रघुराम राजन ने संसदीय समिति के चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी को सौंपे नोट में इस सच को उजागर किया है. उन्होंने बताया है कि एनपीए का असली जिम्मेदार कौन है.
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नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भारत के पूरे बैंकिंग सिस्टम की पोल खोल दी है. संसदीय समिति को दिए अपने नोट में राजन ने इस बात का जिक्र किया है कि एनपीए का ठीकरा हमेशा आरबीआई पर फोड़ा जाता है. बैंकर्स, प्रोमोटर्स और कई बार सरकारी अधिकारी भी एनपीए के मुद्दे पर पलट जाते हैं और रेगुलेटर को एनपीए का जिम्मेदार बताते हैं. हालांकि, हकीकत यह नहीं हैं. रघुराम राजन ने संसदीय समिति के चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी को सौंपे नोट में इस सच को उजागर किया है. उन्होंने बताया है कि एनपीए का असली जिम्मेदार कौन है.
कौन हैं NPA के लिए जिम्मेदार?
रघुराम राजन ने लिखा बैंकर, प्रोमोटर और विपरित स्थितियां ही एनपीए की सही मायन में जिम्मेदार हैं. रेगुलेटर कभी भी बैंकों के विकल्प के रूप में नहीं हैं. खासकर बैंकों के व्यापारिक फैसलों और उसे सुलझाने के मामलों में आरबीआई कभी हस्ताक्षेप नहीं कर सकता. हालांकि, ज्यादातर स्थितियों में रेगुलेटर सिर्फ चेतावनी जारी कर सकता है और उन्हें बैड लोन के खिलाफ एक्शन लेने के लिए कह सकता है.
रघुराम राजन ने खोले कई राज, बताया- बैंकों के NPA के लिए कौन-कौन हैं 'गुनहगार'
एक रेफरी है आरबीआई
रघुराम राजन के मुताबिक, आरबीआई व्यापारिक मसलों में एक रेफरी के तौर पर काम करता है, न कि एक प्लेयर के तौर पर. बैंकों के बोर्ड उसकी ओर से नामित व्यक्ति का कोई व्यापारिक अनुभव नहीं होता. उसका काम सिर्फ यह देखना होता है कि प्रक्रिया का ठीक तरह से पालन हो.
NPA के मामले में क्या करता है आरबीआई?
रघुराम राजन के नोट के मुताबिक, रेगुलेटर यानी आरबीआई की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी यह है कि वह एनपीए की पहचान करे और उनकी जानकारी दे. इसके अलावा बैंकों को कितनी कैपिटल चाहिए यह सुनिश्चित करना भी आरबीआई का काम है. हालांकि, आरबीआई इसके लिए बैंकों की नियमित निगरानी करता है.
बैंकों ने नहीं उठाए कदम
रघुराम राजन ने कहा कि बैंकों ने फंसते कर्ज की जानकारी होने पर भी सही समय पर कदम नहीं उठाए. हालांकि, बैंकों ने ऐसा क्यों किया वह नहीं जानते. राजन ने कहा, बैंकों ने वास्तव में कई बार प्रमोटर्स को बिना जांच पड़ताल के ही कर्ज जारी किया. प्रोजेक्ट रिपोर्ट के आधार ही लोन जारी कर दिए गए. यही वजह रही कि डूबते कर्ज पर भी कभी ध्यान नहीं दिया गया.
2006-2008 के बीच सबसे ज्यादा NPA
रघुराम राजन का कहना है कि बैंकों के NPA में जो बढ़ोतरी हुई है, उसके लिए पूर्व UPA सरकार में हुए घोटाले भी बड़ी वजह है. रघुराम राजन ने संसदीय समिति को दिए जवाब में कहा कि सबसे ज्यादा एनपीए यूपीए सरकार के कार्यकाल 2006-2008 के बीच रहा. आपको बता दें, हाल ही में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बैंकों में NPA को लेकर रघुराम राजन की नीतियों को जिम्मेदार बताया था.