-प्रशांत विभाग के निदेशक चैंगयोंग री ने सुधारों के मामले में बेहतर कार्य के लिए मोदी सरकार की प्रशंसा भी की.
भारत वैश्विक वृद्धि की अगुवाई कर सकता है
उन्होंने कहा, वैश्विक निवेशक मुझे बता रहे हैं कि चार सालों के सतत सुधार के बाद हाथी अब दौड़ने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि सुधारों के क्रियान्वयन पर जोर दिया जाना चाहिए. जिस तरह से पिछले दशक में चीन ने वैश्विक वृद्धि की अगुवाई की थी, भारत भी कर सकता है. आपके पास क्षमता है, आपके पास जनसंख्या है, आपके पास बाजार का बड़ा आकार है...सबकुछ है. क्रियान्वयन ही इसकी मुख्य कुंजी है.’
2017-18 में मजबूत प्रदर्शन किया
इससे पहले आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2017-18 में मजबूत प्रदर्शन किया और चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि और तेज होने की उम्मीद है. पटेल ने शनिवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक एवं वित्त समिति की बैठक में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को विनिर्माण क्षेत्र में तेजी, बिक्री में वृद्धि, सेवा क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन और कृषि फसल के रिकॉर्ड स्तर पर रहने से मजबूती मिली.
जीडीपी ग्रोथ 6.6 प्रतिशत पर रही
उन्होंने कहा कि हालांकि वर्ष 2017-18 में वास्तविक जीडीपी की वृद्धि एक साल पहले के 7.1 प्रतिशत से कुछ कम होकर 6.6 प्रतिशत पर आ गई. निवेश की मांग बढ़ने से दूसरी छमाही में रफ्तार में मजबूती लौट आई. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इंडियन इकोनॉमी ने 2017-18 में मजबूत प्रदर्शन किया. विनिर्माण क्षेत्र में तेजी, बिक्री में वृद्धि, क्षमता उपयोग में बढ़ोतरी, सर्विस सेक्टर की मजबूत गतिविधियां और रिकॉर्ड फसल ने प्रदर्शन में अहम योगदान दिया.
पटेल ने कहा, 'कई फैक्टर 2018-19 में वृद्धि दर में तेजी लाने में मददगार होंगे. साफ संकेत है कि अब निवेश गतिविधियों में सुधार बना रहेगा.' पटेल ने कहा कि वैश्विक मांग में सुधार हुआ है, ऐसे में निर्यात और नए निवेश को बढ़ावा मिलेगा. ऐसे में फाइनेंशियल ईयर 2018-19 में जीडीपी ग्रोथ 7.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. पटेल ने कहा कि नवंबर 2016 से उपभोक्ता मूल्य आधारित मुद्रास्फीति सामान्य तौर पर 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि के लक्ष्य से नीचे ही रही. हालांकि सब्जियों की कीमतों में अचानक तेजी से दिसंबर में मुद्रास्फीति चढ़कर 5.2 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो कि गिरकर मार्च 4.3 प्रतिशत पर आ गई है.