9 'Jewel Thief' ने PNB को सबसे बड़ा चूना लगाया, SBI से 4 गुना ज्यादा घाटा
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9 'Jewel Thief' ने PNB को सबसे बड़ा चूना लगाया, SBI से 4 गुना ज्यादा घाटा

ज्यादातर ट्रांजैक्शन नकद में करने वाले हीरा और ज्वैलरी कारोबारी ने बैंकों को 5 हजार करोड़ का झटका दिया है. ऐसा करने वाले कुल 90 डिफॉल्टर्स हैं.

विलफुल डिफॉल्टर्स की कुल संख्या 5000 है, इन्होंने बैंकों को करीब 49 हजार करोड़ का झटका दिया है.

नई दिल्ली: ज्यादातर ट्रांजैक्शन नकद में करने वाले हीरा और ज्वैलरी कारोबारी ने बैंकों को 5 हजार करोड़ का झटका दिया है. ऐसा करने वाले कुल 90 डिफॉल्टर्स हैं. फेडरेशन ऑफ बैंक ऑफ इंडिया स्टाफ यूनियन (FBISU) ने बैंक और कंपनी आधारित डाटा पेश किया है. खास बात यह है कि पिछले कुछ दिनों से चर्चा में आए पंजाब नेशनल बैंक ऐसा बैंक है जिसे ज्वैलर्स ने सबसे ज्यादा चूना लगाया है. पीएनबी को 9 डिफॉल्टर्स ने 1790 करोड़ रुपए का झटका दिया है. यह रकम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को लगे झटके से करीब 4 गुना ज्यादा है. 

  1. पीएनबी को 9 डिफॉल्टर्स ने 1790 करोड़ रुपए का झटका दिया
  2. यह रकम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को लगे झटके से करीब 4 गुना ज्यादा
  3. 15 डिफॉल्टर्स के जरिए एसबीआई को 410 करोड़ रुपए का घाटा हुआ

SBI के डिफॉल्टर्स सबसे ज्यादा
पंजाब नेशनल बैंक को सबसे ज्यादा चूना लगाने वाले डिफॉल्टर्स की संख्या भले ही कम है, लेकिन घाटा बहुत बड़ा है. वहीं, एसबीआई के मामले में विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या ज्यादा है. 15 डिफॉल्टर्स के जरिए एसबीआई को 410 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है. 

डिफॉल्टर्स की संख्या 5 हजार पार
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, FBISU के डाटा की मानें तो विलफुल डिफॉल्टरों की कुल संख्या 5 हजार है, इन्होंने बैंकों को करीब 49 हजार करोड़ का झटका दिया है, लेकिन आरबीआई के ताजा आंकड़ों को देखें तो विलफुल डिफॉल्टरों की संख्या 8,915 हो गई है और इससे करीब 92,376 करोड़ का झटका लगा है. ये आंकड़े भी मार्च 2017 तक के हैं. कुल डिफॉल्टरों की संख्या के मामले में भी पीएनबी 1,120 डिफॉल्टरों के साथ सबसे आगे है, जबकि एसबीआई 997 के साथ दूसरे नंबर पर है.

और ज्यादा हो सकते हैं ज्वैल थीफ
बैंकों को चपत लगाने वाली हीरा और ज्वैलरी कारोबारी की संख्या और ज्यादा हो सकती है. दिए गए आंकड़ों में पीएनबी का हालिया घोटाला शामिल नहीं है. फाइनल डाटा इस सेक्टर में अब तक के सबसे बड़े फ्रॉड के रूप में सामने आ सकता है.

क्या है बैंकर्स का कहना
बैंकर्स के मुताबिक, कई छोटे-बड़े लोन अब तक नहीं चुकाए गए हैं. विनसम, ब्यूटिफुल डायमंड और ऑरो गोल्ड ज्वैलरी जैसी कंपनियां कई बैंकों की बकाएदार हैं. इनमें कुछ मामलों में बैंकों ने रिकवरी की प्रक्रिया शुरू कर दी है. कुछ मामलों में ऐसा भी देखने को मिला है कंपनियों ने अपना नाम बदलकर बैंकों से लोन लिया. 

मनी लॉन्ड्रिंग का सबसे बड़ा जरिया
डाटा देखने के बाद यह बात सामने आई कि ब्यूटिफुल डायमंड का नाम पहले स्प्लैंडर जेम्स था, जबकि ऑरो गोल्ड जूलरी प्राइवेट लिमिटेड ने अपने नाम से 'प्राइवेट' हटा लिया. वहीं एक और अन्य घनश्यानदास जेम्स ऐंड ज्वैलर्स बाद में 'घनश्यामदास' बन गया. मल्टिडिसिप्लीनरी थिंक टैंक सिनर्जिया फाउंडेशन के टोबी सिमॉन ने कहा, 'हीरे का व्यापार काफी हद तक नकदी पर निर्भर रहता है, ऐसे में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में यही सबसे बड़ा जरिया है.' 

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