वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि सरकार डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा जरूर देना चाहती है लेकिन इसके लिए चेक बुक बंद करने की सरकार की कोई योजना नहीं है.
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नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि सरकार डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा जरूर देना चाहती है लेकिन इसके लिए चेक बुक बंद करने की सरकार की कोई योजना नहीं है. वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में बकायदा ट्वीट करके मीडिया में चेक बुक बंद करने से संबंधित आ रही खबरों को नकार दिया. सरकार ने कहा कि उसके पास चेक बुक बंद करने का कोई विचार नहीं कर रही है और न ही ऐसा कोई प्रस्ताव सामने आया है. गौरतलब है कि इसी सप्ताह अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (CAIT) ने दावा किया था कि सरकार चेक से होने वाले लेनदेन पर जल्द ही रोक लगा सकती है.
वित्त मंत्रालय ने कहा, "मीडिया के कुछ हिस्से से खबरें आ रही हैं कि केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए आगे आने वाले समय में चेक बुक सुविधा को बंद किया जा सकता है. इस तरह की खबरों को सरकार द्वारा खारिज किया जा चुका है और इसकी बात की पुष्टि की जा रही है कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है."
It had appeared in a certain section of media that there is a possibility that the Central Govt may withdraw bank cheque book facility in the near future, with an intent to encourage digital transactions.This has been denied by the Govt & reaffirmed that there's no such proposal
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) November 23, 2017
AIT के जनरल सेकेट्री प्रवीण खंडेलवाल के कहा था कि सरकार डिजीटल पेमेंट को बढ़ावा दे रही है, चूंकि सरकार अर्थव्यवस्था को कैशलेश इकोनॉमी बनाने पर जोर दे रही है. ऐसे में डिजीटल पेमेंट को बढ़ाने के लिए सरकार क्रेडिट और डेबिट कार्ड के माध्यम से भुगतान करने के पक्ष में है. खंडेलवाल ने बताया था कि अभी सरकार नोट की छपाई पर 25000 करोड़ रुपए खर्च करती है, वहीं इन नोटों की सुरक्षा पर 6000 करोड़ खर्च किए जाते हैं.
खंडेलवाल ने दावा किया था कि इस तरह नोटों की छपाई और रखरखाव में कुल 31000 करोड़ का खर्च किया जाता है. यदि सरकार कैशलेस इकोनॉमी बनाने में कामयाब होती है तो इससे खर्च में बड़ी कमी आएगी. उन्होंने कहा कि यदि सरकार डिजीटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देना चाहती है तो कार्ड पेमेंट पर लगने वाले चार्ज भी खत्म करने होंगे. उन्होंने यह भी कहा था कि देशभर में 80 करोड़ एटीएम हैं, लेकिन सिर्फ 5 प्रतिशत कार्ड का इस्तेमाल डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए किया जाता है, जबकि 95 प्रतिशत एटीएम कार्ड सिर्फ कैश निकालने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं.