नीति आयोग ऐसी नीति बना रहा है जिससे पेट्रोल कार पर खर्च 10% तक घट जाएगा.
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नई दिल्ली : वाहन मालिकों के लिए खुशखबरी है, क्योंकि नीति आयोग ऐसी नीति बना रहा है जिससे पेट्रोल कार पर खर्च 10% तक घट जाएगा. इसके तहत पेट्रोल में 15% मेथनॉल मिलाया जाएगा. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह पर्यावरण अनुकूल ईंधन है. इससे न तो प्रदूषण बढ़ेगा बल्कि पेट्रोल की कीमत भी घटेगी. इसके साथ आयोग ईंधन की आपूर्ति सुचारु रखने के लिए किसी पश्चिमी एशियाई देश में मेथनॉल उत्पादन के लिए संयुक्त उद्यम लगाने पर भी गौर फरमा रहा है. एक अनुमान के मुताबिक एथनॉल की कीमत 42 रुपए प्रति लीटर के आसपास है जबकि मेथनॉल की कीमत अनुमानित तौर पर 20 रुपए लीटर के आसपास है. अगर पेट्रोल में 15 फीसदी मेथनॉल मिलाया जाता है तो पेट्रोल कीमतें 10 फीसदी तक नीचे आ जाएंगी.
मेथनॉल आपूर्ति के लिए लगेगा संयुक्त उद्यम
ईंधन में मेथनॉल गैस की वकालत करने वाले नीति आयोग के सदस्य वी.के. सारस्वत ने समाचार एजेंसी 'भाषा' से विशेष बातचीत में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा, 'देश में मेथनॉल आपूर्ति के लिए हम संयुक्त उद्यम लगाने को लेकर पश्चिम एशियाई देशों के साथ बातचीत कर रहे हैं.. यह पूछे जाने पर कि यह संयुक्त उद्यम कहां लगाया जाएगा, उन्होंने स्पष्ट नाम देने से इनकार करते हुए केवल इतना कहा, 'यह एक पश्चिम एशियाई देश में होगा और इसमें बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है.' उन्होंने यह भी कहा, 'संयुक्त उद्यम को लेकर पेट्रोलियम मंत्रालय के साथ बातचीत हुई है. हमने उनसे इस दिशा में पहल करने को कहा है. पेट्रोलियम मंत्री (धर्मेन्द्र प्रधान) ने इस बारे में अध्ययन का निर्देश दिया है.'
इंडियन ऑयल-एसपीसीएल से चल रही बातचीत
सारस्वत ने यह भी कहा, 'इंडियन आयल कारपोरेशन और एचपीसीएल के साथ मेथनॉल मिश्रित पेट्रोल की बिक्री को लेकर बातचीत चल रही है. हमने उनसे पेट्रोल पंपों पर मेथनॉल मिश्रित ईंधन बिक्री के लिए अलग व्यवस्था करने को कहा है.' एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देश में मेथनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये कदम उठाये जा रहे हैं. लेकिन इसमें समस्या गैस की उपलब्धता की है. दानकुनी (पश्चिम बंगाल) में कोयला आधारित मेथनॉल संयंत्र लगाने का निर्णय किया गया है. तालचर (ओडिशा) में भी प्रस्ताव किया गया है, लेकिन इसमें 5 से 6 साल का समय लगेगा.
30 लाख टन मेथनॉल बनाने की है क्षमता
फिलहाल, असम पेट्रोकेमिकल्स लि., गुजरात नर्मदा वैली फर्टिलाइजर्स (जीएनएफसी), गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लि., राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लि. और दीपक फर्टिलाइजर्स मेथनॉल बनाती हैं. इनकी स्थापित क्षमता 30 लाख टन सालाना है. लेकिन गैस उपलब्धता की समस्या के चलते इनकी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं हो रहा.
कैसे बनता है मेथनॉल
मेथनॉल मुख्य रूप से प्राकृतिक गैस और कोयले से बनाया जाता है और इसे पर्यावरण अनुकूल ईंधन माना जाता है. यह अन्य ईंधन के मुकाबले अपेक्षाकृत सस्ता है. उन्होंने कहा, 'जब तक देश में पर्याप्त उत्पादन नहीं होता, हम दूसरे देशों में संयुक्त उद्यम लगाकर वहां से गैस के बजाए मेथनॉल आयात कर सकते हैं.' नीति आयोग के मेथनॉल पर जोर देने के बावजूद इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हो रही है, इस बारे में पूछे जाने पर सारस्वत ने कहा, 'इन सब चीजों में थोड़ा समय लगता है. इसमें निवेश जुड़ा है और हम चाह रहे हैं सरकार के बजाए निजी क्षेत्र से निवेश आए. निजी क्षेत्र निवेश से पहले लाभ एवं अन्य चीजों को देखता है.'
इनपुट एजेंसी से भी