ई-खुदरा कंपनियों के कारण बढ़ा डाक विभाग का राजस्व
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ई-खुदरा कंपनियों के कारण बढ़ा डाक विभाग का राजस्व

 ई-वाणिज्य कंपनियों द्वारा उपभोक्ताओं को आर्डर की डिलीवरी के लिए भारतीय डाक विभाग की सेवा का उपयोग लगातार बढ़ाने के कारण तेजी से बढ़ने ई-वाणिज्य कारोबार विभग के लिए राजस्व बढ़ाने का जरिया बन गया है। डाक विभाग का पारंपरिक परिचालन ई-मेल और मोबाइल फोन का प्रसार बढ़ने से प्रभावित हुआ था। इस क्षेत्र की संभावना को देखते हुए डाक विभाग ने देश के वाणिज्यिक केंद्र मुंबई में प्रतिबद्ध ई-वाणिज्य और पार्सल प्रसंस्करण केंद्र खोला है।

मुंबई:  ई-वाणिज्य कंपनियों द्वारा उपभोक्ताओं को आर्डर की डिलीवरी के लिए भारतीय डाक विभाग की सेवा का उपयोग लगातार बढ़ाने के कारण तेजी से बढ़ने ई-वाणिज्य कारोबार विभग के लिए राजस्व बढ़ाने का जरिया बन गया है। डाक विभाग का पारंपरिक परिचालन ई-मेल और मोबाइल फोन का प्रसार बढ़ने से प्रभावित हुआ था। इस क्षेत्र की संभावना को देखते हुए डाक विभाग ने देश के वाणिज्यिक केंद्र मुंबई में प्रतिबद्ध ई-वाणिज्य और पार्सल प्रसंस्करण केंद्र खोला है।

शहर के परेल इलाके में 12,000 वर्गफुट में फैली इस इकाई को कम अवधि में ही अच्छा कारोबार मिला। यह इकाई रोजाना करीब 5,000 आर्डर का संचालन करती है। कई ई-वाणिज्य कंपनियों ने भारत की सबसे पुरानी और विश्वसनीय राष्ट्रीय डाक सुविधा के साथ गठजोड़ के लिए संपर्क किया है। इनमें आमेजन, स्नैपडील, फ्लिपकार्ट, ई-बे, टेलीब्रांड इंडिया, टीवीसी नेटवर्क, क्विक सर्विस और रेड बाक्स शामिल हैं।

 

डाक विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा ‘‘वाणिज्यिक समझौता पिछले साल से हो रहा है और अब तक हमारा मुंबई क्षेत्र में 46 ई-वाणिज्यिक कंपनियों, पुणे में सात और गोवा में छह कंपनियों के साथ गठजोड़ हुआ है।’’ अधिकारी ने कहा ‘‘स्पीड पोस्ट सेवा को हमारे सबसे तरजीही और प्रीमियम ब्रांड के तौर पर जाना जाता है इसलिए ये कंपनियों अपने उत्पादों की आपूर्ति के लिए हमारी सेवाएं ले रही हैं।’’ उन्होंने कहा ‘‘पिछले वित्त वर्ष के दौरान हमने ई-वाणिज्य कंपनियों के जरिए आपूर्ति से हमें लगभग 10 करोड़ रपए मिले . हमने इसे दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।’’

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