सरकार गरीबों की हमदर्द और उद्योग की हितैषी : जेटली
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सरकार गरीबों की हमदर्द और उद्योग की हितैषी : जेटली

बुनियादी ढांचे व सामाजिक कल्याण के लिए खर्च में संतुलन पर जोर देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली सरकार गरीबों की हमदर्द होने के साथ उद्योग की हितैषी है।

सरकार गरीबों की हमदर्द और उद्योग की हितैषी : जेटली

नई दिल्ली : बुनियादी ढांचे व सामाजिक कल्याण के लिए खर्च में संतुलन पर जोर देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली सरकार गरीबों की हमदर्द होने के साथ उद्योग की हितैषी है।

जेटली ने संसद में 2015-16 का आम बजट पेश किया। उन्होंने कहा कि चुनौती वृद्धि व राजकोषीय घाटे पर अंकुश के लिए संतुलन बैठाने की है।

उन्होंने लोकसभा टीवी से कहा, ‘हम बुनियादी ढांचे व वृद्धि दरों में संतुलन के लिए चिंतित हैं। उद्योग को तेजी से वृद्धि करनी चाहिए। यदि मैं उद्योग से नहीं कमाऊंगा, तो गरीबों की सेवा कैसे करूंगा।’ उन्होंने कहा कि देश में हमेशा यह निर्थक बहस होती है कि सरकार गरीब समर्थक है या उद्योग समर्थक।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘मैं दोनों के पक्ष में हूं। मुझे नहीं लगता कि दोनों में कोई विरोधाभास है। मुझे लगता है कि दोनों साथ चल सकते हैं।’ नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न सामाजिक योजनाओं का उल्लेख करते हुए जेटली ने कहा कि सरकार गरीबों का ख्याल रखती है।

वित्त मंत्री जेटली ने कहा, ‘हमें समाज कल्याण के लिए पैसा रखना होता है और हमें राज्यों को भी धन देना होता है। यह संतुलन बैठाने की गतिविधि है। हमें बुनियादी ढांचा बनाना है और साथ ही राजकोषीय घाटे का भी ध्यान रखना है।’

अगले चार साल में कारपोरेट कर को 30 से घटाकर 25 प्रतिशत पर लाने के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि इस कदम से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और भारत अपने आसियान के अन्य समकक्षों की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्धी हो सकेगा।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘कारपोरेट कर न केवल वैश्विक बल्कि घरेलू निवेश आकर्षित करने के लिए घटाया गया है।’ जेटली ने कहा कि दक्षिण पूर्व एशिया की अर्थव्यवस्थाएं निचली कर दरों के साथ भारत की मजबूत प्रतिद्वंद्वी हैं।

मंत्री ने कहा कि जहां कर दरों में कटौती की गई है, वहीं सरकार समय के साथ प्रोत्साहनों को समाप्त करेगी। जेटली ने कहा, ‘हमें प्रोत्साहनों को समाप्त करने के लिए कार्यक्रम शुरू करना होगा। हम भारत की कर दरों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना चाहते हैं।’

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