महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) से महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद मिली है। यहां एक विश्वविद्यालय द्वारा किये गये अध्ययन में यह बात सामने आयी है।
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कोच्चि : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) से महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद मिली है। यहां एक विश्वविद्यालय द्वारा किये गये अध्ययन में यह बात सामने आयी है।
केरल यूनिवर्सिटी आफ फिशरीज एंड ओसिएन स्टडीज (केयूएफओएस) के अध्ययन के अनुसार योजना के अंतर्गत काम कर रहे 97.3 प्रतिशत कामगार महिलाएं हैं। यह अध्ययन अलपुझा जिले में मनरेगा योजना के प्रभाव के आकलन के तहत किया गया है। केरल राज्य ग्रामीण विकास संस्थान से अध्ययन के लिये पैसा दिया।
गरीबी उन्मूलन तथा महिलाओं एवं हाशिये पर खड़े लोगों के सशक्तिकरण में योजना के प्रभाव को समझने के दृष्टिकोण से परियोजना क्रियान्वित की गयी है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि महिलाओं के बीच तनाव कम हुआ है।
करीब 60 प्रतिशत कामगार यह मानते हैं कि योजना से उन्हें रोजाना भोजन की चिंता से राहत मिली है। वहीं 40 प्रतिशत कर्मचारियों के लिये सशक्तिकरण के लिये अतिरिक्त आय है।
अध्ययन में शामिल 27 प्रतिशत प्रतिभागियों का मानना है कि योजना से उनकी बचत आदत मजबूत बनाने में मदद मिली है और इससे उनमें वित्तीय साक्षरता आयी है जो वित्तीय समावेशन के लिये जरूरी है।
अलपुझा जिले में योजना के तहत आसपास के क्षेत्रों से स्वच्छता गतिविधियों से फैलने वाली कई बीमारियों को काबू करने में मदद मिली है। अध्ययन के अनुसार इससे खासकर मत्स्यन, निर्माण, कयर तथा कृषि क्षेत्रों में मजदूरी बढ़ी है।
अध्ययन में कर्मचारियों को मजदूरी का वितरण सात दिन के भीतर करने तथा योजना के दायरे में कृषि संबंधी कायो’ को लाने की सिफारिश की गयी है।