क्यों गिर रहा है रुपया? आपको होने वाले हैं इससे ये फायदे और नुकसान
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क्यों गिर रहा है रुपया? आपको होने वाले हैं इससे ये फायदे और नुकसान

डॉलर की भारी मांग के बीच रुपये में बुधवार को वर्ष 2018 की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट आई. रुपया 7 पैसे लुढ़ककर 16 माह के नए निचले स्तर 68.14 रुपए प्रति डॉलर पर पहुंच गया.

अमेरिकी डॉलर के सामने भारतीय रुपया औंधे मुंह लुढ़क गया है.

नई दिल्ली: डॉलर की भारी मांग के बीच रुपये में बुधवार को वर्ष 2018 की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट आई. रुपया 7 पैसे लुढ़ककर 16 माह के नए निचले स्तर 68.14 रुपए प्रति डॉलर पर पहुंच गया. कारोबार के दौरान रुपया 68.15 रुपए प्रति डॉलर तक नीचे चला गया था. यह 24 जनवरी 2017 के बाद रुपए का सबसे कमजोर स्तर है. उस दिन यह 68.15 रुपए प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. बुधवार के सत्र में अमेरिकी डॉलर के सामने भारतीय रुपया औंधे मुंह लुढ़क गया है. इस गिरावट के बाद एक डॉलर की कीमत 68 रुपए के नीचे है. भारतीय रुपया करीब 16 महीने के निचले स्तर पर कारोबार कर रहा है. मंगलवार को एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 56 पैसे की टूटकर 68.07 के स्तर पर बंद हुआ था.

  1. डॉलर के मुकाबले में रुपये में गिरावट का दौर जारी
  2. रुपया 7 पैसे लुढ़ककर 16 माह के नए निचले स्तर पर
  3. बुधवार को 68.14 रुपए प्रति डॉलर के भाव पर खुला रुपया

क्यों आई रुपये में गिरावट
रुपए में यह गिरावट शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली की वजह से आई है. इसके अलावा खबर आई थी कि भारतीय रिजर्व बैंक ने मार्च माह में 99.6 करोड़ अमेरिकी डॉलर की खरीद की है, इस खबर की वजह से भी रुपए में गिरावट देखने को मिल रही है.

ये सब चीजे होंगी महंगी
रुपए में आई कमजोरी की वजह से हर उस वस्तू और सेवा के लिए हमें ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी जो विदेशो से आयात होती है. देश में सबसे ज्यादा कच्चे तेल का आयात होता है जिससे पेट्रोल और डीजल बनता है. दूसरे नंबर पर ज्यादा आयात इलेक्ट्रोनिक्स के सामान का होता है. तीसरे नंबर पर सोना, चौथे पर महंगे रत्न, और पांचवें नंबर पर इलेक्ट्रिक मशीनों का ज्यादा आयात होता है. इन तमाम वस्तुओं को खरीदने के लिए डॉलर में भुगतान करना पड़ता है. ऐसे में इस तरह की तमाम वस्तुओं को विदेशों से खरीदने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी.

इनके लिए भी चुकानी होगी ज्यादा कीमत
इन सबके अलावा देश में खाने के तेल, कोयला, कैमिकल और कृत्रिम प्लास्टिक मैटेरियल का भी ज्यादा आयात होता है. इन सबके लिए भी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है. इन सबके अलावा विदेश घूमना, विदेश में पढ़ाई करने जैसी सेवाएं भी महंगी होंगी.

रुपए की गिरावट से किसे फायदा
रुपए की कमजोरी के सिर्फ नुकसान ही नहीं है बल्कि इससे फायदे भी हैं. अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार लंबे समय से निर्यात को बढ़ावा दे रही है. भारत से विदेशों को सामान निर्यात करने पर उसकी पेमेंट डॉलर में मिलती है. अब क्योंकि रुपया कमजोर है तो ऐसे में विदेशों से आने वाले डॉलर के देश में ज्यादा रुपए मिलेंगे. मतलब यह कि निर्यात से फायदा बढ़ेगा और निर्यात आधारित इंडस्ट्री और निर्यात के लिए प्रोत्साहित होगी.

क्या होता है भारत से एक्सपोर्ट
भारत से सबसे ज्यादा इंजीनियरिंग उपकरण, जेम्स एंड ज्वैलरी, पेट्रोलियम उत्पाद, ऑर्गैनिक और इन ऑर्गैनिक कैमिकल और दवाओं का एक्सपोर्ट होता है. इन वस्तुओं से जुड़े तमाम उद्योगों को रुपए की कमजोरी से फायदा पहुंचेगा. इनके अलावा देश से चावल, मसाले, कपास और कई कृषि आधारित वस्तुओं का भी ज्यादा निर्यात होता है और कमजोर रुपए से इस तरह की वस्तुओं के तमाम निर्यातकों तक लाभ पहुंचेगा.

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