रिजर्व बैंक ने 2015-16 का आर्थिक वृद्धि अनुमान घटाकर 7.4 फीसदी किया
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रिजर्व बैंक ने 2015-16 का आर्थिक वृद्धि अनुमान घटाकर 7.4 फीसदी किया

रिजर्व बैंक ने मंगलवार को 2015-16 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर का अपना अनुमान 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया और कहा कि वित्त वर्ष की शेष अवधि में इसमें तेजी आने की उम्मीद है।

रिजर्व बैंक ने 2015-16 का आर्थिक वृद्धि अनुमान घटाकर 7.4 फीसदी किया

मुंबई : रिजर्व बैंक ने मंगलवार को 2015-16 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर का अपना अनुमान 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया और कहा कि वित्त वर्ष की शेष अवधि में इसमें तेजी आने की उम्मीद है।

रिजर्व बैंक ने आज हुई मौद्रिक नीति समीक्षा रिपोर्ट में कहा है कि कुल मिलाकर प्रमुख अथवा अन्य परिस्थितियों से जुड़े संकेतकों, सर्वेक्षणों और मॉडल आधारित अनुमानों के आकलन के जरिए सकल मूल्यवर्धित (जीवीए) वृद्धि का अनुमान 2015-16 के लिए अपैल की मौद्रिक नीति रपट में जाहिर आकलन के मुकाबले घटाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि बेसिक मूल्यों पर वास्तविक सकल मूल्य वर्धन चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 7.6 प्रतिशत तक पहुंचने से पहले तीसरी तिमाही में करीब 7 प्रतिशत रहेगा।

रिपोर्ट में हालांकि, कहा गया कि वित्त वर्ष के दौरान वास्तविक सकल मूल्यवृर्धित वृद्धि धीरे-धीरे बढ़ने की उम्मीद है जिसमें सतही चक्रीय बढ़ोतरी की संभावना रहेगी। यह संभावित सामान्य मानसून और बाहरी मांग में कुछ सुधार से प्रेरित होगी लेकिन इसमें यह माना गया है कि नीतिगत पहलों के जरिए कोई ढांचागत बदलाव नहीं आएगा और आपूर्ति मामले में कोई बड़ा झटका नहीं लगेगा। रिजर्व बैंक ने बैंकों के नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कोई बदलाव नहीं किया और इसे चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है। सीआरआर वह अनुपात होता है जिसे बैंकों को अनिवार्य तौर पर केंद्रीय बैंक के पास जमा रखना होता है।

रिजर्व बैंक द्वारा प्रमुख नीतिगत दर में की गई 0.50 प्रतिशत कटौती के मुताबिक अब रिवर्स रेपो दर घटकर 5.75 प्रतिशत, सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 7.75 प्रतिशत पर समायोजित होगी। रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि मौद्रिक नीति में अगला समयोजन हालिया मुद्रास्फीतिक दबाव पर नियंत्रण, मानसून का पूरा परिणाम, फेडरल रिजर्व की संभावित पहल और केंद्रीय बैंक द्वारा वर्ष के शुरू में की गई नीतिगत दर कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को दिए जाने पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में मुद्रास्फीति सितंबर से कुछ महीनों के लिए बढ़ सकती है क्योंकि अब तक अनुकूल रहा आधार प्रभाव अब उलट सकता है। राजन ने कहा कि यदि बुवाई के रकबे में हुई वृद्धि बेहतर खाद्यान्न उत्पादन के रूप में सामने आती है तो खाद्य मुद्रास्फीति का परिदृश्य सुधर सकता है। न्यूनतम मूल्य समर्थन में हल्की बढ़ोतरी से अनाज संबंधी मुद्रास्फीति कम रह सकती है जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य पदार्थ की कमजोर मूल्य स्थिति से चीनी, खाद्य तेल और कुल मिलकार खाद्य मुद्रास्फीति पर नरमी का दबाव बना रह सकता है। उन्होंने कहा कि इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए मुद्रास्फीति के जनवरी 2016 में 5.8 प्रतिशत पर पहुंच जाने की उम्मीद है। यह अगस्त में लगाये गये अनुमान से थोड़ा कम है।

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