लोकपाल बिल को कैबिनेट की मंजूरी
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लोकपाल बिल को कैबिनेट की मंजूरी

नई दिल्ली : कैबिनेट ने लोकपाल विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी. इस विधेयक को एक अगस्त से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में एक-दो दिन के भीतर ही पेश कर दिया जाएगा. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में स्वयं को लोकपाल के दायरे में रखने की पेशकश की लेकिन उनकी काबिना के अन्य सहयोगियों ने इसके नफे-नुकसान पर लंबी चर्चा के बाद इस पद को प्रस्तावित भ्रष्टाचार निरोधी निकाय के दायरे से बाहर रखने का फैसला किया. हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्रियों और वर्तमान प्रधानमंत्री के पद से हटने के बाद वह इसके दायरे में होंगे.
इस लोकपाल विधेयक 2011 के मसौदे के तहत प्रधानमंत्री, उच्च न्यायपालिका और संसद के भीतर सांसदों के आचरण को प्रस्तावित भ्रष्टाचार निरोधी निकाय के दायरे से बाहर रखा गया है. इन तीनों ही मुद्दों पर सरकार के गांधीवादी अन्ना हजारे पक्ष से तीखे मतभेद हैं. हालांकि, इसके अलावा हजारे पक्ष की ओर से सुझाये गये 40 बिंदुओं में से 34 को सरकार ने इस मसौदे में शामिल करने का दावा किया है.

कैबिनेट की बैठक के बाद सूचना और प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी, विधि और न्याय मंत्री सलमान खुर्शीद और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायण सामी ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बताया कि प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई भी शिकायत सात साल तक मान्य रहेगी और इस अवधि में उनके पद से हटने पर उनके विरुद्ध लोकपाल के तहत जांच शुरू की जा सकेगी.
मसौदे के मुताबिक, लोकपाल में एक अध्यक्ष और आठ अन्य सदस्य होंगे। इनमें से आधे सदस्य न्यायपालिका से होंगे. लोकपाल की अपनी जांच इकाई और अभियोजन इकाई होगी. बहरहाल, लोकपाल को अभियोजन चलाने के अधिकार नहीं होंगे। अभियोजन चलाने का अधिकार न्यायपालिका के पास ही रहेगा.

लोकपाल विधेयक के मसौदे के मुख्य बिंदु 

1. प्रधानमंत्री और न्यायपालिका लोकपाल के दायरे में नहीं रहेंगे.
2. प्रधानमंत्री पदमुक्त होने के बाद लोकपाल के दायरे में आएंगे.
3. पद पर रहते हुए प्रधानमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार की कोई भी शिकायत सात साल तक मान्य रहेगी। शिकायत मिलने के सात वर्ष के भीतर अगर वह पद मुक्त होते हैं तो उनके खिलाफ जांच शुरू हो सकेगी.
4. संसद के भीतर सांसदों के आचरण को भी लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है.
5. लोकपाल में एक अध्यक्ष और आठ अन्य सदस्य होंगे। इसके आधे सदस्य न्यायपालिका से होंगे.
6. लोकपाल को पदमुक्त होने के बाद कभी भी किसी भी दल से चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं होगा.
7. उच्चतम न्यायालय के किसी सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के कोई सेवारत या सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश को लोकपाल का अध्यक्ष बनाया जा सकता है.
8. लोकपाल के सदस्य के रूप में नियुक्त होने वाले गैर-न्यायिक पृष्ठभूमि वाले लोगों के लिए पूरी तरह ईमानदार होना और प्रशासन में भ्रष्टाचार निरोधी निगरानी के काम का कम से कम 25 वर्ष का अनुभव होना जरूरी होगा.
9. लोकपाल को स्वत: संज्ञान के आधार पर निर्णय करने के अधिकार होंगे.
10. लोकपाल की निष्पक्षता बनाये रखने के लिए इसके सदस्यों में किसी भी राजनीतिक दल के लोगों को शामिल नहीं किया जाएगा.
11. लोकपाल का चयन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति करेगी। इस समिति में लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा सभापति, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता, कैबिनेट के एक सदस्य और उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के एक-एक न्यायाधीश शामिल रहेंगे.
12. लोकपाल को हटाने का अधिकार राष्ट्रपति के पास ही होगा। राष्ट्रपति की ओर से प्रधान न्यायाधीश को सिफारिश के लिये मामला भेजा जाएगा। अंतिम फैसला राष्ट्रपति का ही होगा.
13. लोकपाल को अपने कर्मचारियों-अधिकारियों का चयन करने के अधिकार होंगे.
14. लोकपाल के अधीन सीबीआई को नहीं रखा जाएगा लेकिन वह सीबीआई के अधिकारियों की सेवाएं ले सकेगा.
15. लोकपाल को भविष्य में अभियोजन चल सकने वाले मामलों की जांच के लिए आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता और भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी.
16. लोकपाल को भ्रष्ट नौकरशाहों की संपत्ति जब्त करने का भी अधिकार होगा.

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