RBIvsGovt: उस धारा 7 को जानिए जिसके इस्‍तेमाल होने पर गवर्नर दे सकते हैं इस्‍तीफा!
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RBIvsGovt: उस धारा 7 को जानिए जिसके इस्‍तेमाल होने पर गवर्नर दे सकते हैं इस्‍तीफा!

समूचे घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकार ने रिजर्व बैंक कानून की धारा 7 के तहत विभिन्न मुद्दों को लेकर कम से कम तीन पत्र भेजे हैं.

केंद्र और रिजर्व बैंक के बीच कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद उभरे हैं.(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: समझा जाता है कि सरकार ने रिजर्व बैंक के साथ मतभेदों को दूर करने के लिये अब तक कभी इस्तेमाल में नहीं लाई गई आरबीआई कानून की धारा सात का उल्लेख किया है. रिजर्व बैंक और सरकार के बीच खींचतान को लेकर विवाद गत शुक्रवार को उस समय सतह पर आया जब रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने जोरदार भाषण में एक तरह की चेतावनी देते हुये कहा कि केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता को यदि कमतर आंका गया तो इसके 'घातक' परिणाम हो सकते हैं. उनकी इस बात को लेकर यह संकेत माना गया कि अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले रिजर्व बैंक को नीतियों में राहत देने के लिये मजबूर किया जा रहा है.

  1. 7 दशकों में आज तक कभी धारा 7 का इस्‍तेमाल नहीं किया
  2. सूत्रों के मुताबिक इसका जिक्र करते हुए आरबीआई को लिखे गए तीन पत्र
  3. हालांकि सरकार ने किसी तरह का विशेष निर्देश जारी करने की कोई कार्रवाई नहीं की है

समूचे घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकार ने रिजर्व बैंक कानून की धारा 7 के तहत विभिन्न मुद्दों को लेकर कम से कम तीन पत्र भेजे हैं. आरबीआई कानून की धारा सात केंद्र सरकार को सार्वजनिक हित के मुद्दों पर केंद्रीय बैंक के गवर्नर को सीधे निर्देश जारी करने का अधिकार देती है.

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केंद्र और रिजर्व बैंक के बीच कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद उभरे हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के कमजोर बैंकों के कामकाज में सुधार के उपायों, प्रणाली में नकदी की तंगी और बिजली क्षेत्र में फंसे कर्ज की समस्या से निपटने से जुड़े मुद्दे हैं, जिन पर मतभेद कुछ ज्यादा है. अपुष्ट खबरों के मुताबिक इन मतभेदों को लेकर स्थिति यहां तक पहुंच गई कि रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल इस्तीफा देने का मन बना चुके थे. सरकार यदि कोई अप्रत्याशित कदम उठाती तो ऐसा हो सकता था.

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आरबीआई कानून की धारा-7
1. आरबीआई कानून की धारा 7 केंद्र सरकार को जनहित में रिजर्व बैंक को निर्देश जारी करने का अधिकार देती है. हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक कानून, 1934 की धारा 7(1) का सरकार ने अब तक कभी इस्तेमाल नहीं किया है.

2. घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने कहा कि नॉर्थ ब्लॉक स्थित वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय बैंक के साथ विवादों का निपटान करने के लिए रिजर्व बैंक कानून के तहत उपलब्ध इस धारा का उल्लेख किया है. धारा 7 प्रबंधन से संबंधित है.

3. आरबीआई कानून, 1934 की धारा 7(1) कहती है कि केंद्र सरकार, रिजर्व बैंक के गवर्नर के साथ विचार-विमर्श के बाद जनहित में समय-समय पर केंद्रीय बैंक को निर्देश जारी कर सकती है.

4. इसके अलावा धारा 7(2) सरकार को रिजर्व बैंक के कामकाज का संचालन उसके केंद्रीय निदेशक बोर्ड को देने का अधिकार देती है.

5. सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ सप्ताह के दौरान वित्त मंत्रालय ने आरबीआई कानून की धारा 7 के तहत रिजर्व बैंक को तीन अलग-अलग पत्र लिखे हैं. इनमें बैंकों के त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के रूपरेखा ढांचे से लेकर नकदी प्रबंधन के मुद्दों पर विचार विमर्श करने को कहा गया है. हालांकि, सूत्रों ने स्पष्ट किया कि सरकार ने किसी तरह का विशेष निर्देश जारी करने की कोई कार्रवाई नहीं की है और सिर्फ कुछ मुद्दों को सुलझाने के लिए विचार विमर्श की प्रक्रिया शुरू की है.

(इनपुट: एजेंसी के साथ)

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