इन्फोसिस के आरोपों पर नारायणमूर्ति ने कहा- कोई पैसा या फिर अपनी संतान के लिए नहीं मांग रहा हक
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इन्फोसिस के आरोपों पर नारायणमूर्ति ने कहा- कोई पैसा या फिर अपनी संतान के लिए नहीं मांग रहा हक

इन्फोसिस के सीईओ विशाल सिक्का ने निदेशक मंडल और एन आर नारायणमूर्ति की अगुवाई में कंपनी के कुछ चर्चित संस्थापकों के साथ बढ़ती कटुता बढ़ने के बीच 18 अगस्त को अप्रत्याशित रूप से इस्तीफा दे दिया.

नारायणमूर्ति ने ईमेल से जारी किए गए एक बयान में अपनी बात कही. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: इन्फोसिस के सीईओ विशाल सिक्का के इस्तीफे के मामले में खुद पर लगे आरोपों से ‘व्यथित’ कंपनी के सह संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति ने शुक्रवार (18 अगस्त) को कहा कि वे ‘कोई धन, अपनी संतान के लिए पद या अधिकार’ नहीं मांग रहे हैं. इन्फोसिस के सीईओ विशाल सिक्का ने निदेशक मंडल और एन आर नारायणमूर्ति की अगुवाई में कंपनी के कुछ चर्चित संस्थापकों के साथ बढ़ती कटुता बढ़ने के बीच शुक्रवार (18 अगस्त) को अप्रत्याशित रूप से इस्तीफा दे दिया. कंपनी के बोर्ड ने इस मामले में नारायणमूर्ति पर निशाना साधते हुए कहा है कि नारायणमूर्ति के लगातार हमलों के चलते ही सिक्का ने इस्तीफा दिया है.

  1. बोर्ड ने सिक्का के इस्तीफे के लिए नारायणमूर्ति को बताया जिम्मेदार.
  2. नारायणमूर्ति ने इन्फोसिस के आरोपों को बताया निराधार.
  3. नारायणमूर्ति ने कहा, सही समय और सही मंच पर दूंगा जवाब.

नारायणमूर्ति ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि उनकी चिंता प्राथमिक रूप से इन्फोसिस में कंपनी कामकाज में ‘मानकों में गिरावट’ को लेकर है. इसके साथ ही उन्होंने कुप्रबंधन के सभी आरोपों में कंपनी को क्लीनचिट देने वाली जांच पर भी सवाल लगाया. सिक्का के इस्तीफे के बाद बोर्ड ने कड़े शब्दों में एक बयान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि नारायणमूर्ति के लगातार हमलों के चलते ही सिक्का ने इस्तीफा दिया है. बोर्ड का कहना है कि नारायणमूर्ति ने लगातार ऐसी ‘अनुचित मांगें’ रखीं जो कि मजबूत कंपनी संचालन व्यवस्था की उनकी घोषित मंशा के खिलाफ हैं.

नारायणमूर्ति ने ईमेल से जारी किए गए एक बयान में कहा है- इनफोसिस बोर्ड द्वारा लगाये गये आरोपों, उसकी भाषा से बहुत व्यथित हूं ... आरोपों का सही तरीके से, सही मंच पर और सही समय पर जवाब दूंगा.

वहीं इन्फोसिस के चेयरमैन आर शेषासायी ने नारायणमूर्ति के आरोपों के जवाब में कहा है -यह कहना समझ से परे है कि जानी मानी कानूनी और ऑडिट फर्में बोर्ड के साथ साठगांठ करेंगी, सीईओ के ‘गलत कार्यों’ को नजरंदाज करेंगी और क्लीन-चिट वाली रिपोर्ट देंगी.

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