भारत का आयात ढांचा जटिल: WTO
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भारत का आयात ढांचा जटिल: WTO

भारत अपनी सीमा-शुल्क प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित कर रहा है और व्यापार सुगम बना रहा है लेकिन देश का आयात ढांचा अभी भी जटिल बना हुआ है। यह बात विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने कही।

नयी दिल्ली : भारत अपनी सीमा-शुल्क प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित कर रहा है और व्यापार सुगम बना रहा है लेकिन देश का आयात ढांचा अभी भी जटिल बना हुआ है। यह बात विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने कही।

डब्ल्यूटीओ ने कहा कि भारत ने व्यापारिक गतिविधियों को सुगम बनाने के लिये 2011 में सीमा-शुल्क प्रक्रियाओं का स्व-आकलन किया और करीब 97.6 प्रतिशत आयात जोखिम प्रबंधन प्रणाली के जरिए किया गया।

जिनीवा के बहु-पक्षीय संगठन ने कहा, इन पहलों के कार्यान्वयन के बावजूद भारत का आयात ढांचा विशेष तौर पर इसकी लाइसेंसिंग एवं परमिट प्रणाली तथा इसका शुल्क ढांचा जटिल है जिसमें कई तरह की छूट की व्यवस्था है और दरें उत्पाद, उपयोक्ता या विशिष्ट निर्यात संवर्धन कार्यक्रम के मुताबिक अलग-अलग हैं।

डब्ल्यूटीओ द्वारा तैयार भारत की व्यापार नीति की छठी समीक्षा के मुताबिक देश अपनी बौद्धिक संपदा प्रणाली (आईपीआर) को आधुनिक बनाने के लिए कई पहलें कर रहा है और आईपीआर लागू करने के लिए अपनी कोशिश जारी रखे हुए है। बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के लिए भारत के सहयोग को स्वीकार करते हुए डब्ल्यूटीओ ने कहा कि देश ऐतिहासिक तौर पर कुछ क्षेत्रीय व्यापार समझौतों का हिस्सा रहा है।

डब्ल्यूटीओ ने कहा, हालांकि, भारत में आरक्षण, क्षेत्रवाद निर्यात के लिए बाजार पहुंच बढ़ाने के लक्ष्य का अंग बन गया है। यह फिलहाल लागू 15 समझौतों और अन्य समझौता वार्ताओं से स्पष्ट है। इसमें कहा गया कि सबसे तरजीही देश (एमएफएन) का औसत सामान्य शुल्क 2014-15 में बढ़कर 13 प्रतिशत हो गया जो 2010-11 में 12 प्रतिशत था।

इसमें कहा गया है, इससे कृषि विशेष तौर पर अनाज, तिहलन एवं वसा और चीनी तथा मीठी चीजों के शुल्क में बढ़ोतरी स्पष्ट होती है। इसमें यह भी कहा गया कि भारत के डब्ल्यूटीओ से जुड़े शुल्क स्तर व्यावहारिक दर से काफी अधिक है। विशेष तौर पर कई कृषि उत्पादों के संबंध में। रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसे अंतराल से सरकार को घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार स्थितियों के अनुरूप शुल्क दर में परिवर्तन की मंजूरी मिलेगी लेकिन साथ ही इससे शुल्क निश्चितता कम होगी।

डब्ल्यूटीओ ने कहा कि भारत संगमरमर तथा इसी तरह के पत्थर और चंदन की लकड़ी पर आयात कोटा बरकरार रखे हुए है। रिपोर्ट में कहा गया, सरकारी स्तर पर व्यापार कुछ कृषि उत्पादों, यूरिया और कुछ तरह के पेट्रोलियम तेलों पर नीतिगत उपकरण के तौर पर लागू है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसानों को अच्छा मुनाफा मिले, खाद्य सुरक्षा बकरार रहे, किसानों को उर्वरक की आपूर्ति सुनिश्चित हो और घेरलू मूल्य समर्थन प्रणाली ठीक तरह से काम करे। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ढांचागत मुद्दे उच्च वृद्धि में बाधा के तौर पर काम कर रहे हैं।

 

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