मौद्रिक समीक्षा: नहीं घटेगी EMI, ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं, महंगाई दर 5% रहने का अनुमान
Advertisement

मौद्रिक समीक्षा: नहीं घटेगी EMI, ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं, महंगाई दर 5% रहने का अनुमान

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर उर्जित पटेल ने आज (बुधवार) मौद्रिक समीक्षा पेश की। रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर को 6.25% पर अपरिवर्तित रखा। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में सभी 6 सदस्यों ने दरों में यथास्थिति बनाये रखने के पक्ष में मत दिया। नोटबंदी के बाद यह RBI की यह पहली मौद्रिक समीक्षा है।

मौद्रिक समीक्षा: नहीं घटेगी EMI, ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं, महंगाई दर 5% रहने का अनुमान

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर उर्जित पटेल ने आज (बुधवार) मौद्रिक समीक्षा पेश की। रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर को 6.25% पर अपरिवर्तित रखा। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में सभी 6 सदस्यों ने दरों में यथास्थिति बनाये रखने के पक्ष में मत दिया। नोटबंदी के बाद यह RBI की यह पहली मौद्रिक समीक्षा है। यह भी पढ़ें- रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा की मुख्य बातें

बाजार विश्लेषकों ने कहा था कि रिजर्व बैंक बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति कल और आज चली अपनी दो दिन की बैठक में अपनी फौरी ब्याज दर रेपो में कम से कम 0.25% की कमी कर सकती है ताकि आर्थिक वृद्धि को बढावा दिया जा सके। नोटबंदी से प्रभावित माहौल में केन्द्रीय बैंक ने हालांकि चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि का अनुमान पहले के 7.6% से घटाकर 7.1% कर दिया। मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद गवर्नर पटेल ने नीतिगत दर को 6.25% पर स्थिर रखे जाने का फैसला सुनाया। बढ़ी हुई जमा राशि पर सीआरआर में वृद्धि को 10 दिसंबर से वापस ले लिया जाएगा। ब्याज दरों पर रिजर्व बैंक की नीति का आगामी अमेरिकी फेडरल रिजर्व के निर्णय से कोई लेना देना नहीं है। आठ नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट अमान्य किये जाने के बाद यह समिति की पहली तथा कुल मिला कर दूसरी समीक्षा बैठक थी। 

रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में महंगाई दर के 5% रहने का अनुमान लगाया है। हालांकि, इसमें वृद्धि का जोखिम भी बताया गया है फिर भी यह अक्टूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा से कम रहेगी। रिजर्व बैंक ने कहा है कि 7वें वेतन आयोग के तहत आवास भत्ते के पूरे प्रभाव का आकलन अभी तक नहीं हो पाया है, इसके क्रियान्वयन के बाद ही इसका पता चल पायेगा इसलिये महंगाई दर में इसके असर को शामिल नहीं किया गया है।

नोटबंदी के बारे में मौद्रिक समीक्षा में कहा गया है कि पुराने उच्चमूल्य वर्ग के नोटों को चलन से वापस लिये जाने से वेतन भुगतान और कच्चे माल की खरीद में देरी की वजह से नवंबर-दिसंबर में औद्योगिक गतिविधियों के कुछ हिस्से पर असर पड़ सकता है। इसका पूरा आकलन करना अभी बाकी है। इसमें कहा गया है, ‘नोटबंदी की वजह से सेवा क्षेत्र में निर्माण, व्यापार, परिवहन, होटल और दूरसंचार कारोबार कुछ समय के लिये असर पड़ने की वजह से परिदृश्य मिला जुला रहा है। लेकिन 7वें वेतन आयोग के लागू होने और एक रैंक एक पेंशन के लागू होने से लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं के क्षेत्र में गतिविधियां अच्छी बनीं रहेंगी।

रिजर्व बैंक ने कहा है कि पुराने 14.5 लाख करोड़ रुपये के नोटों में से 12 लाख करोड़ रुपये वापस बैंकिंग तंत्र में लौट चुके हैं। रिजर्व बैंक ने 10 दिसंबर से नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) की 100% दर को भी हटा लिया है। इस कदम से बैंक अब अपने पास अधिक राशि रख सकेंगे।

आरबीआई ने कहा, नोटबंदी का फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया गया। नोट छापने का काम तेजी से हो रहा है। रिजर्व बैंक ने लोगों से नये नोटों की जमाखोरी नहीं करने की अपील करते हुए कहा कि नये नोटों की पर्याप्त आपूर्ति की जा रही है। अब तक 4 लाख करोड़ रुपये के नये नोट जारी किये जा चुके हैं। साथ ही नये करेंसी नोटों की आपूर्ति जारी रखने का वादा किया और कहा कि करीब 11.55 लाख करोड़ रुपये के पुराने नोट वापस बैंकों में जमा हो गये हैं। नोटबंदी से पड़ने वाले प्रभावों को ध्यान में रखा गया है और परेशानी कम करने के सभी प्रयास किये जा रहे हैं।

आरबीआई ने कहा, नोटबंदी से खुदरा कारोबार, होटल, रेस्त्रां और परिवहन क्षेत्र में कुछ समय के लिये गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं क्योंकि इनमें ज्यादातर लेनदेन नकदी में होता है। नोटबंदी का रिजर्व बैंक की ‘बैलेंस सीट’ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। 1000 रुपये का नोट लाने के बारे में अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया। स्थिति सामान्य होने पर नकदी निकासी की सीमा को हटा लिया जायेगा। सरकार ने गत 8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट बंद करने की घोषणा की। 

पटेल ने रिजर्व बैंक गवर्नर के रूप में अपनी पहली मौद्रिक समीक्षा में अक्टूबर में रेपो दर को 0.25% घटाकर 6.25% किया था। जनवरी, 2015 के बाद से केंद्रीय बैंक रेपो दरों में 1.75% की कटौती कर चुका है। अक्टूबर 2016 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.2% थी जबकि रिजर्व बैंक ने मार्च 2017 के लिए इसको 4% से 2% कम या अधिक के दायरे में सीमित रखने का लक्ष्य रखा है।

Trending news