UPA-2 सरकार में हर महीने 9000 फोन और 500 मेल की होती थी निगरानी : RTI
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UPA-2 सरकार में हर महीने 9000 फोन और 500 मेल की होती थी निगरानी : RTI

गृह मंत्रालय के हालिया आदेश के मुताबिक, 10 सुरक्षा एजेंसियां किसी भी वक्त किसी कंप्यूटर की जांच कर सकती है.

फोटो साभार रॉयटर्स.

नई दिल्ली: सरकारी एजेंसियों द्वारा कंप्यूटरों की निगरानी के ताजा फैसले को लेकर विवाद जारी है. इस बीच एक RTI के जरिए खुलासा हुआ है कि UPA-2 सरकार के दौरान हर महीने 9000 फोन और 500 ईमेल की निगरानी की जाती थी. सूचना एवं प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि यूपीए सरकार ने भी इसी तरह का कदम उठाया था. राठौड़ ने कांग्रेस से कहा कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्वित करने के लिए उठाये गए कदमों पर ‘पाखंड’ नहीं करे.

उन्होंने ट्वीट किया,‘2013 के आरटीआई जवाब से खुलासा हुआ कि UPA-2 के दौरान 9000 फोन और 500 ईमेल प्रति महीने टैप किये गए. यह एक दिन में 300 फोन और 20 ईमेल होते हैं. आपातकाल और पोस्ट ऑफिस संशोधन विधेयक के इतिहास के साथ कांग्रेस को राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाये गए कदमों को लेकर पाखंड नहीं करना चाहिए.’

 

 

बता दें, वर्तमान सरकार ने 10 केंद्रीय एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर सिस्टम में रखे गए सभी डेटा की निगरानी करने और उन्हें देखने का अधिकार दिया है. सरकार के इस फैसले की विपक्षी पार्टियां आलोचना कर रही हैं. वहीं वित्त मंत्री अरूण जेटली सहित सरकार के शीर्ष मंत्रियों ने कहा कि ऐसा यूपीए सरकार की ओर से बनाये गए नियमों के अनुरूप किया गया है.

 

 

गृह मंत्रालय के ताजा आदेश के मुताबिक आईटी एक्ट, 2000 की धारा 69 के सब सेक्शन 1 के तहत देश की 10 सुरक्षा एजेंसियों को किसी कंप्यूटर में जेनरेट, ट्रांसमिट, रिसीव और स्टोर की गई किसी जानकारी को इंटरसेप्ट, मॉनिटर और डिक्रिप्ट करने के की अनुमति दी गई है. सीधे शब्दों में कहें तो 10 सुरक्षा एजेंसियां किसी भी वक्त किसी भी कंप्यूटर की जांच कर सकती है. इस दौरान सर्विस प्रोवाइडर्स को जांच एजेंसी को सहयोग करना होगा. सहयोग नहीं करने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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