Trending Photos
नयी दिल्ली : आरबीआई द्वारा नीतिगत दर में कटौती का स्वागत करते हुए सरकार ने आज कहा कि उबर रही किसी भी अर्थव्यवस्था को नीतिगत समर्थन की जरूरत होती है और इस साल नीतिगत ब्याज दर में तीसरी कटौती अर्थव्यवस्था के रझानों के मुताबिक है जिसमें मुद्रास्फीति में गिरावट का रझान भी शामिल है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने रिजर्व बैंक की आज जारी द्वैमासिक समीक्षा पर टिप्पणी करते हुए सामान्य से कम मानसूनी की कमजोरी को लेकर उठ रही चिंताओं को अधिक मान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि सरकार मूल्य वृद्धि के जोखिम को नियंत्रित करने के लिए निश्चित तौर पर कदम उठाएगी।
सुब्रमणियन ने यहां संवाददाताओं से कहा, ये कटौतियां अर्थव्यवस्था के रूझान के अनुरूप हैं जिनमें मुद्रास्फीति में तेज गिरावट, चालू खाते के घाटे पर नियंत्रण और मौजूदा सख्त राजकोषीय अनुशासन शामिल है। वित्त मंत्री अरुण जेटली तथा उद्योग की मांग पर अमल करते हुए रिजर्व बैंक गर्वनर रघुराम राजन ने रेपो दर (अल्पकालिक ऋण दर) 7.5 प्रतिशत से घटाकर 7.25 प्रतिशत कर दिया। इस पहल से व्यक्तिगत जरूरतों और कारोबार के लिए बैंक ऋण पर ब्याज दरें घट सकती हैं।
सुब्रमणियन ने कहा, सरकार और आरबीआई इस बात से सहमत है कि इन कटौतियों से यह स्पष्ट होता है कि अर्थव्यवस्था को नीतिगत समर्थन की जरूरत है क्योंकि घरेलू आर्थिक वृद्धि तेज हो रही है जबकि वैश्विक बाजारों में नरमी बनी हुई। उन्होंने कहा, दोनों संस्थाये (सरकार और आरबीआई) मिलकर काम करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो कि वृहद् आर्थिक स्थिति मजबूत रहे और निवेश एवं वृद्धि अपनी संभावनाओं के अनुरूप बढ़े। बैंकों द्वारा मुख्य दर में कटौती का फायदा अपने ग्राहकों को देने की संभावना के संबंध में उन्होंने कहा, हमें मुख्य दर में कटौती का फायदा ग्राहकों तक पहुंचने का इंतजार करना होगा और उस पर निगाह रखनी होगी।
बारिश कम होने से महंगाई बढने की आशंकोओं को अधिक भाव न देते हुए सुब्रमणियन ने कहा कि सरकार ने पिछले साल भी नीतिगत प्रबंध से मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखा जबकि बारिश बहुत अच्छी नहीं हुई थी।
उन्होंने कहा, पिछले साल भी मानसून बहुत अच्छा नहीं था और सरकारी नीति के जरिए हमने मुद्रास्फीति नियंत्रित की और यदि मानसून उतना बुरा होता है जैसा कि कुछ लोगों को आशंका है तो इस साल भी हम वही करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, हम नहीं जानते कि ऐसा कैसे होगा लेकिन मुझे लगता है कि सरकार मुद्रास्फीतिक जोखिम को नियंत्रित करने के लिए निश्चित तौर पर काम करेगी।
आरबीआई द्वारा सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) के आधार पर आर्थिक वृद्धि के अनुमान को अप्रैल में 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.6 प्रतिशत करने के संबंध में उन्होंने कहा, मैं यह व्याख्या कर चुका हूं कि आर्थिक समीक्षा में व्यक्त अनुमान का आधार क्या था और देखते हैं कि स्थिति क्या बनती है। लोगों के अनुमान अलग-अलग हो सकते है। नीतिगत ब्याज दर में और कटौती की संभावना के बारे में पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर उन्होंने कहा हमें इंतजार करना और देखना होगा।