नई टेक्नोलॉजी बन रही है महिलाओं के लिए मुसीबत, इतने करोड़ महिलाओं की नौकरी खतरे में
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नई टेक्नोलॉजी बन रही है महिलाओं के लिए मुसीबत, इतने करोड़ महिलाओं की नौकरी खतरे में

30 देशों के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार बड़े पैमाने पर महिलाओं की नौकरियां जाने का अनुमान है

प्रतीकात्मक फोटो.

वाशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को चेतावनी दी कि स्वचालन जैसी नई प्रौद्योगिकियों से वैश्विक स्तर पर महिलाओं से जुड़ी लगभग 18 करोड़ नौकरियां जोखिम में हैं. आईएमएफ ने दुनियाभर के नेताओं से गुजारिश की वह महिलाओं को जरूरी कौशल प्रदान करें. ऊंचे पदों पर लैंगिक अंतर को कम करें, साथ ही कामगारों के लिए डिजिटल अंतर को पाटने के लिए भी काम करें.

30 देशों के आंकड़ों का विश्लेषण
आईएमएफ और विश्व बैंक की बाली में सालाना बैठक के दौरान जारी एक नोट में कहा गया है कि 30 देशों के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार बड़े पैमाने पर महिलाओं की नौकरियां जाने का अनुमान है. इन 30 देशों में आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन के 28 देश और साइप्रस एवं सिंगापुर शामिल हैं. नोट में कहा गया है कि नई प्रौद्योगिकी मांग को कम कर सकती है. इससे महिलाओं को रोजमर्रा के कार्यों के लिए कम पारिश्रमिक मिल सकता है जो श्रम बाजार में उनकी भागीदारी कम करने के दिनों को लौटा देगा.

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प्रौद्योगिकी की मौजूदा स्थिति पर आधारित रुझान
आईएमएफ का विश्लेषण प्रौद्योगिकी की मौजूदा स्थिति पर आधारित है. इसके परिणाम दिखाते हैं कि अगले दो दशकों में नई तकनीक की वजह से इन 30 देशों के कुल 5.4 करोड़ श्रमिकों में 10% महिला और पुरुष श्रमिकों की नौकरी पर सबसे ज्यादा खतरा बना रहेगा. इसमें भी स्वचालन की वजह से महिलाओं कामगारों यानी 11% की नौकरियों पर ज्यादा खतरा है. जबकि पुरुषों में यह स्तर 9% है. इससे इन देशों में 2.6 करोड़ महिलाओं की नौकरी जाने का खतरा है.

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इसके अलावा कम पढ़ी-लिखी या 40 की उम्र पार कर चुकी ऐसी उम्रदराज महिलाएं जो लिपिकीय कार्य, सेवा क्षेत्र या बिक्री के काम में लगी हैं, स्वचालन से उनकी नौकरी भी जा सकती है. आईएमएफ ने कहा कि उसके विश्लेषण के आंकड़े बताते हैं कि स्वचालन जैसी नई तकनीकों से दुनियाभर में करीब 18 करोड़ महिलाओं की नौकरियां जोखिम में हैं.

सिर्फ 27% भारतीय महिलाएं ही नौकरीपेशा
भारतीय अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बड़े स्तर पर कम हो रही है. विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2004 से लेकर 8 सालों में देश में करीब 2 करोड़ कामकाजी महिलाएं कम हुई हैं. ये संख्या न्यूयॉर्क, लंदन और पेरिस की कुल आबादी से भी ज्यादा है. आर्थिक रिसर्च संस्था मैकिंसे ग्लोबल इंस्टीट्यूट के मुताबिक, भारत में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं के काम शुरू करने से 2025 तक देश की जीडीपी में 51.50 लाख करोड़ का इजाफा हो सकता है. हालांकि, इसके बावजूद सिर्फ 27% भारतीय महिलाएं ही नौकरीपेशा हैं. बता दें कि ये ज्यादातर विकासशील और जी-20 देशों के स्तर से नीचे है. सिर्फ सऊदी अरब ही इस मामले में भारत से पीछे है.

(इनपुट एजेंसी से)

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