RBI के नीतिगत ब्याज दर कम न करने से उद्योग जगत निराश
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RBI के नीतिगत ब्याज दर कम न करने से उद्योग जगत निराश

मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर में बदलाव नहीं करने के रिजर्व बैंक के फैसले से निराश उद्योग जगत ने आज कहा कि 2015 के शेष महीनों में केंद्रीय बैंक को अपनी अल्पकालिक दर में 0.75 प्रतिशत तक कटौती करने की आवश्यकता है। उद्योग जगत ने बजट के बाद इसमें नरमी की उम्मीद जताई है।

RBI के नीतिगत ब्याज दर कम न करने से उद्योग जगत निराश

नई दिल्ली : मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर में बदलाव नहीं करने के रिजर्व बैंक के फैसले से निराश उद्योग जगत ने आज कहा कि 2015 के शेष महीनों में केंद्रीय बैंक को अपनी अल्पकालिक दर में 0.75 प्रतिशत तक कटौती करने की आवश्यकता है। उद्योग जगत ने बजट के बाद इसमें नरमी की उम्मीद जताई है।

रिजर्व बैंक ने प्रमुख नीतिगत दरों में आज कोई बदलाव नहीं किया। केन्द्रीय बैंक ने कहा कि जनवरी मध्य में की गई कटौती के बाद से ऐसा कोई उल्लेखनीय घटनाक्रम नहीं हुआ है जिससे कि दरों में और कटौती की जा सके।

केन्द्रीय बैंक ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 7.75 प्रतिशत पर यथावत रखा लेकिन बैंकों के सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को 0.50 प्रतिशत घटाकर उनकी कुल जमा राशि का 21.5 प्रतिशत कर दिया। यह व्यवस्था 7 फरवरी से लागू होगी। इससे बैंकों के पास कर्ज देने के लिये अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी। रेपो वह दर है जिस पर बैंक वाणिज्यिक बैंकों को फौरी जरूरत के लिए धन उधार देता है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंडल फिक्की के वक्तव्य में कहा गया, रेपो दर में यदि कटौती की जाती तो इससे धारणा में और सुधार होता .. हमें उम्मीद है कि रेपो दर में कटौती का चक्र आम बजट पेश होने के बाद फिर शुरू किया जायेगा। वक्तव्य में कहा गया है, हमें 2015 में दरों में और 0.75 प्रतिशत कटौती की जरूरत लगती है। इस कटौती का लाभ बैंकों द्वारा उद्योगों को कम ब्याज दरों के रूप में दिया जाना चाहिये ताकि निरंतर आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा दिया जा सके। एसोचैम ने कहा कि केन्द्रीय बैंक को दरों में पहले हुई कटौती का लाभ प्रभावी तरीके से आगे पहुंचाने के लिये बैंकों पर जोर देना चाहिये।

उद्योग मंडल ने कहा, उद्योगों के लिये पूंजी की लागत कम होनी चाहिये, इसके साथ ही उपभोक्ताओं के लिये भी ब्याज दरें नीचे आनी चाहिये ताकि मांग में तेजी आये। पीएचडी उद्योग मंडल ने भी अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा सके।

 

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